सावन माह में श्रीशिवमहापुराण कथा का श्रवण चित्त की शुद्धि करता है’-पं श्रीअशोक पारीक

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बीकानेर, 03 जुलाई। परम पूज्य ब्रह्मलीन श्रीस्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज की पावन स्मृति में श्रीलालेश्वर महादेव मंदिर में श्री शिवमहापुराण कथा का तृतीय दिवस मंदिर अधिष्ठाता पूज्य स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज के सान्निध्य में आयोजन हुआ।

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इस अवसर पर पूज्य श्री स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज ने ’गीता तत्व’ पर विमर्श करते हुए कहा कि गीता भगवान् श्रीकृष्ण का वाङ्गमय विग्रह है। निष्काम कर्मयोग की व्याख्या करते हुए स्वामी जी ने कहा कि प्रतिदिन पंचमहायज्ञ को आदर व कृतज्ञता से करने वाले साधक की सात्विक कामनाओं को भगवान पूर्ण करते हैं।

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कथा प्रवक्ता पं. श्री अशोक जी पारीक ने श्रीशिवमहापुराण की महिमा बताते हुए कहा कि भगवान शिव अपने भक्त पर सदैव कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। शिव का पूजन एक शिव भक्त द्वारा े शास्त्रीय विधि अनुसार ही होना चाहिए। पं. पारीक जी ने 12 माह के 12 दान के बारे मंे विस्तार से बताया तथा नारद विवाह, विश्व-मोहिनी तथा कुबेर कथा के बारे में विस्तार से बताया।

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मानव प्रबोधन प्रन्यास के विजेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कथा के मुख्य यजमान हरीशचंद्र शर्मा सत्पनीक आशा शर्मा तथा राजकुमार कौशिक आशा कौशिक, भवानीशंकर व्यास कंचन व्यास यजमान की भूमिका में थे। रविवार, दिनांक 04.08.024 को भगवान श्रीशंकर-पार्वती माता का विवाह का प्रसंग होगा।

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