मुनि श्री जिनेशकुमार के दो दिवसीय रिसड़ा प्रवास में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार

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  • “रिसड़ा प्रवास सर्वश्रेष्ठ प्रवासों में एक है”-मुनि श्री जिनेशकुमार जी

कोलकोता , 1 अप्रैल। युगप्रधान परम पूज्य गुरूदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य, मुनि श्री जिनेशकुमार जी (ठाणा 3) का दो दिवसीय प्रवास श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक जागरण का अद्भुत अवसर बना। इस दौरान उनके सान्निध्य में ज्ञान, भक्ति और साधना की अविरल धारा प्रवाहित हुई।

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सदाचार, नशा मुक्ति और गुरु भक्ति की प्रेरणा

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मुनि श्री जिनेशकुमार जी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से जनमानस को सदाचार अपनाने, नैतिक मूल्यों को जीवन में स्थापित करने तथा नशा मुक्ति का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने समझाया कि मानव जीवन की सार्थकता संयम, साधना और सद्गुणों को आत्मसात करने में है। उनके ओजस्वी वचनों ने श्रद्धालुओं को आत्मचिंतन करने और अपने आचरण को सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाने की प्रेरणा दी। इसके साथ ही उन्होंने गुरु के प्रति अगाध निष्ठा और समर्पण का महत्व समझाया। उन्होंने कहा कि गुरु ही वह दिव्य शक्ति हैं, जो शिष्य को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं। जीवन में सच्ची प्रगति और आत्मकल्याण के लिए गुरु की आज्ञा का पालन करना अति आवश्यक है।

मुनि श्री परमानंद ने भी अपने संक्षिप्त प्रवचन में श्रावक समाज को धर्म और अध्यात्म के प्रति जागरूक किया। उन्होंने बताया कि आत्मा की शुद्धि और शांति के लिए धार्मिक साधना को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। बाल मुनि कुणाल कुमार ने अपनी मधुर वाणी में श्रद्धा से परिपूर्ण भक्ति गीत प्रस्तुत किए, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। उनके गीतों में भक्ति की ऐसी मिठास थी कि पूरा वातावरण श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत हो गया।

सामायिक से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार

प्रवास के अंतिम दिन, मुनि श्री की प्रेरणा से उपस्थित लगभग हर श्रावक-श्राविका ने सामायिक की। तेरापंथ भवन में एक साथ सामायिक करने से वहां आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत संचार हुआ। पूरे वातावरण में शांति, पवित्रता और साधना की दिव्य अनुभूति हुई। मुनिश्री जिनेशकुमार ने स्थानीय सेवक संघ भवन में तेरापंथ समाज सहित अग्रवाल समाज, महेश्वरी समाज और अन्य समाजों के लोगों को प्रेक्षा ध्यान का अभ्यास कराया, जिससे सभी उपस्थित जनों को आध्यात्मिक शांति और आत्मिक ऊर्जा प्राप्त हुई। अपने प्रवास के दौरान, मुनिश्री जिनेशकुमार ने “प्रेक्षा प्रवाह: शक्ति एवं शांति की ओर” विषय पर आयोजित महिला मंडल की कार्यशाला में भाग ले रही बहनों को आध्यात्मिक प्रेरणा प्रदान की। मुनिश्री के प्रेरणादायक उद्बोधन से महिलाओं को आत्मशक्ति जागृत करने, मानसिक संतुलन बनाए रखने और आध्यात्मिक विकास की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली।

मुनिश्री जिनेशकुमार ने कोंनगर की ओर विहार करने से पूर्व तेरापंथ भवन में श्रावक समाज को 10 मिनट के जप का आध्यात्मिक अनुष्ठान कराया। इस पावन अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से जप साधना में भाग लिया, जिससे वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा और सभी को आत्मिक शांति व आध्यात्मिक जागृति का अनुभव हुआ। मुनि श्री के प्रवास का अंतिम दिन रात्रि प्रवचन में रिसड़ा सभा के अध्यक्ष प्रदीप महनोत एवं महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती सुनीता सुराणा ने मुनिश्री के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता प्रकट करते हुए भावपूर्ण शब्दों में अपनी श्रद्धा एवं भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। इस अवसर पर कन्या मंडल की ओर से तनिष्का गुलगुलिया और गरिमा घोड़ावत ने मधुर गीतिका के माध्यम से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त किया।

आध्यात्मिक यात्रा का सुंदर समापन

इस दो दिवसीय प्रवास ने न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध किया, बल्कि उनके जीवन में नैतिकता, अहिंसा और संयम को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मुनि श्री जिनेशकुमार , मुनि श्री परमानंद और बाल मुनि कुणाल कुमार की उपस्थिति से यह प्रवास एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक यात्रा बन गया, जिसने हर हृदय को धर्म, साधना और आत्मशुद्धि की ओर प्रेरित किया।

रिसड़ा के दो दिवसीय प्रवास के संदर्भ में मुनिश्री जिनेशकुमार के मंगल उद्गार सुनकर सभा क्षेत्र से जुड़े हर व्यक्ति का हृदय प्रसन्नता और सात्विक गौरव से भर उठा। मुनिश्री ने अपने आशीर्वचन में कहा, “रिसड़ा प्रवास सर्वश्रेष्ठ प्रवासों में से एक है।” मुनिश्री जी के इन वचनों ने न केवल श्रद्धालुओं को अपार हर्ष से अभिभूत किया, बल्कि उनके समर्पण, निष्ठा और सेवा भाव को भी नई ऊर्जा प्रदान की। और पूरा प्रवचन पंडाल ॐ अर्हम की मंगलकारी आध्यात्मिक ध्वनि से गूंज उठा। तेरापंथ भवन में उमड़े धर्म प्रेमी भाई बहनों ने इस प्रवास को जीवनभर संजो कर रखने योग्य अनुभव बताया और मुनिश्री के चरणों में अपनी कृतज्ञता व्यक्त की।

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