चातुर्मास में धर्म आराधना का महत्व


- साध्वी मंजुप्रभाजी और कुन्थुश्रीजी ने दिया उद्बोधन
बीकानेर, 4 जुलाई । बीकानेर स्थित तेरापंथ भवन (तुलसी साधना केंद्र) में शासनश्री साध्वी मंजुप्रभाजी और शासनश्री साध्वी कुन्थुश्रीजी ठाणा – 12 का पावन प्रवास चल रहा है। चातुर्मास के इस पवित्र काल में साध्वियों ने श्रावक-श्राविकाओं को धर्म आराधना के लिए प्रेरित किया। शासनश्री साध्वी मंजुप्रभाजी ने आज अपने प्रवचन में कहा कि चातुर्मास का समय अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। यह तप, त्याग, धर्म ध्यान, स्वाध्याय और जप जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष काल है। उन्होंने श्रद्धालुओं को प्रतिदिन प्रवचन सुनने, भगवान की वाणी पर चिंतन-मनन करने, आगमों और आध्यात्मिक साहित्य का पठन-पाठन करने और करवाने को चातुर्मास काल के प्रमुख उपक्रम बताया। साध्वीजी ने सभी से जागरूक होकर धर्म आराधना करने का आह्वान किया।




जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, बीकानेर के मंत्री सुरेश बैद ने बताया कि शासनश्री साध्वी कुन्थुश्रीजी ने तपस्या के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि चातुर्मास काल तपस्या के लिए बहुत साताकारी (अनुकूल) समय होता है। उन्होंने उपवास, बेला, तेला, अठाईयां आदि जैसी लंबी तपस्याओं में भाग लेने का प्रयास करने को कहा। जो लंबी तपस्याएं नहीं कर सकते, उन्हें नवकारसी, आयाम्बिल, प्रहर, एकासन आदि जैसी छोटी-छोटी तपस्याएं करके स्वयं को लाभान्वित करने की प्रेरणा दी। साध्वीजी ने बताया कि तपस्या से संचित कर्मों का क्षय होता है और यह मुक्ति के मार्ग का एक महत्वपूर्ण साधन है।

