मुनिश्री रवीन्द्रकुमार जी स्वामी को भावभीनी श्रद्धांजलि — मुनि कमल कुमार ने बताया आत्मार्थी संत


- गंगाशहर में आयोजित स्मृति सभा में संतों और श्रद्धालुओं ने दी श्रद्धांजलि
गंगाशहर, 4 जुलाई। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी के पावन सान्निध्य में शासन श्री मुनि श्री रवीन्द्रकुमार जी स्वामी की स्मृति सभा का आयोजन श्रद्धा और आत्मचिंतन के वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री ने उन्हें आत्मार्थी संत बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी ने कहा कि मुनिश्री रवीन्द्रकुमार जी ने गुरुदेव तुलसी के कर कमलों से केलवा नगर में शासन माता साध्वीप्रमुखा कनकप्रभा जी के साथ दीक्षा ग्रहण की थी। उन्होंने अनेक संतों की सेवाएं करते हुए, सुदर प्रांतों की यात्रा के माध्यम से धर्मसंघ का सुयश बढ़ाया। वे विद्वान वक्ता, साधक और गुरु-भक्त संत थे, जिन्हें तीन-तीन आचार्यों की कृपा प्राप्त हुई।




उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में मुनिश्री अस्वस्थ चल रहे थे, जिनकी सेवा मुनि अतुल कुमार जी ने अत्यंत श्रद्धाभाव से की। जहां-जहां उनका प्रवास हुआ, वहां लोगों में अध्यात्म के प्रति गहरी भावना का जागरण हुआ। उन्होंने चार दोहों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। मुनि श्रेयांस कुमार जी ने भी मुनिश्री के जीवन को साधना से ओतप्रोत बताते हुए कहा कि उन्होंने धर्मसंघ की महिमा-गरिमा बढ़ाने का सतत प्रयास किया और उन्हें सर्वत्र सफलता प्राप्त हुई। सभा के अंत में चार लोगस्स का ध्यान करवा कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।


रिद्धकरण बैद और मधु बोथरा को भी दी गई श्रद्धांजलि
इस अवसर पर रिद्धकरण जी बैद व मधु बोथरा की स्मृति सभा भी आयोजित हुई। रिद्धकरण जी की पत्नी और पुत्रों ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका परिवार कुरीतियों का त्याग कर धर्म ध्यान की ओर अग्रसर हुआ। मुनिश्री ने फरमाया कि ऐसा परिवार विरले ही होता है, जिसने आर्तध्यान से बचकर आत्मकल्याण का मार्ग अपनाया और बच्चों को संस्कारवान बनाकर समाज को दिशा दी।
सुमित डागा ने मधु बोथरा का परिचय देते हुए बताया कि वे मुनिश्री की संसार पक्षीय भतीजी थीं — सरल, सहज और संस्कारी। मुनिश्री ने भावुकता से कहा कि काल के आगे किसी का वश नहीं चलता। सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ने तीनों दिवंगत आत्माओं के उत्तरोत्तर विकास की मंगलकामना करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। अंत में सभी ने एक लोगस्स का ध्यान कर उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की।
बोथरा भवन में आज मुनिश्री कमलकुमार जी का इस प्रवास का अंतिम दिन था अतः बोथरा परिवार से पदम बोथरा व श्रीमती दीपीका बोथरा ने मंगल भावना व्यक्त करते हुए कर्तज्ञता वयक्त की।सभी मुनिवृंद शनिवार सुबह 7. 31 बजे विहार कर तेरापंथ भवन गंगाशहर पधारेंगे जहाँ उनका चातुर्मास प्रवास रहेगा।
श्रद्धांजलि के दोहे — मुनि कमल कुमार द्वारा
तुलसी गुरू कर कमल से, दीक्षा की स्वीकार
शासन माता साथ में, नगर केलवा द्वार-1
अग्रगण्य बनकर किया, धर्मसंघ का काम
सजग साधना में सतत, मुनिवर आठौं याम-2
महाप्रज्ञ महाश्रमण की, कृपा मिली अनपार
सहयोगी हर कार्य में, मुनिवर अतुल कुमार- 3
जन्मे भी मेवाड़ में, वहीं बने थे संत
देवलोक मेवाड़ में, बना सुनहरा ग्रंथ- 4
कर उत्तरोत्तर साधना, प्राप्त करें शिव पंथ
कमल हृदय की भावना, हो भव भव का अंत- 5
थार एक्सप्रेस परिवार शासन श्री मुनिश्री रवीन्द्रकुमार जी स्वामी व रिद्धकरण बैद और मधु बोथरा को को शत् शत् नमन और श्रद्धांजलि।