करुणा क्लब ने जरूरतमंद को भोजन और समाज को नशा मुक्त बनाने के लिए किया रैली का आयोजन

बीकानेर, 2 जनवरी। नालन्दा पब्लिक सीनियर सैकेण्डरी स्कूल की करुणा क्लब इकाई ने नए वर्ष के पहले दिन 1 जनवरी 2025 को कैंसर अस्पताल में बने रैन बसेरों में कैंसर पीडित़ के रिश्तेदारों को खाना देकर उनके जल्द स्वास्थ्य की मंगल  कामना भगवान से की कि वह जल्द से जल्द स्वस्थ होकर अपने घर पहुंचे। मंगल कामना करुणा प्रार्थना व करुणा गीत के साथ की।
कार्यक्रम के अतिथि  श्याम सोनी ने नालन्दा की करुणा  क्लब इकाई की इस मासिक कड़ी योजना जिसमें प्रत्येक माह की 1 तारीख को अलग-अलग कक्षा के विद्यार्थी इस रैन बसेरे में निर्धन व जरूरतमंद लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं वो तारीफे काबिल है। करुणा क्लब की इस योजना की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए श्याम सोनी ने कहा जब से नालंदा स्कूल की करुणा क्लब इकाई ने इस पुनीत कार्य की  शुरुआत की है तब से आज तक इस पुनीत कार्य में शहर की कई स्कूलों ने इस प्रकार के आयोजन इस रैन बसेरे में शुरू कर दिये हैं।
करुणा क्लब प्रभारी हरिनारायण आचार्य ने बताया कि आज दिनांक 2 जनवरी  को नालंदा  स्कूल की करुणा  क्लब इकाई के द्वारा समाज को नशा मुक्त बनाने एवं लोगों में नशे के खिलाफ जन-जागृति लाने के लिए शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं के द्वारा एक नवाचार करते हुए रैली का आयोजन किया गया। जिसमें स्कूल के शिक्षक/शिक्षिकाएं शहर की विभिन्न गलियों से होते हुए शहर के परकोटे में घूमें और लोगों को नशा न करने के लिए प्रेरित किया तथा नशे से होने वाले दुष्प्रभावों को तख्तियों और बैनर पर वरिष्ठ साहित्यकार कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा द्वारा रचित स्लोगनों के माध्यम से लोगों को जागृत करने का प्रयास किया। इसमें शाला के सभी अध्यापक/अध्यापिकाओं ने घरों में जाकर समझाइश की। इस पुनीत  कार्य  में शाला के उमेश सिंह चौहान, मुकेश तंवर, अविनाश व्यास, रमेश हर्ष, गिरधर पारीक, किशोर जोशी, अविनाश ओझा, राजेश ओझा, आनन्द दम्माणी, मुकेश स्वामी, ममता व्यास, अंजूराव, कुसुम किराडू, पूनम स्वामी, सीमा पालीवाल, सीमा स्वामी,दीपिका राजपूत, कुसुमलता जोशी, चन्द्रकला आदि का सराहनीय सहयोग रहा।
करुण क्लब के सहप्रभारी आशीष रंगा ने बताया कि नालन्दा की करुणा क्लब की इस अभिनव योजना की शहरवासियों एवं बुद्धिजीवीयों ने भी करुणा क्लब का साथ दिया एवं नालंदा स्कूल की करुणा क्लब इकाई की इस अभिनव योजना की मुक्त कंठ से  भूरि-भूरि प्रशंसा की तथा नशा न करने व करने देने का संकल्प भी लिया।
सम्पादकीय टिपण्णी – आजकल स्कूल शिक्षा के समय से ही समाज सेवा में पारन्गत  करने का कार्य शिक्षा संस्थान करने लगे हैं।  प्र्शन है की क्या कक्षाओं के समय इस तरह के आयोजन करना उचित व न्यायसंगत है । 

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