देश भर में तेरापंथ के 31 वे विकास महोत्सव पर अनेक आयोजन हुए

गंगाशहर, 12 सितम्बर। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, गंगाशहर के तत्वावधान में शान्ति निकेतन सेवा केन्द्र गंगाशहर में साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी एवं साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी के सान्निध्य में 31वां विकास महोत्सव मनाया गया। आचार्य श्री तुलसी के पट्टोत्सव को विकास महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

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इस अवसर पर साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी सन् 1936 में तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य बने। सन् 1994 में अपने उत्तराधिकारी युवाचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य पद का दायित्व सौपकर एक ऐतिहासिक आदर्श उपस्थित किया।

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वर्तमान युग में भी आचार्य तुलसी ने 60 वर्षों तक अनवरत प्रगति के शिखर पर आरुढ होकर, संगठन में विकास के नए-नए क्षितिज खोलकर, संगठन के सदस्यों का अखंड विश्वास प्राप्त करके, प्रभावी कर्तव्य की छाप छोड़कर सब दिशाओं में बढ़ते हुए वर्चस्व की स्थिति में नेतृत्व की क्षमता होने पर भी, अचानक सुनियोजित रूप से अपने पद का विसर्जन कर प्रेरणा दायी इतिहास बना गये।

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आचार्य श्री तुलसी ने अपने शासनकाल में जितना कार्य किया संभवत: इस शताब्दी में जैन परंपरा में किसी आचार्य ने इतना प्रभावी कार्य एवं नेतृत्व किया है, यह शोध का विषय है।आचार्य तुलसी महान स्वप्नदृष्टा थे। वह केवल नए सपने देखते ही नहीं थे, उन्हें साकार करने के लिए योजनाबद्ध तरीकों से पुरुषार्थ भी करते थे।

आचार्य श्री तुलसी ने अपने जीवन में जागृत रूप से बहुत सपने देखे ओर उन्हें पुरे करने में अथाह पुरूषार्थ किया। उनके बहुत से सपने साकार हुए , उनके सपनों को साकार रूप में हम समाज में देख सकते हैं । आचार्य श्री तुलसी में समय की नब्ज को पहचानने की अद्भुत क्षमता थी। आचार्य तुलसी महान प्रवचनकार थे और महान साहित्यकार भी थे। उन्होंने धर्म संघ में सैकड़ो पुस्तके लिखी। अणुव्रत का प्रवर्तन, प्रेक्षा ध्यान ,जीवन विज्ञान, पारमार्थिक शिक्षण संस्थान ,जैन विश्व भारती लाडनूं विश्व विद्यालय की स्थापना, समण श्रेणी का विकास आदि अनेक कार्य हैं जिसके चलते आचार्य तुलसी को मानव मात्र इन अवदानों के लिए हमेशा याद करता रहेगा।

इस अवसर पर साध्वीश्री प्रांजल प्रभा जी ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु तेरापंथ के संस्थापक आचार्य थे। तेरापंथ की गौरवशाली आचार्य परंपरा में नवमे स्थान पर आचार्य तुलसी का नाम है जो मानवता के मसीहा बनकर जन-जन की आस्था के केंद्र बन गये।

एक संप्रदाय की सीमा में रहकर भी संपूर्ण मानव जाति के लिए काम करने वाले वे जैन संत महान परिवार्जक थे। उन्होंने पूरे भारत की पदयात्रा करके जन-जन को नशा मुक्ति कुरीतियां, बुराइयों से बचने की प्रेरणा दी और मानव मात्र किस प्रकार से अपनी आत्मा को कर्मों से मुक्त कर सके मोक्षगमी बन सके, ऐसा उपदेश दिया। आचार्य तुलसी महान समाज सुधारक थे आगम साहित्य का शोध और प्रकाशन गुरुदेव तुलसी की जैन साहित्य का भण्डार भरा।

विकास महोत्सव के इस अवसर पर गुरुदेव तुलसी के दिए हुए अवदानों का हम स्मरण करके धर्म संघ के इन कार्यों में किसी ने किसी रूप में अपनी भागीदारी जोड़कर हम उनके बताए हुए आदर्श पर चलकर अपने आप को धर्म संघ और समाज की बहुत बड़ी सेवा कर सकते हैं और पाप कर्मों से हल्के हो सकते है। कार्यक्रम में साध्वी श्री स्वस्थ प्रभा जी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में साध्वी मध्यस्थ प्रभा जी ने एक गीतिका का संगान किया व सामूहिक गीतिका का प्रस्तुतिकारण भी किया। मंगलाचरण पवन छाजेड ने किया।

तेरापंथ युवक परिषद से रोहित बैद, तेरापंथी सभा गंगाशहर के मंत्री जतन लाल संचेती, अणुव्रत समिति से करणी दान रांका, महिला मण्डल से मीनाक्षी आंचलिया, आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान से दीपक आंचलिया, श्रीमती रूचि छाजेड़ ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती प्रेम बोथरा ने किया।

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31वें विकास महोत्सव का हुआ आयोजन- महापुरुषों की प्रेरणा से आगे बढ़ने का आह्वान
चेन्नई ,12 सितंबर। तेरापंथ धर्म संघ के विकास महोत्सव के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर मुनि हिमांशु कुमार ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए महापुरुषों के गुणों और उनके समाज के प्रति योगदान पर प्रकाश डाला।

मुनि हिमांशु कुमार ने कहा, “महापुरुष वह होते हैं जो हर परिस्थिति में समत्व की साधना करते हैं, चाहे वह सम्मान हो या अपमान। समत्व का यह गुण उन्हें संतुलित बनाए रखता है और विपरीत परिस्थितियों में भी समाज को कुछ नया देने की क्षमता प्रदान करता है। आचार्य श्री तुलसी ने इसी गुण को अपनाते हुए समाज और राष्ट्र के लिए अद्वितीय योगदान दिया।

कार्यक्रम में मुनि हेमंत कुमार ने भी अपने विचार रखते हुए कहा, “विकास के लिए लक्ष्य की स्पष्टता और उससे जुड़े सम्यक पुरुषार्थ का होना आवश्यक है। विकास के मार्ग में आने वाली चुनौतियाँ हमें सावधान रहने और सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। जब तक हम अपनी इच्छाओं से बंधे रहते हैं, लक्ष्य की प्राप्ति कठिन हो जाती है।
इस महोत्सव का उद्देश्य महापुरुषों से प्रेरणा लेते हुए समाज में नई सोच और विकास की दिशा में आगे बढ़ने का संदेश देना था। कार्यक्रम के अंत में सभी ने आचार्य श्री तुलसी के आदर्शों को आत्मसात करने संकल्प किया।
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तेरापंथी सभा-कोयम्बतूर – द्वारा 31वें विकास महोत्सव का आयोजन

कोयंबतूर , 12 सितम्बर। तमिलनाडु के कोयंबतूर स्थित तेरापंथ भवन में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीप कुमारजी ठाणा-२ के सान्निध्य में ” 31वें विकास महोत्सव” का आयोजन जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा-कोयम्बतूर – द्वारा किया गया।

मुनिश्री दीप कुमारजी ने कहा- आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की सूझबूझ का अवदान विकास महोत्सव हमे मिला। तेरापंथ संघ आज विकास की ऊँचाइयों पर खड़ा है। इसकी विकास यात्रा में हमारे आचार्यों का अनन्य योग रहा है। आचार्यश्री तुलसी ने विकास की रफ्तार को सुपर एक्प्रेस स्पीड में बदल दिया।

विकास महोत्सव का सीधा सम्बन्ध आचार्य श्री तुलसी से है। उन्होंने तेरापंथ के इतिहास में विकास की नई लकीर खींची। मुनिश्री ने आगे कहा – विकास महोत्सव के इस ऐतिहासिक अवसर पर हम सब लोग परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी की अनुशासना में यह संकल्प करें कि आचार्य प्रवर धर्मसंघ के लिए जो नए आयाम उद्‌घाटित करेंगे उसमें हमारा जो योगदान संभव होगा हम प्राणपन से उसके लिए कटिबद्ध रहेंगे। हमारी प्रतिवद्धता संघ का विकास, हमारा विकास और हमारा विकास, संघ का विकास।

मुनिश्री काव्य कुमारजी ने कहा- आचार्य श्री तुलसी का भाग्य प्रवल था और पुरुषार्थ में उनका गहरा विश्वास था। उन्होंने जो सोचा और कहा वह करके दिखाया। विरोधो और संघर्षों ने साये की तरह उनका पीछा किया, पर वे कभी रुके नहीं, झुके नहीं और काम करके थके नहीं।कार्यक्रम में तेरापंथ महिला मंडल – कोयम्बतूर के द्वारा गीत का संगान किया । तेरापंथी सभा अध्यक्ष देवीचन्दजी मंडोत, विजयनगर संभा के पूर्व अध्यक्ष प्रकाशजी गाँधी विजयनगर तेयुप के पूर्व अध्यक्ष-राकेश पोखरणा , तेयुपः विजयनगर के अध्यक्ष कमलेशजी चोपड़ा, किशोर मंडल, विजयनगर के पूर्व संयोजक नमनजी चावत आदि ने विचार रखें। संघ -गान द्वारा कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
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लक्ष्य की ओर गतिशील रहना ही विकास : डॉ साध्वी गवेषणाश्री

चेन्नई , 12 सितम्बर। युवामनीषी आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी डॉ गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में तीर्थंकर समवसरण, जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई में 31वें ‘विकास महोत्सव’ का कार्यक्रम आयोजित हुआ।
साध्वी श्री डॉ गवेषणाश्री जी ने कहा कि विकास उद्धर्वारोहण की प्रक्रिया है। बीज का विकास बरगद है। मंजिल का विकास उसकी नींव है। नींव कमजोर हो तो विकास का सपना व्यर्थ है। आचार्य भिक्षु ने बीज बोया, उसे पल्लवित करने में अनेक आचार्यों का योगदान रहा है। तेरापंथ धर्मसंघ ने अकल्पनीय सर्वांगीण विकास किया। उसमें आचार्य श्री तुलसी का श्रम, प्रेरणा और प्रोत्साहन आधार बना। लक्ष्य की ओर गतिशील रहना ही विकास है।
साध्वी श्री मयंकप्रभाजी ने कहा कि जिसके पास कर्मजाशक्ति, निर्णयशक्ति, इच्छाशक्ति और पुरुषार्थशक्ति हो तो वह विकास के चरम शिखर पर पहुंच सकता है। आचार्य श्री तुलसी विकासपुरुष थे। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंध में विकास के अनेक नये-नये द्वार उद्‌घाटित किए।
साध्वी श्री दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गितिका की प्रस्तुत दी। जेटीएन की महिलाओं के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रेक्षा प्रशिक्षक माणकचंद रांका, उपासिका श्रीमती संगीता डागा, सुरेश रांका ने भी इस विषय पर अपने विचार रखें। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी श्री मेरुप्रभा जी ने किया।
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