प्रकृति पर केंद्रित त्रिभाषा काव्य रंगत की शानदार संगत
- काव्य रंगत-शब्द संगत कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ
बीकानेर, 29, जून। प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ की ओर से अपनी मासिक साहित्यिक श्रृंखला ‘काव्य रंगत-शब्द संगत’ की दूसरी कड़ी का भव्य आयोजन नत्थूसर गेट के बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा की अध्यक्षता में आयोजित हुआ।
संस्था द्वारा बीकानेर की समृद्ध काव्य परंपरा में नवाचार करते हुए उक्त श्रृंखला प्रकृति पर केंद्रित विषय पर रखी गई है। इसी क्रम में आकाश पर केंद्रित हिन्दी, उर्दू और राजस्थानी की कविता, गीत, गजल आदि काव्य उपविधाओं से सरोबार आयोजन में जहां आकाश के सतरंगी इंद्रधनुष की तरह कई काव्य रंग को कवि-शायरों ने बिखेरा।
काव्य आयोजन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि ऐसे आयोजन के माध्यम से जहां एक ओर त्रिभाषा काव्य में नवाचार तो होता ही है साथ ही हर बार प्रकृति के किसी उपक्रम पर काव्य रचना करना अपने आप में अनूठा है। कमल रंगा ने अपनी राजस्थानी कविता ‘आभै रै आंगणै/रामत घातै बादळ…’ प्रस्तुत कर आकाश के कई रंग बिखेरे।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि नवाचार का नाम ही प्रज्ञालय है। जहां साहित्यिक गंभीरता के साथ संस्था के आयोजन नगर की साहित्यिक परम्परा एवं भाषाई भाईचारे को बल देते है। संस्था एवं आयोजक इसके लिए साधुवाद के पात्र है। उन्होंने इस अवसर पर अपनी नई गजल ‘फलक की तरफ छेद करके…’ प्रस्तुत कर आकाश को रेखांकित किया। इसी क्रम में वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने अपनी ताजा गजल ‘जिनके कदम तले आ गया आसमां…’ पेश कर वातावरण को गजलमय कर दिया।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए डॉ. फारूक चौहान ने कार्यक्रम के महत्व एवं आगामी योजना को बताते हुए कहा कि प्रकृति पर केंद्रित यह श्रृंखला अपने आप में एक नव पहल है।
वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती इंद्रा व्यास ने ‘जद आभौ गरजण लाग्यौ…’ राजस्थानी कविता के मिठास से सभी को आनंदित किया। कवि जुगल किशोर पुरोहित ने अपने राजस्थानी गीत ‘आभै री महिमा बड़ी…’ की शानदार प्रस्तुति दी। इसी क्रम में वरिष्ठ राजस्थानी कवि डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने ‘खिंडग्या बैम रा काळा बादळ…’ की जोरदार प्रस्तुति दी।
कवि कैलाश टाक ने अपनी हिन्दी रचना ‘मंगल पर जीवन, क्या अमंगल करोगे…’ के माध्यम से आकाश की अलग तस्वीर रखी। युवा कवि विप्लव व्यास ने अपनी राजस्थानी रचना में आकाश को एक नए अंदाज से प्रस्तुत किया। कवि डॉ. नृसिंह बिन्नाणी ने ‘गगन मंडल का विस्तार असीम…’ प्रस्तुत कर अपनी बात रखी।
युवा कवि गिरिराज पारीक ने अपनी कविता के माध्यम से आकाश में होने वाली खगोलीय घटनाओं को केंद्र में रखा, तो जनाव शकूर बीकाणवी ने राजस्थानी रचना ‘म्हारा जी नीं लागै’ के माध्यम से आकाश पर केंद्रित रचना प्रस्तुत की। इसी क्रम में युवा कवि गंगाबिशन बिश्नोई ने अपनी नई राजस्थानी कविता के माध्यम से आकाश की आभा को प्रस्तुत किया और गीतकार हरिकिशन व्यास ने अपने गीत के माध्यम से आकाश की महिमा रखी।
कार्यक्रम में डॉ. फारूक चौहान, हरिनारायण आचार्य, अशोक शर्मा, भैरू रतन रंगा, घनश्याम ओझा, पुनीत कुमार रंगा, भवानी सिंह, राजेश रंगा, अरूण व्यास सहित अनेक श्रोताओं ने इस आभै की आभा के मिठास से सरोबार हुए। सभी का आभार आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।