19 May 2021 06:16 PM
बीकानेर , 19 मई । (थार एक्सप्रेस ) पीबीएम अस्पताल में संवेदनहीनता व लापरवायी का आलम यह है कि गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ बच्चे दोनों की मौत हो गयी। जिले के पीबीएम अस्पताल में बुधवार को एक 9 महीने की गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ बच्चे दोनों की मौत हो गई। वह तीन दिन तक पीबीएम अस्पताल में एक आईसीयू बेड के लिए तरसती रह गई। आखिर आईसीयू बेड की कमी ने मां और बच्चे दोनों की जान ले ली। मृतक का नाम सुमन देवी बताया जा रहा है। उसे ऑक्सीजन लेवल कम होने पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। परन्तु इसी दौरान रसूखदारों को आईसीयू बेड उपलब्ध कराये जाने की बात भी कही जा रही है। पीबीएम अस्पताल में जरूरतमंद को आईसीयू बेड नहीं मिलते आपके पास अप्रोच है या आपकी जेब गर्म है तो आधी रात को भी आईसीयू बेड की व्यवस्था हो जाती है. ऐसे में कई बेमौत मारे जातें हैं।
इधर खाली पड़ा है सुपर स्पेशलिटी सेंटर
वहीं, दूसरी तरफ सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज का सुपर स्पेशलिटी सेंटर खाली पड़ा है। यहां वेंटिलेटर सहित सभी तरह की व्यवस्था है। इसके बाद भी सुपर स्पेशलिटी सेंटर में कोरोना रोगी भर्ती नहीं किए जा रहे हैं। यहां तीस बेड का आईसीयू भी है और 180 बेड्स का एयरकूल्ड वार्ड भी, जहां हर बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा है। डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के अभाव में मेडिकल कॉलेज सिर्फ एमसीएच तक ही कोविड अस्पताल को जारी रख पाया।
ज्ञात रहे चूरू के सिद्धमुख गांव की सुमन देवी को ऑक्सीजन सैचुरेशन 70 रहने के बाद अस्पताल लाया गया था। वह 9 माह की गर्भवती थी। उन्हें बी वार्ड में भर्ती करने के साथ ही कोरोना टेस्ट कराया गया। यह टेस्ट निगेटिव आया। संभव है कि कोरोना होकर निकल गया था। पीछे निमोनिया छोड़ गया। 9 महीने की गर्भवती सुमन देवी को इलाज के नाम पर बी वार्ड में एक बेड मिला, जहां ऑक्सीजन की नली नाक में लगा दी गई। दरअसल, डॉक्टर्स को पता था कि वो बहुत गंभीर हालत में है लेकिन अस्पताल के किसी भी आईसीयू में उन्हें वेंटिलेटर का एक बेड नहीं दिया गया। मानवीय संवेदना वाले एक डॉ. संजय कोचर ने परिजनों को यहां तक बोला कि किसी भी विभाग में आईसीयू खाली हो तो हम इसे वहां ले जाएंगे। उधर, सुमन का ऑक्सीजन लेवल गिरते-गिरते पचास के पास पहुंच गया। इसी बीच किसी विभाग में एक आईसीयू खाली होने की सूचना मिली , परिजन दौड़ते हुए सुमन को शिफ्ट कराने पहुंचे, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुकी थी। गर्भ में बच्चा भी उसके साथ ही दुनिया देखे बगैर दुनिया छोड़ गया।
हालत इतनी नाजुक हो चुकी थी कि नहीं हो सकता था प्रसव
सुमन की हालत इतनी नाजुक हो चुकी थी कि उसका प्रसव नहीं कराया जा सका। दरअसल, उसका ऑक्सीजन लेवल बहुत कम था। इस स्तर पर सर्जरी करके बच्चे को निकाल पाना भी संभव नहीं था। डॉक्टर्स ने किसी तरह की रिस्क नहीं लिया, लेकिन इसके बाद भी सुमन को मौत से बचाया ना जा सका।
ऐसा भी नहीं कि गंभीर जरूरतमंद की मदद ना कर सके
कोरोना के कारण बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में इतने आईसीयू बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं हैं कि जरूरतमंद रोगी को मिल जाए। तीन दिन में एक भी आईसीयू खाली नहीं हुआ। ऐसा भी नहीं कि गंभीर जरूरतमंद की मदद ना कर सके.जहां चाह वहां राह निकल सकती है। परन्तु आईसीयू खाली नहीं कह देने से डॉक्टर अपने कर्तव्य से मुक्त हो जातें है। ऐसे में सुमन को मौत की ओर जाते हुए देखने के अलावा परिवार के लोग भी कुछ नहीं कर सके। उसे जब बीकानेर लाया गया था, तब तक निमोनिया काफी हद तक फेफड़ों को खराब कर चुका था।
अब किसे दोष दें भगवान को या डॉक्टरों को
गर्भवती महिला सुमन के मामा महिपाल शर्मा यहां मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में काम करते हैं। उनका कहना है कि सुमन को जब भर्ती किया गया, तब वो काफी ठीक थी। उसे कोरोना नहीं था, इसलिए बी वार्ड में भर्ती किया गया। इसी दौरान धीरे धीरे हालात बिगड़ते गए, लेकिन एक वेंटिलेटर तक उपलब्ध नहीं हो सका। हम दो दिन तक कोशिश करते रहे। जब मिला तब तक वो दम तोड़ चुकी थी।अब किसे दोष दें भगवान को या डॉक्टरों को या नसीब को.
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