भगवान महावीर ने कहा संयम से जिओ संयम से जीने दो


भगवान महावीर का 2624 वां जन्म कल्याणक धूम धाम से मनाया गया



बीकानेर 10 अप्रेल। भगवान महावीर के 2624 वें जन्म कल्याणक का आयोजन गौड़ी पाश्र्वनाथ मन्दिर परिसर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुभ शुरूआत गच्छाधिपति श्रुत भास्कर श्रीमद् विजय धर्मधुरन्दर जी महाराज साहब के मुखारबिन्द से नमस्कार महामंत्र का श्रवण करके हुई। जैन महासभा कि महिला विंग ने मंगलाचरण “जपलो रे जरा रटलो रे जरा” प्रस्तुत किया।



भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी ने अपने उद्बोधन देते हुए कहा कि भगवान महावीर एक सिद्ध पुरुष थे। उन्होंने जो उपदेश दिया उससे पूर्व उन्होंने अपने पर प्रयोग किया । भगवान महावीर ने कहा कि क्रोध को उपसम करो । जहाँ क्रोध की परिस्थिति उत्पन्न हो वहाँ अपने आप को शांत रखने का प्रयास करें। मौन धारण कर लेवे। दुखों का अंत करने के लिए अपने पर नियंत्रण करो, मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करो, प्रयोग करो। अपनी आत्मा को जीतो। अपने आप को अच्छा बनाने का प्रयास करो। चेहरे से ज्यादा चरित्र को शुद्ध करो । अपने मन को शांत बनाओ। हमें भगवान महावीर के सिद्धांतों को जीवन और व्यवहार में उतारने की आवश्यकता हैं। अनशन, उन्नौद्री, तप,जप, स्वाध्याय का निरंतर प्रयास करना चाहिए। जनता भौतिकतावादी बन गई है। उपभोग परिसीमन का सिद्धांत अपनाने की आवश्यकता है। आज का जनमानस विवाह शादियों में आडंबर बहुत करता है। भोजन में बहुत झूटन डालते हैं असंयम ही सभी समस्याओं की जड़ है संयम ही जीवन है। भगवान महावीर ने आत्मानुशासन की बात कही है । मनुष्य कर्म से महान बनता है, जन्म से नही। किसी भी स्थित में आत्म हत्या नही करे। जन्म नही जीवन को बदलो। श्रमण संस्कृति मतलब श्रम का जीवन न कि सट्टा जुआ। मेहनत से कमाने की बात हो। मुनि श्री ने आगमवाणी की व्याख्या करते हुए कहा कि जिणाणां जावयाणं, तिन्नाणां तारयाणं, बुद्धाणां बोहयाणं, मुत्ताणां मोयगाणं अर्थात् जिन बनने का अभ्यास करें और दूसरों को भी प्रेरित करें, स्वयं भवसागर से पार होने का प्रयास करें और दूसरों के भी सहयोगी बने, स्वयं ज्ञानवान बने और दूसरों को भी ज्ञानवान बनाने में सहयोगी बने, स्वयं मोक्ष मार्ग का अनुसरण करें और दूसरों को भी प्रेरित करें
गच्छाधिपति आचार्य श्री धर्म धुरंधर जी ने इस अवसर पर कहा कि उन्हें आज अनंत उपकारी 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव को बीकानेर में मनाने का अवसर मिला है। आज विश्व भी बारूद के ढेर पर खड़ा है। परमात्मा के शरण में जाकर ही हमारा बचाव संभव है। परमात्माओं की आज्ञा पालन करना ही हमारा धर्म हैं। भगवान की आज्ञा को समझे एवं हार्द को समझें और उसके रूप में जीवन जीने का प्रयास करें। श्रमण भगवान महावीर का जीवन प्राणीमात्र के कल्याण के लिए था। भगवान महावीर ने सिद्धांतों की नौक तैयार की। सिद्धांत रूपी नौका को जीवन और व्यवहार में उतारकर भवसागर से पार हो सकते हैं।
शांतिनिकेतन साध्वी सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री लब्धि यशा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज जैन धर्म की दीपावली है। आज भगवान महावीर का जन्म दिवस खुशी का दिन है , आत्म चिंतन का दिन है। जिस महापुरुष का आज हम जन्म दिवस मना रहे हैं वह प्रत्यक्ष रूप से यहाँ नहीं है। असाधारण व्यक्ति का जन्म दिवस युगों युगों तक मनाया जाता है। आग्रह, विग्रह और संग्रह आज के युग में यह तीन सबसे बड़ी समस्या है। भगवान महावीर के सिद्धांत इन तीनों समस्याओं का समाधान करने में सक्षम है। अनेकांत का सिद्धांत व्यवहार में उतर जाए तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। अनेकांत का सिद्धांत मेल- जोल बढ़ाने वाला है। हमें किसी भी चीज का आग्रह नहीं करना चाहिए। ऐसा ही होगा की जगह ऐसा भी हो सकता है इन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। बात-बात में लड़ना झगड़ना आज की मुख्य समस्या बन गई है। हमें शांति के साथ जीवन व्यतीत करना चाहिए। हर व्यक्ति के गुण की ओर देखना चाहिए गुणानुवाद का अभ्यास करना चाहिए। हर व्यक्ति की अच्छाइयों को देखें और उनके अच्छाइयों का बहुमन करें। भगवान महावीर के सिद्धांत उस समय भी जितने प्रासंगिक थे उतने ही आज भी हैं। हम भगवान महावीर के सिद्धांतों पर चलें। भगवान महावीर के दिए हुए सिद्धांतों को क्या हम आज अपने जीवन और व्यवहार अपना रहे हैं यह चिंतनीय विषय है। मुनिश्री श्रेयांस कुमार ने भगवान महावीर के जन्मकल्याणक पर गीतिका प्रस्तुत कि “आयो आयों अवसर अनमोलो”।
साध्वी श्री प्रशम यशा जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति अमृतमय है। जन्म जयंती महापुरुषों की मनाई जाती है राजा महाराजाओं की नहीं। भारत में जो राग द्वेष को जीत लेते हैं वह हमारे आदर्श बन जाते हैं। अपरिग्रह का सिद्धांत भगवान महावीर ने दिया। अपरिग्रह का अर्थ है धन संपत्ति में अपनी संग्रह प्रवृत्ति को कम करना। मुर्छा को कम करना। भगवान् महावीर स्वामी का श्रावक आनंद इसका उदाहरण है। जिसके पास अपार संपत्ति होने के बाद भी धन संपत्ति के प्रति थोड़ा सा भी मोह नहीं था एवं अपने उपयोग के लिए एक सीमा तय कर रखी थी। भगवान महावीर को एकांत पसंद था और उन्होंने अपरिग्रह का सिद्धांत देखकर मानव मात्र को ध्यान साधना की तरफ बढ़ाने का मार्ग प्रस्तुत किया । अहिंसा का सिद्धांत भगवान महावीर का मुख्य सिद्धांत था उसे की वजह से ही 2624 वर्षों में कभी भी जैन धर्म के अनुयाई यों ने कभी हिस्सा का सहारा नहीं लिया अनेक को संघर्षो का अवसर आया, लेकिन शांति पूर्ण तरीके से उन समस्याओं का समाधान किया । आज हमारे जैन समाज में शादी विवाह में अनेक बुराइयों का आगमन हो गया है फूलों की होली कितनी पापकारी है लेकिन आज हर जैन समाज के विवाह शादियों में फूलों की होली के माध्यम से पापकारी प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं । पूल पार्टी भी एक बहुत बड़ी हिंसा की कारण बनी हुई है पापकारी प्रवृत्तियों से बचने का प्रयास करना चाहिए । शराब की स्टॉल लगाना नशा प्रवृत्ति को बढ़ावा देना समाज को पतन की ओर ले जाने का मार्ग है। जैन महासभा ने समाज में समरसता बनाने के लिए विवाह शादियों एवं अन्य आयोजनों में 21 व्यंजन सीमा का अभियान चलाया है जो बहुत ही अनुकरणीय हैं। इस अभियान से समाज के प्रतिष्ठित लोगों को जुड़ना चाहिए जिससे आम लोग अपने आप जुड़ जाएंगे । बड़े लोगों को धनी लोगों को इसमें आगे आकर पहल करनी चाहिए। इस अभियान जो भी जुड़े उन सभी का सम्मान समारोह भी रखना चाहिए। जियो और जीने दो का संदेश हमारे किसी भी आगम में नहीं है । जागो और जगाओ ही हमारा सिद्धांत है । संयम से जिओ और संयम से जीने की प्रेरणा दो।
वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुरेन्द्र बद्धानी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि आज बहुत ही खुशी का दिन है भगवान महावीर का जन्म दिन और आज के दिन हमारे परमपूज्य गच्छाधिपति श्री धर्मधुरन्दर जी महाराज साहब और उग्रविहारी तपोमूर्ति कमल मुनि जी का हमें सान्निध्य प्राप्त हुआ है। गुरूदेव इतने सरल है कि कोई छोटा बच्चा भी इनको कुछ कह दे तो वे उधर मुड़ जाते है और ऐसे ही हमारे मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी जिन्होंने पूरे गंगाशहर में एक जोश भर दिया है। आज हम आप सभी चारित्रात्माओं का स्वागत करते है। जैन महासभा के अध्यक्ष हमारे विनोद बाफना जी जो इतनी तीर्व बुद्धी वाले है भगवान महावीर पार्क को लेकर कितना संघर्ष किया। सुरेन्द्र जी ने पधारे सभी श्रावक श्राविकाओं का स्वागत किया।
निवर्तमान अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड़ ने जैन महासभा का परिचय ओर गतिविधियों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। महावीर जयंती शोभा यात्रा, मुख्य समारोह, क्षमापना दिवस, तप अभिनन्दन समारोह, शिक्षा को बढावा देने के लिए जरूरत मद विधार्थियो को सहायता, विवाह शादीयों व अन्य आयोजनों में 21व्यजंन सीमा अभियान सामाजिक समरसता बढाने के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। प्रति वर्ष जैन कलेण्डर का प्रकाशन वितरण, प्रोफेशनल सम्मेलन का आयोजन, प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन। आदि अनेक कार्य जैन महासभा प्रति वर्ष करती है।
बीकानेर दिगम्बर नसिया जी से शोभा यात्रा को पुलिस अधिकारी सौरभ तिवारी , जयचंद लाल डागा ,विनोद बाफना, विजय कोचर , प्रवीण मित्तल जैन , धनेश जैन , सुरेन्द्र जैन इत्यादि जैन समाज के लोगों ने झंडी दिखलाई। गंगा शहर में शोभा यात्रा को झण्डी सुमन छाजेड़ , मोहन सुराणा, डीफओ संदीप छलाणी, जैन लूणकरण छाजेड़,मेघराज बोथरा , अमर चन्द सोनी, पीयूष लूमिया, दिलीप कातेला, चंचल बोथरा इत्यादि कार्यकर्ताओं ने दिखाई। मनोज सेठिया ने भगवान महावीर जन्म कल्याणक पर आयोजित शोभा यात्रा में झांकियो के बारे मे जानकारी देते हुए बताया कि छोटे छोटे बच्चों के द्वारा बहुत ही सुन्दर झांकिया प्रस्तुत कि गई कुल 47 झांकिया थी। महामंत्री मेघराज बोथरा ने सभी का आभार ज्ञापन किया।
कार्यक्रम में पूर्व महापौर नारायण चोपड़ा , भाजपा शहर अध्यक्ष सुमन छाजेड़ , जयचन्दलाल डागा, विजय कोचर, चम्पकमल सुराणा, इन्द्रमल सुराणा, जसकरण छाजेड़, बसन्त नौलखा, गणेश बोथरा, अमरचन्द सोनी,जतनलाल संचेती , रतनलाल छलाणी ,दीपक कातेला ,हंसराज डागा, विजय बाफना, पवन छाजेड़, संजय सांड, विनोद सेठिया, विजय लोढ़ा, मेघराज सेठिया, सुरपत बोथरा, कन्हैयालाल बोथरा , हनुमानमल छाजेड़ ,राजेन्द्र सेठिया, संजय कोचर , संजय जैन सांड, विजय लोढ़ा,सुनीता बाफना, ममता रांका, विनीता सेठिया, शांता भूरा, वशु सिंघी , सीमा बांठिया, मुकंद दशानी , महिला मंडल , युवक परिषद् , किशोर मंडल के सदसयगण आदि भी अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का कुशल संचालन जितेन्द्र कोचर ने किया।
उद्योगपति बसन्त नौलखा ने उसको 5100 रूपये नगदी सम्मान स्वरुप भेंट किये।
भगवान महावीर का 2624 वां जन्म कल्याणक की पूर्व संध्या पर महावीर प्रार्थना का आयोजन जैन पब्लिक स्कूल में किया गया। जिसमें मगन जी कोचर , राजेन्द्र बोथरा व मुल्तान बैड ने प्रभु महावीर के भजन प्रस्तुत किये।