युक्ति पूर्वक जीवन जीएं -के.के. बिश्नोई

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सांचौर, 23 फ़रवरी । जांभाणी साहित्य अकादमी बीकानेर एवं विवेक विद्या मंदिर सांचौर के संयुक्त तत्वावधान में ‘गुरु जंभेश्वर की शब्द वाणी में जुगती-मुगती की अवधारणा’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के युवा, वाणिज्य खेल एवं उद्योग मंत्री के. के. बिश्नोई ने गुरु जंभेश्वर भगवान द्वारा बताई गई शब्दवाणी एवं 29 नियमों की आचार संहिता का पालन करते हुए युक्ति पूर्वक जीवन जीने का आह्वान किया। उन्होंने “दोयम मन दोयम दिल सिवी न कथा” शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि जब तक किसी एक विषय पर हमारा मन स्थिर नहीं होगा तब तक किसी भी कार्य को कुशलतापूर्वक पूर्ण नहीं किया जा सकता।

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संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे पूर्व राज्य मंत्री सुखराम बिश्नोई ने सदाचार युक्त जीवन जीने की अपील करते हुए कहा कि अगर हमारा तन और मन स्वस्थ व शांत है तो इसी जीवन में यहीं मोक्ष है।विशिष्ट अतिथि एवं सांचौर के पूर्व विधायक हीरालाल विश्नोई ने सत्य की राह पर चलकर नैतिकता युक्त जीवन जीने पर बल दिया। विशिष्ट अतिथि व सेवानिवृत्ति विकास अधिकारी मोहनलाल बिश्नोई रोटू ने जीवन में नैतिकता की आवश्यकता पर विचार प्रकट किए।

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अकादमी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संगोष्ठी की विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर डॉ इंन्द्रा ने जंभेश्वर भगवान के साहित्य को बढ़ावा देने एवं अकादमी के विभिन्न कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। अकादमी के पूर्व महासचिव प्रोफेसर डॉक्टर सुरेंद्र खीचड़ ने संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए मुकाम में निर्माणाधीन साहित्य सदन में अंशदान करने की अपील की।

संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता डॉ विष्णु दास वैष्णव ने नवधा भक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भक्ति ही एक ऐसा मार्ग है जो मोक्ष प्रदान कर सकता है। विशिष्ट वक्ता डॉ. हुसैन खान शेख ने कहा कि गुरु जंभेश्वर भगवान की शब्द वाणी ही एक ऐसा मार्ग है जिसके द्वारा पुनर्जन्म से छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है।

श्री गुरु जंभेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ के निदेशक प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश विश्नोई ने पर्यावरण प्रदूषण पर गहरी चिंता जताते हुए जूट का बैग उपयोग करने की बात कही। प्रोफेसर डॉ. मिलन बिश्नोई ने जीवन जीने की कला पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु जंभेश्वर ने 29 नियमों की आचार संहिता एवं शब्दवाणी में जीवन जीने की कला बताई है और यही एक मात्र ऐसा मार्ग है जिससे युक्ति पूर्वक जीवन जी कर मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।

इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर दिनेश खिलेरी राजकीय महाविद्यालय गुड़ामालानी ने गुरु जंभेश्वर भगवान की शब्दवाणी को अपना जीवन मूल्यों से जोड़ने की बात कही। विशिष्ट वक्ता एसीबीइओ भीखाराम बिश्नोई ने पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन हेतु दिए गए बलिदानों का जिक्र किया। बीरबल बिश्नोई ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया वहीं अंत में संगोष्ठी संयोजक गोरधन राम बांगड़वा ने धन्यवाद व्यापित किया। संगोष्ठी में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश सहित राजस्थान के विभिन्न कोनों से बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कुलदीप साऊ ने किया।

स्मारिका का हुआ विमोचन
इस अवसर पर जांभाणी साहित्य अकादमी के महासचिव विनोद जंभदास द्वारा संपादित पंचवर्षीय स्मारिका एवं डॉ. उदाराम खिलेरी द्वारा संपादित ‘जंभवाणी की कुंडलियां’ एवं ‘जलते दीप’ पुस्तक का भी विमोचन किया गया।

भामाशाहों का हुआ सम्मान
संगोष्ठी के आयोजन में आर्थिक सहयोग प्रदान करने वाले भामाशाहों एवं जांभाणी साहित्य में पीएचडी करने वालों को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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