बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा दी जानी आवश्यक : डॉ. राजपुरोहित
बीकानेर, 29 फरवरी। ‘बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा दी जानी चाहिए यह उनका मौलिक अधिकार है और इसका हमारी नई शिक्षा नीति में भी इसका प्रावधान है।’
पूर्व प्राथमिक शिक्षा निदेशक तथा पूर्व आईएएस डॉ श्याम सिंह राजपुरोहित ने ‘नेगचार’ संस्था की ओर से ‘मातृभाषा शिक्षण और नई शिक्षा नीति’ विषयक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में ये विचार व्यक्त किए।
शिवबाड़ी रोड स्थित पेस बॉयज हॉस्टल में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ राजपुरोहित ने कहा कि भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली का अध्ययन करते हुए उन्होंने अपने शोध में भी यह पाया है कि बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए मातृभाषा की भूमिका अद्वितीय है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के संदर्भ में मातृभाषा राजस्थानी को महत्त्व दिया जाना चाहिए। राजस्थान इतने बड़े भू-भाग में स्थित है तो यहां हुए साक्षरता आंदोलन की भांति प्राथमिक शिक्षा का पाठ्यक्रम बच्चों की बोलचाल की भाषा में क्षेत्रानुसार तैयार कर लागू किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात व्यंग्यकार-स्तंभकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि डॉ राजपुरोहित संभवतः देश के ऐसे पहले शोधार्थी हैं जिन्होंने नई शिक्षा नीति को शामिल कर प्राचीन से आधुनिक शिक्षा प्रणाली का गवेषणात्मक अध्ययन मनन करते हुए शिक्षा के अनेक नए आयामों को उद्घाटित किया है और शिक्षा जगत में विशेष प्रशंसा हो रही है। उनका आज का व्याख्यान नई दिशा देने वाला है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कवि-आलोचक डॉ नीरज दइया ने कहा कि डॉ राजपुरोहित के व्याख्यान का विषय उनके शोध से जुड़ा होने के कारण अनेक नए संदर्भ हमें जानने को मिले हैं। प्राचीन और मध्यकालीन शिक्षा प्रणाली के साथ साथ आधुनिक शिक्षा प्रणाली के विकास और प्रगति को समाहित करना श्रमसाध्य कार्य रहा होगा। बेहद हर्ष का विषय है कि इसे आपने सफलतापूर्वक पूर्ण किया है और मातृभाषा के महत्त्व को प्रतिपादित किया है।
विशिष्ट अतिथि कवि-कथाकार रवि पुरोहित ने कहा कि राजस्थान में शिक्षा का माध्यम भले राजस्थानी नहीं हो किंतु बच्चों को समझाने और समझने की भाषा राजस्थानी ही है। अब आवश्यकता इसे विधिवत नियमानुसार लागू किए जाने की है। जैसे जैसे राजस्थानी भाषा के साथ अध्ययन-अध्यापन से जुड़े कार्य होंगे वैसे वैसे इसके सुखद परिणाम भी हमारे सामने आते जाएंगे।
इस अवसर पर श्याम सिंह राजपुरोहित को ‘प्राचीन भारत में शिक्षा प्रणाली का विकास एवं प्रगति – नई शिक्षा नीति 2020 के विशेष संदर्भ में अध्ययन’ के लिए संस्था द्वारा पुष्प मालाएं, शाल, पुस्तकें अर्पित कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में पवन शर्मा, मोहम्मद जमील, मोहम्मद असलम, अनिल कुमार, कपिल विश्नोई, मनफूल, वरुण व्यास, आर्यन जोशी, लक्ष्य, रूपेश कुमावत, सचिन विश्नोई, मनीष कुमार आदि प्रबुद्धजनों और विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का भी डॉ राजपुरोहित ने समाधान किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कथाकार राजेंद्र जोशी ने कहा कि आज का व्याख्यान शिक्षा से जुड़े सभी प्रबुद्ध जनों के साथ विद्यार्थियों के लिए बहुत ही उपलब्धि मूलक रहा है।