प्रेरणाप्रद कहानी ऐसे परिवार की जहां 6 बच्चों ने रच दिया सफलता का नया अध्याय, 4 बेटियां बनीं डॉक्टर


बीकानेर। जब हौसले बुलंद हों और लक्ष्य स्पष्ट हो तो संसाधनों की कमी कभी रास्ता नहीं रोकती. बीकानेर के एक साधारण परिवार ने यह सिद्ध कर दिखाया है. मूल रूप से देशनोक निवासी और वर्तमान में अंत्योदय नगर में रहने वाले इन्द्रदान सोनी और मंजू सोनी के छह बच्चों ने शिक्षा की दुनिया में ऐसा इतिहास रचा है, जो आज पूरे राजस्थान के लिए प्रेरणा बन चुका है।




जानिए सोनी परिवार की प्रेरणादायी कहानी.
इन्द्रदान सोनी पेशे से ज्वेलरी का काम करते हैं और खुद 12वीं तक पढ़े हैं, लेकिन उनके बच्चों ने शिक्षा को लेकर जो जुनून दिखाया, उसने पूरे परिवार की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल दी. सबसे बड़ी बेटी डॉ. चांदनी सोनी ने एमबीबीएस करने के बाद अब गाइनेकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन शुरू कर दिया है. उनके बाद की तीन बहनें भी बीकानेर और जोधपुर से एमबीबीएस कर चुकी हैं और पीजी की तैयारी कर रही हैं. पांचवीं बेटी सविता, सोलापुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस के तीसरे वर्ष में पढ़ रही है।


स्टेट मेरिट में आए जुड़वां भाई-बहन
सोनी परिवार की कहानी यहीं खत्म नहीं होती, अब इसी परिवार के सबसे छोटे जुड़वां भाई-बहन जयेश और खुशबू सोनी ने भी दसवीं बोर्ड परीक्षा में राज्य स्तर की मेरिट सूची में स्थान प्राप्त कर यह साबित कर दिया है कि यह परिवार सिर्फ बेटियों की नहीं, बल्कि पूरे समाज की सोच बदलने की मिसाल बन चुका है. जयेश ने 98.17 प्रतिशत अंक हासिल कर स्टेट मेरिट में जगह बनाई, वहीं खुशबू ने 97.83 प्रतिशत अंक प्राप्त कर अपने परिवार की परंपरा को मजबूती से आगे बढ़ाया. जयेश और खुशबू ने अब मेडिकल की तैयारी शुरू कर दी है और उनका सपना है कि वे भी अपनी बहनों की तरह डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करें. उनके इस प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया है कि जब परिवार का माहौल सकारात्मक हो, तो बच्चे किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहते.
परिवार की सोच ने बदली किस्मत:
पिता इन्द्रदान स्वीकार करते हैं कि शुरुआत में बेटियों को पढ़ाने को लेकर वे खुद आश्वस्त नहीं थे, लेकिन जब उनकी बड़ी बेटी चांदनी ने आत्मविश्वास और मेहनत से उन्हें गलत साबित किया, तो न सिर्फ उनका नजरिया बदला, बल्कि पूरा घर एक प्रेरणास्रोत बन गया. वे भावुक होकर कहते हैं कि “चांदनी ने जो रास्ता बनाया, उसी पर बाकी बच्चों ने चलकर अपना भविष्य गढ़ा.” इसमें उनकी पत्नी मंजू सोनी का योगदान भी कम नहीं, मंजू कहती हैं, “मैंने बेटियों को कभी भी घर के कामों में हाथ बंटाने के लिए नहीं कहा. मैं चाहती थी कि वे सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दें. मैंने उन्हें सपोर्ट दिया, बाकी उन्होंने खुद रास्ता बना लिया.”
बड़ी बहन चांदनी बनीं रोल मॉडल
डॉ. चांदनी का मानना है कि उनकी सफलता के पीछे सबसे बड़ा योगदान उनके माता-पिता और शिक्षकों का है. चांदनी ने कहा कि “मेरे स्कूल के अध्यापकों ने मेरी प्रतिभा को पहचाना और मुझे मेडिकल की तैयारी के लिए प्रेरित किया. आज जब मेरे छोटे भाई-बहन मुझे अपना आदर्श मानते हैं, तो यह मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान है.” बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर चुकी परिवार की दूसरी बेटी डॉ. राजश्री कहती हैं कि “समाज में बेटियों को लेकर सोच बदलनी जरूरी है. जब उन्हें अवसर मिलता है, तो वे चमत्कार कर सकती हैं. अब सरकार भी कई योजनाओं से बेटियों को प्रोत्साहित कर रही है, बस हमें उन्हें मौका देना होगा.” तीसरी बेटी सविता, जो सोलापुर में एमबीबीएस कर रही हैं, वो कहती हैं कि “हमने चांदनी दीदी को देखकर सीखा कि मेहनत से सब कुछ संभव है. अब हमारे छोटे भाई-बहन भी उसी राह पर हैं, यह गर्व की बात है.”
एक परिवार, एक संदेश
सोनी परिवार की यह कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि मानसिकता के बदलाव की भी कहानी है, जहां कभी बेटियों को पढ़ाना संकोच की बात मानी जाती थी, वहीं आज वे पूरे प्रदेश में परिवार का नाम रोशन कर रही हैं. अब यही रास्ता बेटे भी अपना रहे हैं. बीकानेर का यह परिवार शिक्षा, समानता और प्रेरणा का जीता-जागता उदाहरण है. यह कहानी बताती है कि अगर हौसला हो, तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता, और जब बेटियां आगे बढ़ती हैं, तो पूरा समाज रोशन होता है. (साभार – फेसबुक वॉल मीडिया प्राइम )