मोहित का यूँ चले जाना जिंदगी का बड़ा हादसा है ! थार एक्सप्रेस परिवार में 38 वर्षीय युवक मोहित छाजेड़ जो मेरा लाडला था का असमय में स्वर्गवास हो जाने से आपको 17 से 25 फ़रवरी तक समाचार प्रेषित नहीं कर सका। मोहित का यूँ चले जाना जिंदगी का बड़ा हादसा है। अपने पाठकों से क्षमा चाहता हूं कि – जैन लूणकरण छाजेड़
मोहित का यूँ चले जाना जिंदगी का बड़ा हादसा है !
गंगाशहर \ मुम्बई। मूल चन्द छाजेड़ परिवार में 38 वर्षीय मोहित का अचानक स्वर्गवास हो जाने से छाजेड़ , बैद व सामसुखा परिवार सहित गंगाशहर व मुम्बई में शोक की लहर छा गयी। 17 फ़रवरी की अल सुबह परिवार पर कहर बनकर आयी जब आग की तरह यह समाचार सुनने व पढ़ने को मिला की मोहित पुत्र मांगीलाल – मनोहारी (मधु ) छाजेड़ तथा प्रेक्षा का पति व रिषभ का बड़ा भाई इस दुनिया में नहीं रहा। चारों तरफ हाहाकार मच गया , किसी को इस समाचार पर विश्वास नहीं हो रहा था सभी अपने अपने परिचतों से सम्पर्क साध कर बात की सत्यता को जानने का प्रयास कर रहे थे.
पुरे हिन्दुस्तान व दुबई से रिश्तेदार , परिजन व मित्रगण एकत्रित हो गए
देखते देखते पुरे हिन्दुस्तान व दुबई से रिश्तेदार , परिजन व मित्रगण कांदिवली के अलिका नगर, लोखंडवाला स्थित 8 C बिल्डिंग के परिसर में एकत्रित हो गए। परिजनों का रो – रो कर बुरा हाल था ,सभी एक दूसरे को सांत्वना दे रहे थे। 17 फ़रवरी को सायं 4 बजे प्रयाण यात्राअलिका नगर से शुरू हुयी व हिंदू शमशान भूमि, कुरार विलेज, कांदीवाली ईस्ट शमशान घाट पहुंची तो पैर रखने को जगह नहीं थी। अनुज रिषभ ने मुखाग्नि दी तो मोहित का शरीर पंचतत्व मि विलीन हो गया।
परिजनों का रो – रो कर बुरा हाल था ,सभी एक दूसरे को सांत्वना दे रहे थे। 17 फ़रवरी को सायं 4 बजे प्रयाण यात्राअलिका नगर से शुरू हुयी व शमशान घाट पहुंची तो पैर रखने को जगह नहीं थी। अनुज रिषभ ने मुखाग्नि दी तो मोहित का शॉ पंचतत्व मि विलीन हो गया।
विशाल स्मृति सभा का आयोजन
18 फ़रवरी रविवार को तेरापंथ भवन में साध्वी विद्यावती जी की सहवर्ती साध्वियों के सान्निध्य में विशाल स्मृति सभा का आयोजन हुआ। तेरपंथ भवन के ऑडिटोरियम में जगह कम पड़ गयी। समाज का हर वर्ग अश्रु बहते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा था। स्मृति सभा का संचालन कुलदीप बैद ने किया। अनेक सामाजिक संस्थाओं , ट्रस्टों की तरफ से भावांजलि अर्पित की गयी। परिवार की तरफ से जैन लूणकरण छाजेड़ व मांगीलाल छाजेड़ ने परिजनों की तरफ से भावांजलि अर्पित की। खास बात यह रही की परिजनों व रिश्तेदारों ने जैन संस्कृति की अनुपालना में किसी भी तरह के शोक चिन्ह का प्रयोग नहीं किया।
मोहित का आयुष्य बंध इतना ही था – आचार्यश्री महाश्रमण
इस स्मृति सभा के बाद सभी परिजन व रिश्तेदार व मित्रगण वासी में विराजित महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के श्री चरणों में पहुंचे। आचार्य श्री ने 45 मिन्ट से भी ज्यादा का समय प्रदान किया। रूप चन्द जी दुगड़ व उनकी टीम ने सभी व्यवस्थाओं को संभाला। सम्बल प्राप्ति सभा का संचालन उपासक प्रकोष्ट के राष्ट्रीय संयोजक व मोहित के मामा सूर्यप्रकाश सामसुखा ने बखूबी किया। सुमति चन्द गोठी , मोहित के बड़े पापा जैन लूणकरण छाजेड़ , मोहित के पिता मांगीलाल छाजेड़ ने भावविहल शब्दों में आचार्यश्री के सम्मुख अपनी बात कही और जिज्ञासा रखी कि वयक्ति को अकाल मृत्यु का सामना क्यों करना पड़ता है। सभी को अनेक प्रसंगों व उदाहरणों से सम्बल प्रदान करते हुए कहा की वयक्ति का आयुष्य बंद जितना होता है उतनी ही उम्र जीता है। वयक्ति के अनेक भव पूर्व के कर्म का फल भगाता ही पड़ता है। उन्होंने भगवान बुद्ध का उदाहरण देते हुए बताया की 91 जीवन पहले उन्होंने जो कर्म किया 91 जीवन अर्ताथ भव बाद वो उदय में आ गए।
साध्वी प्रमुखा श्री विश्रुतप्रभाजी , मुख्यमुनीश्री ,साध्वीवर्या जी व लगभग सभी साधू - साध्वियों ने मोहित की पत्नी प्रेक्षा को व परिजनों को सम्बल प्रदान किया। सैकड़ों की संख्या में पहुंचे हितचिंतकों ने अपनी भावांजलि मूक भाव से रखी।
जैन संस्कार विधि से शोक सम्पन्न
स्वर्गीय मोहितजी पुत्र मांगीलालजी छाजेड़ के स्वर्गवास उपरांत 5 दिवस पर परिवार द्वारा शोक संपन्न जैन संस्कार विधि से श्रेणी संस्कारक पारसमल दुगड, सौरभ दुधोडिया एवं शांतिलाल कोठारी द्वारा संपादित करवाये गये। परिवार ने इस भीषण आघात पर भी देवगुरु एवं धर्म का सहारा लेते हुए रूढ़ियों को प्रश्रय नहीं दिया और सभी मरणोपरांत कार्य जैन संस्कार विधि द्वारा संपादित करवाये।
शोक संवेदना के सन्देश
देश भर से चारित्रात्माओं के सन्देश भी प्राप्त हुए। साध्वीप्रमुखश्री विश्रुतप्रभा जी , मुनिश्री कमलकुमार जी , मुनिश्री जयकुमार जी , मुनिश्री विनीत मुनि जी सहित अनेक सन्देश प्राप्त हुए।सभी ने इस घडी में आर्तध्यान नहीं करने की प्रेरणा प्रदान की।
रिश्तेदारों ने लिखा कि स्नेही समधी सज्जन मांगीलाल लाल जी छाजेड़,सादर अभिवादन,जय जिनेन्द्र जी।
आपश्री के रत्न वियोगी शोकाकुल दिल को नमन। आपकी आंखों का तारा,,,आपकी ही आंखों से नज़र विहीन हो गया।
कभी आपकी मजबूत अंगुली को पकड़ कर ही जहान् में कदमताल शुरू करने वाला,आपकी अंगुलियों को ही छोड़ चला। वो हमेशा आपके एवं सगीसा की ममतामयी वात्सल्य के आंचल की छत्रछावं में महफूज थे।
न जाने आपकी जिंदगी का यह कैसा -कौनसा मोड़ आया है? स्मृति शेष मोहित जी के कालधर्म प्राप्ति से हम भी शोक संतप्त है,साथ ही नियती के वज्रपात द्वारा आपके ममत्व दिल पर कर्मघाती प्रहार से अति मर्मस्पर्शी स्तब्धता में भी हम हैं। स्व पुत्र वियोग के संवेदनशील मार्मिक पलों में उसके "जनक-जननी" को सांत्वना देना हर सामर्थ्य से परे है!
स्व• मोहित जी के देह त्याज्यं से मोहनीय कर्मवश प्रेक्षा जी पर जो हृदय विदारक गर्जना हुई है, उन्हें अब आप दोनों मिलकर महफूज करें! उनकी विरह वेदना को आप संबलन करें!
आपकी अश्रुपूरित हृदय नयनों को पुनः दिल-से हम भारी क्षोभ प्रकट करते हैं! शोक संतप्त समस्त छाजेड़ परिवार एवं बैद परिवार को हमारा जय जिनेन्द्र! स्व• मोहित जी की पवित्रात्मा को स्मृति शेष नमन,उनके पुण्यात्मा की शीघ्रातिशीघ्र परम् लक्ष उपलब्धि हेतु मुक्त भाव से मिच्छामि दुक्कड़म्!श्रद्धा से अर्पित श्रद्धांजलि।- राकेश-सीमा भन्साली, दिल्ली
मोहित के मामाश्री सूर्य प्रकाश सामसूखा की कविता जो आचार्यश्री के समक्ष पढ़ी गयी।