25 May 2023 06:29 PM
नयी दिल्ली , 25 मई। नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से कराने के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। अधिवक्ता जया सुकीन की ओर से दायर याचिका में दलील दी गई है कि नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए 18 मई को लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी बयान और लोकसभा महासचिव की ओर से जारी आमंत्रण पत्र संविधान का उल्लंघन करता है। याचिका में उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रपति भारत की प्रथम नागरिक हैं और संसद की प्रमुख हैं और नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने के लिए एक निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से जारी आमंत्रण के बाद 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं। याचिका में बताया गया है कि संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति और शीर्ष विधानमंडल के दोनों सदन, राज्यसभा और लोकसभा, संसद में शामिल होंगे। इसमें दलील दी गई है, ‘साथ ही, अनुच्छेद 87 में कहा गया है कि संसद के प्रत्येक सत्र की शुरूआत में, राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण देंगे और इसकी बैठक बुलाए जाने के उद्देश्य से अवगत कराएंगे। लेकिन प्रतिवादी (लोकसभा सचिवालय और केंद्र) राष्ट्रपति को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं।’
इसमें कहा गया है, ‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है।’ नए संसद भवन का उद्घाटन करने के प्रधानमंत्री के फैसले की करीब 20 विपक्षी दलों ने आलोचना की है और उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
10 दिसंबर 2020 को पीएम मोदी ने ही इस भवन के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया था और करीब 28 माह के भीतर यह बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई है। अब बीजेपी नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को देश के लिए गौरव का पल मानते हुए जश्न मना रही है। उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर बीजेपी के समर्थन में 15 और दल आए हैं। वही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी से नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया है। उनके साथ बहिष्कार करने वाले 20 और विपक्षी दल हैं और सबका कहना है यह लोकतांत्रिक तरीके से ठीक नहीं है। बीजेपी देश के लोकतांत्रिक मूल्य को खत्म करना चाहती है। राष्ट्रपति मुर्मू के उद्घाटन न करा कर, बीजेपी उनके पद का अपमान करने का काम कर रही है।
जब से इस मामले को राजनीतिक रंग दिया गया है तभी से देश के सभी दल इस मुद्दे को लेकर 2 टीमों में बंट गए हैं। मसला लगभग एनडीए बनाम यूपीए हो गया है। लेकिन इसमें कुछ विपक्षी दल भी बीजेपी के साथ जा खड़े हुए हैं। ऐसे में यह जानते हैं कि कौन से दल किसके साथ हैं और उनके गणित क्या कहते हैं।
बता दें कि यह मामला तब बिगड़ा जब 18 मई को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रधानमंत्री मोदी को नए भवन का उद्घाटन करने के लिए न्योता भेजा। इस पर विपक्षी दलों ने विरोध करना शुरू कर दिया। विपक्षी दलों का कहना है कि यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन न कराना, उनके पद का अपमान करना है। बीजेपी बस चुनावी फायदे के लिए राष्ट्रपति मुर्मू का इस्तेमाल करती है, लेकिन द्रौपदी मुर्मू के प्रति उनके मन में कोई इज्जत नहीं है।
इन 21 विपक्षी दलों ने किया बहिष्कार
21 विपक्षी दलों ने बायकॉट का ऐलान किया है। इन दलों में कांग्रेस, DMK (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, RLD, TMC, JDU, NCP, CPI (M), RJD, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और AIADMK शामिल हैं।
इस उद्घाटन कार्यक्रम का जिन पार्टियों ने बहिष्कार किया है, अगर संसद में इनकी सीटों के आंकड़े को देखा जाए तो लोकसभा में उनकी संख्या कुल 147 और राज्यसभा में 96 है।
टोटल 16 दल समर्थन में
नई संसद के उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर कुल 16 दल साथ आ गए हैं। इन दलों में BJP, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी(NPP), नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP), अपना दल - सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो नेशनल फ्रंट, YSRCP, TDP, BJD और शिरोमणि अकाली दल शामिल है।
नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने के समर्थन में जो दल आए हैं, अगर संसद में इनकी सीटों के आंकड़ों को देखा जाए तो लोकसभा में उनकी कुल ताकत 366 और राज्यसभा में 120 है। मौजूदा समय में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास लोकसभा का लगभग 68% और राज्यसभा का लगभग 51% समर्थन प्राप्त है।
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