बीजेपी की बैठक में कुर्सी नहीं मिलने से विधायक नाराज, तिरंगा यात्रा से ज्यादा कुर्सी चर्चा


- विधायक से आग्रह किया कि- अरे भाई साहब, आगे आओ ना
- विधायक बोले- आपके पास जगह ही नहीं; मंच पर बड़े नेता बैठे हैं
जयपुर , 13 मई। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में तिरंगा यात्रा से ज्यादा कुर्सी चर्चा ज्यादा हुयी। प्राप्त समाचार के अनुसार राजस्थान बीजेपी की सियासत एक बार फिर कुर्सी को लेकर तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी की तिरंगा यात्रा से पहले पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में मंगलवार को बैठक का आयोजन किया गया था। लेकिन यात्रा को लेकर बैठक में कम चर्चा हुई और कुर्सी की ज्यादा हो गई। दरअसल, सिविल लाइन से बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा बैठक में शामिल होने पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने मंच की ओर कदम बढ़ाए, वहां के हालत देख उनके तेवर बदल गए। क्योंकि मंच पर पहले से ही सभी कुर्सियां भरी हुई थी। ऐसे में विधायक शर्मा को उनके कद के अनुसार कोई सीट नहीं मिली, तो वे नाराज हो गए। उन्होंने साफ कहा कि जब मंच पर उनके लिए जगह नहीं है, तो वे कार्यकर्ताओं के बीच ही बैठेंगे।




विधायक के इस फैसले से वहां मौजूद नेता और कार्यकर्ता भी एक्टिव हो गए। शहर अध्यक्ष अमित गोयल ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। उन्होंने विधायक शर्मा से आग्रह किया कि- अरे भाई साहब, आगे आओ ना। मगर व्यवस्थाओं से नाराज विधायक गोपाल शर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि- मंच पर बड़े नेता बैठे हैं, आपके पास जगह तो है ही नहीं।


इसके बाद बैठक का माहौल गड़बड़ाने लगा। इसके बाद शहर अध्यक्ष अमित गोयल ने माहौल को हल्का करते हुए विधायक शर्मा से कहा कि- हमारे दिल में बिठाएंगे आपको। इस पर भी शर्मा ने विनम्रता दिखाते हुए हाथ जोड़कर कहा कि- मैं कार्यकर्ताओं के बीच ही बैठ जाऊंगा।
तिरंगा यात्रा में विवाद की स्थिति बढ़ते हुए देखने के बाद नगर निगम ग्रेटर के डिप्टी मेयर पुनीत कर्नावट अपनी कुर्सी छोड़कर मंच से नीचे आकर कार्यकर्ताओं में बैठ गए। उन्होंने गोपाल शर्मा को अपनी सीट दी। हालांकि कुछ ही देर बाद ही कर्नावट को फिर से मंच पर बुला लिया गया। मामले को और न बिगड़ने देने के लिए डिटी मेयर पुनीत कर्नावट नेअपनी कुर्सी छोड़कर मंच से नीचे आ गए, जो राजनीति में एक दुर्लभ था। उनकी इस पहल की सराहना भी हुई । कुछ ही देर बाद कर्नावट को फिर से मंच पर बुला लिया गया। इस पूरे घटनाम के बाद आयोजकों की नींद खुली और मंच पर फटाफट दूसरी पंक्ति मेंअतिरिक्त कुर्सियां लगवा दी गयी , ताकि किसी और नेता की नाराजगी का सामना ना करना पड़े।
हालांकि इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक बार फिर जयपुर शहर बीजेपी की अंदरूनी सियासत जग जाहिर हो गई। वहीं अब इस मुद्दे पर शहर बीजेपी के नेता कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं। जयपुर के इस कुर्सी पुराण ने यह जता दिया कि राजनीति में कुर्सी का ही महत्व होता है विषय तो गौण हो जाते हैं।