सेनानी ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया द्वारा इन्फैंट्री दिवस पर 1 लाख कदम चलने का मिशन
जयपुर , 25 अक्टूबर।भारतीय सेना के गौरव सिख रेजिमेंट के अनुभवी ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया, जिन्होंने चौथी और छठी दोनों सिख बटालियन के साथ काम किया है, इस इन्फैंट्री दिवस समारोह को मनाने के लिए 27 अक्टूबर 2023 को जयपुर में एक लाख कदम चलने की एक उल्लेखनीय यात्रा शुरू करेंगे। इनके एक लाख कदमो में प्रत्येक 100 कदम, 1 सिख बैटल ग्रुप बनाने वाले 1000 सैनिकों के बहादुरी, बलिदान और वीरता को समर्पित है।
संयोग से ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया 28 अक्टूबर को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं, इसलिए वे अपने उल्लेखनीय जीवन में उठाया गया हर कदम भारत माता की महिमा के लिए समर्पित करते हैं। इस 14-15 घंटे की निरंतर पैदल यात्रा के दौरान, ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया जयपुर के किलों और क्षेत्र की ऐतिहासिक प्राचीर को पार करेंगे। उनका मिशन भारतीय नागरिकों को हमारी भारतीय सेना और इन्फेंट्री के सैनिकों के अद्वितीय साहस और बलिदान का सम्मान करने और उनके साथ शामिल होने के लिए प्रेरित करना है, जिनकी वीरता देश की संप्रभुता की रक्षा करने और जम्मू-कश्मीर की अखंडता को बनाए रखने में सहायक थी।
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया ने 4 सिख बटालियन की कमान संभाली। वे गांधी नगर में एक इन्फैंट्री ब्रिगेड और बरेली में माउंटेन डिवीजन के डिप्टी जीओसी थे। उन्होंने भारत के हिमालयी राज्य में 70 साल की उम्र के बाद कई मौकों पर एक ही दिन में 60-70 किलोमीटर से अधिक जयपुर और सरिस्का के आसपास लगभग सभी चोटियों और किलों की ट्रेकिंग की। ब्रिगेडियर गुलिया ने ‘ह्यूमन इकोलॉजी ऑफ़ सिक्किम’ (पीएचडी थीसिस के रूप में भी काम किया), ‘जेनेसिस ऑफ़ डिसास्टर्स’ (2001 में गुजरात भूकंप के मद्देनजर, और पुनर्वास कार्य) जैसी किताबें लिखी हैं और’एन इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिमालय अध्ययन’के15 खंडों और ‘इनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ ह्यूमन इकोलॉजी” के 5 खंड में योगदान दिया ।
भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा हर साल 27 अक्टूबर को इन्फैंट्री दिवस मनाया जाता है। इसका इतिहास अक्टूबर 1947 के आरंभिक स्वतंत्रता दिवस से मिलता है, जब जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन रियासत साम्राज्य में एक महत्वपूर्ण घटना सामने आई थी जब पाकिस्तानी लश्कर और उनकी सेना ने हमला शुरू कर दिया था। इसके जवाब में जम्मू-कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह द्वारा राज्य को पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए सैन्य सहायता मांगने के लिए तत्काल सहायता का आह्वान किया गया। 27 अक्टूबर 1948 को, जम्मू-कश्मीर के इतिहास में इस महत्वपूर्ण क्षण के दौरान, बहादुर पहली सिख बटालियन दुश्मन से लोहा लेने के लिए श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरी। इस साहसी मिशन ने पाकिस्तानी सेना द्वारा श्रीनगर पर कब्ज़ा करने की कोशिश को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अंततः इस क्षेत्र को दुश्मन के हाथों में जाने से बचाया।