दुनियाभर में तेजी से फैल रहा मंकीपॉक्स! अलर्ट पर केंद्र सरकार, हॉस्पिटल-एयरपोर्ट के लिए जारी हुए ये निर्देश, जानें क्या है तैयारी
नयी दिल्ली , 19 अगस्त। एमपॉक्स यानि मंकीपॉक्स वायरस का प्रकोप तेजी के साथ पूरी दुनिया में फैल रहा है. भारत में भी इसको लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है. इसकी तैयारियों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है, जिसके बाद से निगरानी बढ़ा दी गई. एमपॉक्स जो अभी का वायरस है वो ज्यादा वायलेंट है और ये तेजी से फैलता है.
केंद्र सरकार ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं. एयरपोर्ट्स और अस्पतालों को अलर्ट किया गया है. राज्यों के साथ मीटिंग भी हुई है, जिसमें इसके बारे में अलर्ट रहने को कहा गया है. दरअसल इसका कोई स्पेसिफिक ट्रीटमेंट नहीं है. हालांकि कहा जा रहा है कि जिन लोगों को स्मालपॉक्स की वैक्सीन लगी है उनपर इसका असर नहीं होगा. दिल्ली के सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया और लेडी हार्डिंग को नोडल हॉस्पिटल बनाया गया है.
प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव ने की बैठक
इससे पहले बीते दिन रविवार (18 अगस्त) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने एमपॉक्स की तैयारियों की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में त्वरित पहचान के लिए निगरानी बढ़ाई गई. एक बयान में कहा गया कि देश में अभी तक एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है और मौजूदा आकलन के अनुसार, निरंतर संक्रमण के साथ बड़े पैमाने पर प्रकोप का जोखिम कम है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
बैठक के दौरान बताया गया कि एमपॉक्स संक्रमण आमतौर पर खुद ही ठीक हो जाता है. दो से चार सप्ताह तक रहता है और इसके रोगी आमतौर पर सहायक चिकित्सा देखभाल और प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं. एमपॉक्स संक्रमित रोगी के साथ लम्बे समय तक संपर्क के जरिए फैलता है.
डब्ल्यूएचओ ने घोषित की हेल्थ इमरजेंसी
उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अफ्रीका के कई हिस्सों में इसके प्रसार को देखते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया है. डब्ल्यूएचओ के एक पहले के बयान के मुताबिक, 2022 से वैश्विक स्तर पर 116 देशों में एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं. पिछले साल रिपोर्ट किए गए मामलों में काफी इजाफा हुआ और इस साल अब तक दर्ज मामलों की संख्या पिछले साल की कुल संख्या से अधिक हो गई है, जिसमें 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें शामिल हैं.