पयुर्षण पर्व पर भक्ति संगीत संध्या मे उमड़ा जैन समुदाय
- शंखेश्वर पाश्र्वनाथ मंदिर में सात दिनों से चल रही भक्ति संगीत संध्याऐं सम्पन्न
बीकानेर, 7 सितम्बर। श्री कोचर मंदिरात एवं पंचायती ट्रस्ट के तत्वाधान में पर्युषण पर्व पर सात दिवसीय भव्यातिभव्य संगीत संध्याओं का आयोजन हुआ। संगीत संध्या के अंतिम दिन बड़ी संख्या मे जैन समुदाय के लोगों को हुजुम उमड़ा पड़ा।
आयोजन से जुड़े राहुल दफ्तरी व अशोक कोचर ने बताया कि भजन संध्या से पूर्व शंखेश्वर पाश्र्वनाथ भगवान जिन प्रतिमाओं, अधिष्ठायक देवताओं की मंदिर सेवक श्रीराम शर्मा द्वारा आकर्षक अंगी कर पूर्जा अर्चना की गई। इसके बाद रात्रि आठ बजे गायक विनोद सेठिया, सूनील पारख, मगन कोचर सत्येन्द्र बैद व जीतू बाबू कोचर द्वारा नवकार मंत्र का सामुहिक गान करते हुए श्रावक श्राविकाओं को भक्ति रस के आनन्द मे डुबोना शुरू किया।
बीकानेर,गंगाशहर,भीनासर, उदयरामसर आदि स्थानों से आए श्रावक-श्राविकाओं ने मंदिर में मूलनायक भगवान पाश्र्वनाथ के साथ गुरु प्रतिमा, हाजरा हजूर मणिभद्र वीर पिंड स्वरूप, देवी पद्मावती व पाश्र्वयक्ष की प्रतिमाओं के भी श्रावक-श्राविकाएं दर्शन वंदन कीया। श्रोताओं के कानों मे जैसे ही भीनासर के स्वामी, अन्तर्यामी का गीत गूंजा तो आनन्द मे भाव विभोर हो गये।
फिल्मी, लोकगीतों व पारम्परिक धुनों भरे भजनों पर श्राविका मंजुदेवी दफ्तरी, मधु कोचर साधना दफ्तरी, दिव्या, प्रिया कोचर, सरिता कोचर हेमागिनि, पूजा बैद, एकता सेठिया, सारिक कोचर ने सुर, लय, ताल मिलाते हुए टेर के साथ संगत दी।
सूनील पारख व अरिंहत नाहटा की जोड़ी दादा के दर मे अपना नाम लिखवाना . . . , शंखेश्वर के नाथ, हमारा तुम्हारा . . ., ये चमक, ये दमक, सब कुछा सरकार तुम्हई से है . .. से माहौल मे जोश आ गया श्रोता झूमकर नाचने लगे। करता हूं गुणगान, मुझे ऐसा दो वरदान . . . के साथ ‘कर दो रोशन चिरागों के ऐसे . . . जैसे आनन्द विभोर करने वाले गीतों से रात 10 बजे बाद भी भक्ति भाव का माहौल परवान पर ही फिर अंतिम गीतों की श्रृंखला मे ‘मां त्रिशला के प्यार ने सारी दुनिया को . . . ‘गुण गाऊंगा प्रभु ऋषभ जीणंद से, पेश किये गये। और अंत में ‘बधाई’ गीत के साथ भजन संध्या को विराम दिया गया।
भजन संध्या आयोजनों में सुरेंद्र कोचर भुता, पारस कोचर, प्रवीण कोचर, वसंत कोचर, संजय कोचर, कानी लाल कोचर, देवेंद्र पुगलिया, मोहित कोचर, भरत बोथरा नवीन डागा ने आयोजन को सफल बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस अवसर पर मंदिर परिसर को पुष्पों, स्वागत दरवाजों, गुलदस्तों से सजाया गया तथा भक्तों के सुविधार्थ तीन आधुनिक एलइडी डिस्पले लगाई जिससे मुख्य मंदिर मे चल रही भजन मंडली की प्रस्तुतियां का प्रसारण होता रहा। भजन संध्या के अंत में जैन मंत्राज परिवार, शांतिलाल अजय कुमार सेठिया परिवार द्वारा प्रभावना की गई।
पर्युषण पर्व पर पूरे मंदिर परिसर कों विभिन्न पुष्पों, बन्दनवार तथा आकर्षक स्वागत दरवजों तथा रंग विरंगी चुनट से सजाया गया। मंदिर परिषर के अलग अलग हिस्सों मे मुख्य दर्शन तथा गीत प्रस्तुतियों के देखने तीन अलग अलग जगह पर बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई। भगवान नेमिनाथजी की मूर्ति का सेवक श्रीराम शर्मा द्वारा आकर्षक अंगी की गई। गौर तलब है कि यह मूर्ति 990 साल प्राचीन है जो लगभग 400 वर्ष पूर्व गुजरात लाकर यहां स्थापित की गई।, यहां स्थापित मणिभद्र वीर की प्रतिमा जो पिंड स्वरूप है अत्यंत चमत्कारी मानी जाती है।