साहित्यकार विमला महरिया को विद्या वाचस्पति की उपाधि

बीकानेर , 27 मई। प्रख्यात कवयित्री , साहित्यकार , समाजशास्त्री ,समीक्षक एवं शिक्षाविद् विमला महरिया को मोहन लाल सुखाडिया , विश्वविद्यालय द्वारा उनके द्वारा समाजशास्त्र विषय में किए गये शोध कार्य के लिए विद्या वाचस्पति की उपाधि से विभूषित किया गया है ।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

इस अवसर पर शोध निर्देशिका डॉ० आशा गुप्ता, विभागाध्यक्ष डॉ० पूरनमल यादव, प्रोफेसर राजू सिंह, प्रोफेसर ज्योति उपाध्याय (एक्टर्नल) , डॉ० कामिनी व्यास सहित अन्य विभागीय अधिकारी और शोधार्थी उपस्थिति रहे । उल्लेखनीय है कि विमला महरिया ने डॉ० आशा गुप्ता के निर्देशन में “स्वास्थ्य और सामाजिक विकास में योग की भूमिका : राजस्थान का एक समाजशास्त्रीय अध्ययन विषय पर अपना शोध कार्य पूर्ण किया है ।

mmtc
pop ronak

अपने इस शोध में उन्होंने सामाजिक विकास में योग की भूमिका का विशद् अध्ययन किया है जिसमें व्यक्ति द्वारा योग को आत्मसात किये जाने के परिणामस्वरूप होने वाले सकारात्मक प्रभावों और परिणामों का व्यक्तिगत , पारिवारिक , सामाजिक , आर्थिक, सामरिक और पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय रूप में अनुसंधान किया है ।

khaosa image changed
CHHAJER GRAPHIS

महरिया ने अपने शोध प्रबंध में योग को व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभकारी बताते हुए सामाजिक विकास में इसकी आवश्यकता और महत्व को बताया है । उन्होंने बताया कि समाजशास्त्र विषय योग से पूर्णतः अछूता रहा है अतः सामाजिक विकास के लिए वैज्ञानिक आधार पर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस प्रकार का शोध अध्ययन करना अत्यावश्यक है क्योंकि भारतीय ज्ञान परम्परा में वैदिक काल से ही योग तथा विज्ञान का सामंजस्य देखने को मिलता है । यही आधारभूत कारण है कि योग का समाजशास्त्रीय दृष्टि से शोध अध्ययन करना अपेक्षित और अनिवार्य है ।

ज्ञातव्य है कि विमला महरिया साहित्य जगत में निरंतर सक्रिय हैं और इनकी लगभग दो दर्जन से अधिक पुस्तकें तथा आधा दर्जन शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। अपने बहुआयामी और उपयोगितावादी लेखन क्षमता के कारण विभिन्न राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं से सम्मानित हो चुकी हैं ।

bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *