साहित्यिक विधा एक सृजनात्मक कार्य- प्रोफेसर डॉ. बिनानी
- पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी में जमा रंग
बीकानेर , 22 दिसम्बर। पर्यटन लेखक संघ- महफिले अदब द्वारा 22 दिसंबर रविवार को गंगाशहर रोड़ स्थित होटल मरुधर हेरिटेज में साप्ताहिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई । काव्य गोष्ठी के तहत हिंदी-उर्दू के रचनाकारों ने उत्कृष्ट रचनाएं सुना कर खूब दाद लूटी । काव्य गोष्ठी के अध्यक्ष पूर्व प्रिंसिपल, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी थे । मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि कमल किशोर पारीक तथा संयोजक राजस्थान उर्दू अकादमी के पूर्व सदस्य, आकाशवाणी के उद्घोषक व वरिष्ठ शायर असद अली असद थे ।
काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व प्रिंसिपल, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने कहा कि साहित्यिक विधा एक सृजनात्मक कार्य है। साहित्य का अर्थ मानवीय अभिव्यक्ति से लिया जाता है । शायरी, कविताएं आदि साहित्य विधा की प्रमुख उप विधाएं हैं । प्रोफेसर डॉ. बिनानी ने कहा कि इनके सृजन के लिए रचनाकार में मानवीय विवेक, अनुभवों, भावनाओं, विचारों, संवेदनाओं और कल्पनाओं की आवश्यकता होती है।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि कवि कमल किशोर पारीक ने मानव जीवन के विभिन्न आयामों को शब्दों में पिरोते हुए-
“जिंदगी खांडे की धार है बंदे,
जिंदगी रस्सी पे चलती बंजारन है बंदे।”
रचना प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी ।
काव्य गोष्ठी के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. बिनानी ने जयपुर अग्नि काण्ड पर संवेदनाओं भरी अपनी कविता प्रार्थना के रूप में इस प्रकार प्रस्तुत की –
“पीड़ितों की रक्षा करो”
आओ मिलकर सभी
प्रभु से हाथ जोड़कर
यही “एनबी”अरदास करो ।
काव्य गोष्ठी में शायर इमदाद उल्लाह बासित ने दिल पर केंद्रित अपनी शायरी “कितना नादान ए दिल तू क्या चाहता है” शायराना अंदाज में प्रस्तुत कर सभी को जज्बाती बना दिया । आयोजक संस्था के वरिष्ठ शायर डॉ. जिया उल हसन कादरी ने “दिल भी दिल्ली का धड़कता तो धड़कता कैसे” रचना सुनाई । काव्य गोष्ठी के संयोजक शायर असद अली असद ने आज के दौर की हकीकत बयान करती अपनी गजल – जाने क्या हो गया इस दौरे सहाफत को ‘असद’- सुना कर वाही वाही हासिल की । वरिष्ठ कवि डा.जगदीश दान बारहठ ने – प्रभु से जिसका संबंध है – शीर्षक से जोशीले अंदाज में अपनी कविता प्रस्तुत की ।
वरिष्ठ कवयित्री मधुरिमा सिंह ने अपनी रचना – काश में नदी होती- सुना कर काव्य गोष्ठी में रंग जमा दिया । कवि धर्मेंद्र राठौड़ ‘धनंजय’ ने तरन्नुम में – एक दिन हम भी जमाने से चले जाएंगे – शीर्षक से अपनी रचना सुना कर कार्यक्रम को एक नया आयाम दिया । इस अवसर पर श्री डूंगरगढ़ से आई कवयित्री श्रीमती भगवती पारीक ‘मनु’, वरिष्ठ शायर वली गौरी रजवी ‘वली’, अमर जुनूनी ने भी अपनी अपनी शानदार रचनाएं प्रस्तुत कर काव्य गोष्ठी में समां बांध दिया। अंत में दिवंगत गायक रफीक सागर के असामयिक निधन तथा जयपुर अग्नि काण्ड में दिवंगत आत्माओं के लिए दो मिनिट का मौन रख कर शोक व्यक्त किया गया ।