लोकमत के सम्पादक वरिष्ठ पत्रकार अशोक माथुर का निधन नमन
बीकानेर ,14 अक्टूबर। बीकानेर के वरिष्ठ पत्रकार अशोक माथुर का जयपुर में निधन हो गया। वरिष्ठ पत्रकार अशोक माथुर का कल देर रात जयपुर में निधन हो गया। वे 72 वर्ष के थे। आठ अगस्त 1952 को जन्में माथुर पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे।उनकी देह बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज को सौंपी जाएगी। शाम करीब चार बजे उनके निवास से अंतिम यात्रा रवाना होगी। माथुर के निधन की खबर सुनकर पत्रकार जगत सहित बीकानेर में शोक की लहर छा गयी। मिलनसार , हंसमुख व्यक्तित्व के धनी अशोक माथुर संघर्षशील व प्रखर पत्रकार थे। इनके सान्निध्य में अनेक पत्रकार पत्रकारिता सिख कर निकले। निष्पक्ष पत्रकार के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई। माथुर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों के जानकार और प्रखर वक्ता थे। सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी हरिशंकर आचार्य ने उनके निधन पर शोक जताया है। थार एक्सप्रेस परिवार उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता है।
बीकानेर के ही एक वरिष्ठ पत्रकार मोहन थानवी ने अशोक माथुर की खबर सुनकर त्वरित अपनी ताजा याद में लिखा कि बीकानेर में लोकमत प्रेस भवन अंबेडकर सर्किल पर स्थित है । इस भवन के तहखाना में प्रिंटिंग प्रेस लगी हुई थी । इस प्रेस को अपने बोध-समय से ही हम जानते हैं । प्रिंटिंग प्रेस भले ही तहखाना में लगी हो लेकिन प्रातः स्मरणीय स्वर्गीय श्री अंबालाल माथुर, अविनाश माथुर और अशोक माथुर के मन मुक्त आकाश की भांति हमारे समक्ष रहे हैं। किसी को भी उनके मन में कोई तहखाना कभी भी अनुभूत नहीं हुआ । अशोक माथुर हमारे बड़े भाई के समान है । उन्होंने अपनी कलम सदैव अन्याय के विरुद्ध चलाई। ग्रामीण क्षेत्र के किसान अशोक माथुर की चलाई कलम की बदौलत अपने संघर्ष को विजय की ओर बहुत सी बार ले गए हैं । यह किसी से छुपा हुआ नहीं है । अशोक माथुर राजनीति में विशेष रुचि होने के कारण विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं ।लोकमत नवलेखक, नव-पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
अशोक माथुर के साथ बिताए अंतिम मुलाकात के कुछ क्षण मैं कभी बिसरा नहीं सकूंगा। इन क्षणों में आदरणीय स्वर्गीय दिनेश सक्सेना भी हमारे साथ थे । माथुर साहब के हाथ में फ्रैक्चर हुआ था और मैं उनसे मिलने पहुंचा था। यह अगस्त महीने के तीसरे सप्ताह के आरंभ की बात है। एक और बात अशोक माथुर जी की कही हुई याद आती है की बीकानेर में गोगा गेट पर जहां अभी आयुर्वेदिक औषधालय संचालित है, वहां बहुत पहले अंबालाल जी माथुर, वैद्य दीनानाथ जी सहित बीकानेर की कुछ शख्सियतों ने आयुर्वेद कॉलेज निर्माण के लिए संघर्ष किया था। अशोक माथुर साहब ने बताया था कि उनके तहखाना में इससे संबंधित महत्वपूर्ण कागजात सुरक्षित है ।इसके अलावा बीकानेर की बहुत सी गतिविधियों से संबंधित कागजात भी तहखाना में है । इस बात के कुछ वर्षों बाद उन्होंने तहखाना की सफाई की और उस सफाई अभियान में न जाने कितने कागज इधर से उधर हुए यह मैं नहीं जानता। हां उन्होंने एक बार यह जरूर कहा था कि इतने कागजों में अब जो वांछित कागज ढूंढने बैठते हैं तो बड़ी मुश्किल से मिलते हैं या नहीं मिल पाते। इस काम में सहयोग की जरूरत है । पर मुझे अफसोस है मैं उनके उस काम में सहयोग नहीं कर पाया। आज वे दैहिक रूप में हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी दी हुई शिक्षाएं/ सीख हमारे साथ हमेशा है । उनका आशीर्वाद हमारे साथ हमेशा है। मैं उन्हें दिल की गहराइयों से नमन करता हूं – मोहन थानवी