जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच शुरू, सरकारी आवास में करोड़ों रुपए मिलने का मामला

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  • सुप्रीम कोर्ट: घर से नकदी मिलने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के जज पर कार्रवाई, कॉलेजियम ने इलाहाबाद ट्रांसफर किया

 

नई दिल्ली , 21 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन-हाउस जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर बेहिसाब नकदी बरामद की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी है। जज के घर में आग लगने की वजह से अनजाने में बेहिसाब नकदी बरामद हुई थी।

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दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा हाल ही में दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास पर बड़ी मात्रा में बेहिसाब नकदी मिलने के बाद एक बड़े विवाद के केंद्र में हैं। यह घटना 14 मार्च, 2025 को होली की छुट्टियों के दौरान सामने आई थी जब उनके सरकारी बंगले में आग लग गई थी। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा मौजूद नहीं थे और उनके परिवार के सदस्यों ने आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड को बुलाया था।

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अधिकारियों को नकदी का एक बड़ा भंडार मिला

आग पर काबू पाने के दौरान, अधिकारियों को नकदी का एक बड़ा भंडार मिला, जिसके स्रोत के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल पाया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से त्वरित कार्रवाई की। 20 मार्च, 2025 को कॉलेजियम ने बैठक की और सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति वर्मा को उनके मूल न्यायालय, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस स्थानांतरित करने का निर्णय लिया। उन्होंने अक्टूबर 2021 में दिल्ली उच्च न्यायालय में शामिल होने से पहले वहां सेवा की थी।

नकदी की सही राशि का खुलासा नहीं

पुलिस ने उच्च अधिकारियों को सूचित किया, जिन्होंने बाद में CJI को सूचित किया। रिपोर्टों से पता चलता है कि कॉलेजियम ने इस घटना को एक गंभीर उल्लंघन के रूप में देखा, जो न्यायपालिका में जनता के विश्वास को कम कर सकता है। हालांकि नकदी की सही राशि का खुलासा नहीं किया गया है लेकिन इस घटना ने व्यापक बहस छेड़ दी है। कॉलेजियम के कुछ सदस्यों ने कथित तौर पर तर्क दिया कि केवल स्थानांतरण पर्याप्त नहीं था, उन्होंने प्रस्ताव दिया कि न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा जाए या न्यायिक कदाचार पर सुप्रीम कोर्ट के 1999 के दिशानिर्देशों के अनुसार इन-हाउस जांच की जाए। ये दिशानिर्देश निर्धारित करते हैं कि मुख्य न्यायाधीश को पहले संबंधित न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए। यदि प्रतिक्रिया असंतोषजनक है, तो आगे की जांच के लिए एक आंतरिक समिति- जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश और दो उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शामिल हैं- का गठन किया जा सकता है। यदि कदाचार गंभीर माना जाता है, तो न्यायाधीश को इस्तीफा देने के लिए कहा जा सकता है, और यदि वे इनकार करते हैं, तो संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत संसद द्वारा महाभियोग की कार्यवाही की जा सकती है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट कूड़ेदान नहीं है

लाहाबाद हाईकोर्ट कूड़ेदान नहीं है, हम भ्रष्ट लोगों को स्वीकार नहीं करेंगे।” यह बात बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले का विरोध करते हुए कही है। इसी के साथ जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की बात भी कही गई है।

बार एसोसिएशन द्वारा लेटर जारी कर कहा गया है कि, आज हमें पता चला कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार में संलिप्तता के आधार पर माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है। अग्निशमन विभाग को उनके बंगले में 15 करोड़ रुपये की धनराशि मिली है। समाचार पत्रों ने इस तथ्य को पहले पन्ने पर छापा है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवासीय बंगले में आग लग गई और परिवार के सदस्यों ने दमकल विभाग और पुलिस को बुलाया। आग बुझने के बाद, पुलिस को एक कमरे के अंदर भारी मात्रा में नकदी मिली, जिसके बाद 15 करोड़ रुपये की बेहिसाबी धनराशि बरामद होने की आधिकारिक प्रविष्टियां हुईं।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर तुरंत संज्ञान लिया और कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से माननीय न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेजने का फैसला किया। यहां यह उल्लेख करना उचित है कि माननीय न्यायमूर्ति वर्मा को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था और अक्टूबर, 2021 में उन्हें इलाहाबाद से दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से की यह मांग
इस मामले में एक वरिष्ठ वकील ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के घर से कथित ‘भारी मात्रा में नकदी बरामदगी’ मामले में कार्रवाई की अपील की है। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने वरिष्ठ वकील की भावनाओं को साझा करते हुए कहा कि इस घटना से हर कोई ‘हिल गया’ और ‘हतोत्साहित’ हो गया है। इस बीच, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने आज अदालत नहीं लगाई, कोर्ट मास्टर ने कहा कि खंडपीठ ‘छुट्टी’ पर है।

 

 

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