व्यक्तित्व को परिमार्जित करता है साहित्य- प्रोफेसर एच. आर. ईसराण

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बीकानेर , 8 जनवरी। साहित्य का समुचित अध्ययन व्यक्तित्व को परिष्कृत व परिमार्जित करता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर उसे उत्साह व उत्कर्ष की ओर लेकर जाता है। ये विचार प्रोफेसर एच. आर. ईसरान ने राजकीय लोहिया महाविद्यालय में भाषा एवं साहित्य क्लब द्वारा आयोजित विस्तार व्याख्यान में दिया। प्रोफेसर ईसराण ने अंग्रेज़ी साहित्य को आधार बनाकर मानव मन और समाज की सूक्ष्म पड़ताल और समीक्षा की। उन्होंने कहा कि इस संसार की जटिलम रचना इन्सान है जिसे समझना जितना मुश्किल है उतना ही आसान है । साहित्य मानव मन की परतों को समाज के सामने उधेड़ने का काम करता है और विविध परिस्थितियों में मानव व्यवहार के विभिन्न पक्षों को उजागर और उद्घाटित करने का काम करता हैं। उन्होंने विविध भाषाओं और उनके साहित्य के अन्तर्संबंधो पर प्रकाश डाला।

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कार्यक्रम में प्रोफेसर कमल कोठारी ने भाषा, साहित्य, संस्कृति और इतिहास के साथ भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में निहित संस्कृति के उदात्त मूल्य विश्व के सामने हमारी श्रेष्ठता के उदाहरण हैं । हमें भारतीय ज्ञान परम्परा में निहित उदात्त मानवीय मूल्यों को आत्मसात् कर वर्तमान को बेहतर बनाना चाहिए। हमारी ज्ञान परम्परा मनुष्य से मनुष्य के प्रेम को ही प्रतिष्ठित नहीं करती अपितु प्राणीमात्र के प्रति दया और प्रेम के भाव को बढ़ावा देती है ।

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इस अवसर पर उर्दू के प्रोफेसर डॉ़ शमशाद अली ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा सभी साहित्य में समाहित हैं । उन्होंने भाषाओं की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि उर्दू इसी हिन्द की जमीं से जन्मी है । उन्होंने ने आगे कहा कि उर्दू भाषा हिन्दुस्तान की आम अवाम की भाषा है। सामान्यजन हिन्दी से भी ज़्यादा दैनिक जीवन में उर्दू से काम लेते हैं ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर डॉ. मंजु शर्मा ने कहा कि इस कॉलेज के भाषा विज्ञान के चारों विभागों ने मिलकर भाषा एवं साहित्य क्लब का गठन किया और ये निर्णय किया कि भाषाओं के संवर्धन के साथ भाषाओं और साहित्य के अन्तर्संबंधो से विद्यार्थियों को रूबरू करवाने के लिए सामूहिक रूप से कार्यक्रम आयोजित किए जायेगे । ये एक नवीन पहल है इससे विद्यार्थियों को न केवल लाभ होगा अपितु उनमें भाषा और साहित्य के प्रति समझ भी विकसित होगी।

कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रोफेसर डॉ. मूलचंद ने अतिथियों का स्वागत किया और कहा कि भाषा और साहित्य क्लब के माध्यम से हर महीने में विद्यार्थियों को विषय विशेषज्ञों से रूबरू करवाया जाएगा और क्लब के माध्यम से भाषा व साहित्य के प्रति विद्यार्थियों की समुचित समझ को विकसित करने का प्रयास किया जायेगा। संचालन प्रोफेसर डॉ. संजु झाझडिया ने किया ।इस अवसर प्रोफेसर डॉ सुमेर सिंह, प्रोफेसर जावेद खान सहित हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत व उर्दू के पीजी के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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