महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी की महिला नेटबॉल टीम सिलेक्शन में बंदरबांट , जांच की मांग
बीकानेर , 6 जनवरी। महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी भ्र्ष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। अभी पिछले दिनों ही एक सप्लायर को लाखों रुपयों के साथ एसीबी की टीम ने रेंज हाथों पकड़ा था जो परीक्षा विभाग से सम्बन्धित था। इस विश्वविधालय में खुले हाथों सब तरफ लूट चल रही है।
अब खेल विभाग का काला चिट्ठा सामने आया है।
बीकानेर ओलम्पिक एसोसिएशन के अध्यक्ष सीए सुधीश शर्मा ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को लिखा है कि यूनिवर्सिटी की तरफ़ से खेलने के लिए सिलेक्टेड खिलाड़ीयों की जगह अन्य व्यक्तियों को भेजा जा रहा है। किसी खिलाडी द्वारा रोष जताने पर एक्शन की चेतावनी दी जाती है और कहा जाता है कि आप तो बहुत खेले हो का हवाला देते है. इसका तात्पर्य होता है खिलाड़ी की प्रतिभा की जगह तालमेल वाले लोगों को टीम में भेजा जाता है। जिसकी चलते यूनिवर्सिटी की टीमों का परिणाम अच्छा नहीं रहता है।
आलम यह है कि महिला खिलाड़ियों के साथ किसी महिला अधिकारी को ना भेज कर पुरुष को भेज दिया जाता है तथा यूनिवर्सिटी से असम्बन्धित लोगों को भेजा जाता है। बास्केट बॉल महिला टीम के साथ भी यही किया. यूनिवर्सिटी का खेल अनुभाग यशवंत गहलोत एवं टेंपररी कर्मचारी हितेन्द्र मारू के इशारों पर नाच रहा. सरकारी नियमो की खुलम खुला अवहेलना की जारही है। अपनी मर्जी से टीम में नाम जोड़े एवम् हटाए जाते है। शादी शुदा उन महिलाओं को भी टीम में भेज दिया जाता है जिनके छोटे छोटे बच्चे होते है एवम् उनको बास्केटबॉल खेलना तो दूर पकड़ना भी नहीं आता था। इन गतिविधियों के चलते लगता है कि जैसे कोई सर्टिफिकेट बेचने का रैकेट चल रहा है।
पिछले वर्ष भी एक खिलाड़ी निकिता को टीम में नहीं लिया उसका नाम पहले 15 खिलैड़ियो में भी नहीं डाला. विरोध करने पर आनन फानन में उसे अलग से पीछे से भेज टीम के साथ खिलाया गया था। अध्यक्ष, बीकानेर ओलम्पिक एसोसिएशन नेप्रश्न खड़ा किया है कि ये क्या हो रहा है ? सही खिलाड़ी यह सब कैसे सहे ? ऊपर से इंटरनल एग्जाम तय कर दिए, ताकि खिलाड़ी ख़ुद ही बाहर जाने से मना कर दे। उन्होंने इन गतिविधियों की जांच करने की मांग की है ताकि सही खिलाड़ी के अधिकार का नुक़सान ना हो।