14 May 2022 11:09 PM
बीकानेर, 14 मई (थार न्यूज़)। दी आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में संस्था के बीकानेर केंद्र की ओर से आयोजित सुमेरु भजन संध्या तेरा मैं... में साधकों ने आंनद विभोर होकर भक्ति सागर में गोते लगाए। आर्ट ऑफ लिविंग ब्यूरो कम्यूनिकेशन के बीकानेर जोन के मीडिया कॉआर्डिनेटर गिरिराज खैरीवाल ने बताया कि रानी बाजार इंडस्ट्रीयल एरिया स्थित रिद्धि-सिद्धि भवन में आयोजित इस भजन संध्या में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सुमेरु भजन गायक जितेंद्र सारस्वत ने विभिन्न भक्ति गीतों एवं भजनों की बहुत ही शानदार प्रस्तुतियां देकर उपस्थित साधकों को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत गणेश वंदना और गुरु के गुणगान से आपूरित भजनों के साथ हुई। इस अवसर पर जयपुर के अंतर्राष्ट्रीय वायलिन वादक मनभावन की मंत्र मुग्ध करने वाले वायलिन संगत की सभी ने खुले मन से सराहना की। कार्यक्रम में बीकानेर के संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के पवन मुख्य अतिथि थे, जबकि समाजसेवी महावीर रांका तथा बीकाजी के दीपक अग्रवाल विशिष्ट अतिथियों के रूप सम्मिलित हुए।
संस्था के संरक्षक रवि कथूरिया, अपेक्स राजेश मुंजाल, डीटीसी आशी जैन ने अतिथियों का स्वागत व सम्मान माल्यार्पण, शॉल व मोमेंटो भेंट कर किया। इस अवसर पर मावे से बने केक काटकर श्रीश्री का जन्मोत्सव सेलीब्रेट किया गया। खैरीवाल के मुताबिक इस अवसर पर लगभग 600 साधकों ने शिरकत करते हुए आनंद की अनुभूति प्राप्त की। कार्यक्रम में स्नेह मिलन समारोह एवं सामूहिक भोज का भी आयोजन किया गया। खैरीवाल ने बताया कि अपेक्स मेंबर राजेश मुंजाल, अनिल खजांची, वरिष्ठ प्रशिक्षिका साधना सारस्वत, मनीष गंगल, डीटीसी आशी जैन, खुशाल खत्री, जगदीप ओबेरॉय, धीरज जैन, परताराम चौधरी, प्रेम जोशी, किशनलाल ओझा, डॉ. महेंद्र व्यास, मुकेश शर्मा, अजय खत्री, सुरेश दाधीच, सुभाष दाधीच, प्रकाश शर्मा, राकेश छाजेड़ इत्यादि ने विभिन्न व्यवस्थाओं को संभाला। संस्था के संरक्षक रवि कथूरिया ने कार्यकर्ताओं एवं उपस्थित समस्त साधकों के प्रति आभार प्रकट किया।
10 मई से शुरू हुए आनंद की अनुभूति शिविर का समापन रविवार को संस्था के ट्रांसपोर्ट गली स्थित कथूरिया भवन में होगा। इस शिविर में संस्था के जोनल टीचर्स कॉर्डिनेटर जितेंद्र सारस्वत, बीकानेर जिला टीचर्स कॉर्डिनेटर आशी जैन, वरिष्ठ प्रशिक्षिका साधना सारस्वत, मनीष गंगल इत्यादि द्वारा ध्यान, योग और प्राणायाम के माध्यम से जीवन में हैप्पीनेस का प्रशिक्षण दिया गया। इस शिविर में सुदर्शन क्रिया का प्रशिक्षण लेने वाले सभी साधकों ने इसे चमत्कृत करने वाली क्रिया की संज्ञा दी।
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