कैमल मिल्क आइसक्रीम की प्रौद्योगिकी को लेकर हुआ एमओयू

बीकानेर,18सितम्बर । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा ऊँटनी के दूध से निर्मित आइसक्रीम उत्पाद बनाने की प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण श्री खेतरपाल उद्योग, गांव मूंडसर, बीकानेर को किया गया । इस प्रयोजन हेतु एनआरसीसी एवं श्री खेतरपाल उद्योग के मध्य एक महत्वपूर्ण एमओयू किया गया है जिसमें केन्द्र के निदेशक डॉ. आर.के.सावल एवं इस कंपनी के प्रोपराइटर मुन्नी राम चौधरी द्वारा हस्ताक्षर किए गए ।

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केन्द्र के निदेशक डॉ. आर.के.सावल ने उत्साहित होते हुए कहा कि ऊंटनी के दूध में विद्यमान औषधीय गुणधर्मों से इसकी लोकप्रियता तथा सामाजिक स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है, विभिन्न मानव रोगों यथा-मधुमेह, क्षय रोग, ऑटिज्म आदि के प्रबंधन में दूध का महत्वपूर्ण योगदान है, फलस्वरूप ऊंटनी के दुग्ध व्यवसाय को अपनाने हेतु युवा उद्यमी, ऊंटनी के दूध से विकसित उत्पादों की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु आगे आ रहे हैं।

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डॉ. सावल ने कैमल मिल्क आइसक्रीम उत्पाद के तकनीकी हस्तांतरण पर कहा कि ऊंटनी के दूध से निर्मित आइसक्रीम का निर्माण करते समय, इसी दूध की क्रीम को प्रयुक्त करने पर इसमें विद्यमान आवश्‍यक वसीय अम्ल, मानव त्वचा, मांसपेशियों व हृदय को स्वस्थ्य बनाए रखने में काफी मददगार साबित हो सकेंगे।

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एमओयू के अवसर पर श्री खेतरपाल उद्योग गांव मूंडसर, बीकानेर के प्रोपराइटर मुन्नी राम चौधरी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि फर्म का गाय व भैंस के दूध का पारंपरिक व्यवसाय है, परंतु ऊंटनी के दूध की मानव स्वास्थ्य में उपयोगिता खासकर मधुमेह रोग में इसकी लाभकारिता को देखते हुए एनआरसीसी से आइसक्रीम उत्पाद बनाने की प्रौद्योगिकी ली गई है। चौधरी ने शुगर फ्री आइसक्रीम उत्पाद तैयार कर सर्वप्रथम बीकानेर के गांवों तथा स्थानीय नगर स्तर पर इसकी लोकप्रियता व उपादेयता बढ़ाने हेतु अन्य गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर घर-घर सम्पर्क करने करने की बात कही ।

एनआरसीसी की उष्ट्र डेयरी प्रौद्योगिकी एवं प्रसंस्करण इकाई के प्रभारी डॉ.योगेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि केन्द्र द्वारा ऊंटनी के दूध से नवीन तकनीक द्वारा उष्ट्र दुग्ध निर्मित आइसक्रीम बनाने की विधि तथा अन्य महत्वपूर्ण तकनीकी पहलू, कम्पनी को हस्तांतरित किए गए हैं व केन्द्र द्वारा संबंधित तकनीकी प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया जिससे कंपनी कैमल मिल्क आइसक्रीम का उत्पादन कर सकेगी । उन्होंने इसे स्व-रोजगार का अच्छा अवसर बताते हुए कहा कि इच्छुक ऊंट पालक, किसान, गैर सरकारी संगठन उद्यमी, उत्पादक संगठन, डेयरी उद्यमी, एजेंसीज तथा बेरोजगार व्यक्ति आदि केन्द्र से सम्पर्क कर तकनीकी हस्तांतरण के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा उभरने वाली इन प्रौद्योगिकियों का उद्यम के रूप में लाभ उठा सकते हैं ।

एमओयू के इस अवसर पर इस फर्म व विभिन्न स्वयं सहायता समूह से जुड़ी श्रीमती इंदुसिंह, श्रीमती भगवती देवी तथा केन्द्र के मनजीत सिंह, डॉ.राकेश पूनियां आदि भी मौजूद थे ।

 

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