03 February 2023 11:17 PM
नयी दिल्ली , 3 फरवरी। भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रोपेगेंडा पीस बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था. फैसले के खिलाफ प्रशांत भूषण, एन राम, महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित BBC डॉक्यूमेंट्री के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी किया है। SC ने केंद्र से इस मामले में तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें सरकार द्वारा बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में सुनवाई करते हुए केन्द्र सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है। आपको बता दें कि गुजरात दंगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था।
केंद्र के फैसले के खिलाफ एन राम, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एडवोकेट एमएल शर्मा ने फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की है। जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की दो जजों वाली पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही है। एडवोकेट एमएल शर्मा ने अपनी याचिका में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर प्रतिबंध के फैसले को "दुर्भावनापूर्ण, मनमाना और असंवैधानिक" बताया था। केंद्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री पर बैन के साथ ही इसके लिंक शेयर करने वाले ट्वीट पर हटवा दिए थे। इन ट्वीट्स को हटाने के फैसले को वरिष्ठ पत्रकार एनराम और वकील प्रशांत भूषण ने एक अन्य याचिका दायर की है।
जल्द सुनवाई पर कोर्ट ने कही ये बात
जस्टिस संजीव खन्ना ने सवाल याचिकाकर्ताओं के वकील से सवाल किया कि आप इसके लिए हाई कोर्ट क्यों नहीं गए? कोर्ट को सी यू सिंह ने बताया कि सरकार को इस तरह की शक्ति देने वाले कानून को चुनौती सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इस पर पीठ ने कहा कि ठीक है, हम नोटिस जारी कर रहे हैं. अप्रैल में सुनवाई होगी.
सीयू सिंह ने कोर्ट से जल्दी सुनवाई की मांग की और तर्क दिया कि लोगों पर डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के लिए कार्रवाई हो रही है. दलील पर पीठ ने कहा कि यह अलग मसला है. लोग तो फिर भी डॉक्यूमेंट्री देख ही रहे हैं.
जानिए क्या है विवाद?
बीबीसी ने 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नाम से दो पार्ट की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है। इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि यह गुजरात दंगों के दौरान की गई कुछ पहलुओं की जांच रिपोर्ट का हिस्सा है। डॉक्यूमेंट्री को भारत में बैन करते हुए इसे शेयर करने वाले यूट्यूब वीडियो और ट्विटर लिंक को ब्लॉक करने का आदेश दिया गया था. यूट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को हटाने के सरकार के फैसले की विपक्षी पार्टी की तरफ से जमकर विरोध किया गया और इसे सेंसरशिप कहा गया.
सरकार और विपक्ष आमने-सामने
इस डॉक्यूमेंट्री के पहले पार्ट के आते ही विवाद शुरु हो गया। केंद्र सरकार ने इसे प्रोपेगेंडा करार दिया और इसके रिलीज होते ही यूट्यूब और ट्विटर को इसके लिंक ब्लॉक करने के आदेश दिये। विपक्ष इस फैसले का विरोध कर रहा है और इसे सेंसरशिप बता रहा है।
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