आनंदपाल एनकाउंटर में पुलिस अफसरों पर चलेगा हत्या का केस
- कोर्ट ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट को किया खारिज; गैंगस्टर की पत्नी ने किया था चैलेंज
जोधपुर , 25 जुलाई। गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाले 7 पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने इनके खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए हत्या की धारा 302 के तहत मुकदमा चलाने और जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया है।
एसीजेएम सीबीआई कोर्ट ने तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारठ, तत्कालीन एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी हेड कॉन्स्टेबल कैलाश चंद्र, कॉन्स्टेबल धर्मपाल, कॉन्स्टेबल धर्मवीर सिंह और आरएसी के सोहन सिंह के विरुद्ध मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं।
आनंदपाल की पत्नी ने पेश किए कई गवाह
24 जून 2017 को चूरू के मालासर गांव में एसओजी ने आनंदपाल का एनकाउंटर किया था। एनकाउंटर के बाद से ही इस पर सवाल उठ रहे थे। एनकाउंटर को लेकर सीबीआई ने 2020 में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी, जिसे आनंदपाल की पत्नी राजकंवर ने चैलेंज किया। एसीजेएम कोर्ट में 2020 में प्रोटेस्ट पिटिशन दायर की। कोर्ट में चार साल सुनवाई के दौरान दो डॉक्टर, राजकंवर और आनंदपाल के भाई मंजीत की गवाही हुई। उस आधार पर प्रसंज्ञान लिया गया।
राजकंवर के वकील भंवर सिंह और त्रिभुवन सिंह राठौड़ ने बताया- यह एनकाउंटर नहीं था और छत पर आनंदपाल को नजदीक से एक के बाद एक गोली मारी गई। गोली बहुत नजदीक से थी, इसकी पुष्टि डॉक्टर ने भी की है। कोर्ट में कई गवाहों को पेश किया गया। उनके आधार पर एसीजेएम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्रसंज्ञान लिया है। कोर्ट ने राजकंवर की ओर से गवाहों की सूची भी 16 अक्टूबर से पहले पेश करने के आदेश दिए हैं।
जीवनराम के मर्डर के बाद फरार हो गया था आनंदपाल
एसओजी की टीम के तत्कालीन आईजी दिनेश एमएन के अनुसार, आनंदपाल व बलवीर बानोड़ा पर 2006 में गोपाल फोगाट और जीवनराम गोधारा के मर्डर के आरोप थे। आनंदपाल जीवनराम के मर्डर के बाद फरार हो गया था।
यही नहीं, आनंदपाल ने अपने साथियों के साथ मिलकर नानूराम नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी थी। शव एसिड से जला दिया था। मर्डर के करीब 6 साल बाद 2012 में आनंदपाल को गिरफ्तार किया था।
राजू ठेहट पर चलाई गोली, बदले में आनंदपाल गैंग पर फायरिंग
आईपीएस दिनेश एमएन के मुताबिक, जनवरी 2014 में आनंदपाल के किसी साथी ने सीकर जेल में बंद राजू ठेहट पर फायरिंग कर दी थी। गोली उसके कंधे में लगी। बस, इस घटना के बाद राजू ठेहट ने बदला लेने का मन बना लिया था।
उस वक्त आनंदपाल की गैंग बीकानेर जेल में बंद थी। राजू ठेहट गैंग के दो शूटर हथियार लेकर पहुंचे और जेल में उन्होंने आनंदपाल गैंग पर फायरिंग कर दी। आनंदपाल और बलवीर को एक-एक गोली लगी।
हमले के बाद आनंदपाल को अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट किया गया था। तब आनंदपाल गैंग का मकसद राजू ठेहट से बदला लेना और गवाहों को मारकर केस से बरी होना था।
2015 में नानूराम मर्डर केस से हो गया था बरी
दिनेश एमएन के अनुसार, आनंदपाल 3 सितंबर 2015 को नानूराम मर्डर केस से बरी हो गया था। खुशी में उसने गाड़ी के ड्राइवर और शक्ति सिंह नाम के कमांडो को छोड़कर सबको मिठाई बांटी।
मिठाई में जहर था। सब बेहोश हो गए। दो गाड़ियों में आए आनंदपाल की गैंग के लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी। शक्ति आनंदपाल गैंग के लिए काम करता था।
भाइयों ने बताई थी लोकेशन, फिर हुआ आनंदपाल का खात्मा
आईपीएस दिनेश एमएन के अनुसार, एसओजी ने आनंदपाल को पकड़ने का लक्ष्य बनाया। उसके कई साथियों को गिरफ्तार कर लिया। 7-8 महीने में कई संपत्ति जब्त कर ली थी।
इस बीच सूचना मिली कि आनंदपाल गैंग के लोगों को फिल्म देखने का शौक है। सिनेमाहॉल के बाहर पुलिस फोर्स लगा दी। एक फोन कॉल से आनंदपाल के भाई की जानकारी मिली। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दोनों भाइयों विक्की उर्फ रूपेश और देवेंद्र उर्फ गट्टू ने आनंदपाल की लोकेशन के बारे में बताया। 24 जून 2017 को टीम गट्टू की बताई लोकेशन चूरू के मालासर गांव पहुंची
आनंदपाल ने घर की छत से फायरिंग कर दी। करीब 45 मिनट एनकाउंटर चला। कमांडो सोहन सिंह और आनंदपाल के बीच आमने-सामने फायरिंग हुई। इसमें आनंदपाल मारा गया। गोली लगने के कारण सोहन 4 महीने तक अस्पताल में रहे।
9 पुलिसकर्मियों को विशेष पदोन्नति
अप्रैल 2021 में आनंदपाल एनकाउंटर केस में शामिल 9 पुलिसकर्मियों को तत्कालीन गहलोत सरकार ने विशेष पदोन्नति दी थी। इसमें आनंदपाल सिंह को गोली मारने वाले स्पेशल कमांडो सोहन सिंह, तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारठ, एसओजी में एडिशनल एसपी करण शर्मा, एडिशनल एसपी विद्याप्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़, आरएसी के हेड कॉन्स्टेबल कैलाश और चूरू में पुलिस कॉन्टेबल हरमपाल शामिल थे।
9 करोड़ रुपए हुए थे खर्च
आनंदपाल को पकड़ने में करीब 8-9 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। पुलिस सूत्रों की मानें तो गैंगस्टर आनंदपाल को पकड़ने के लिए पौने दो साल में करीब तीन सौ दबिश दी जा चुकी थी। हर दबिश में एएसपी से लेकर कॉन्स्टेबल तक करीब 50 जवानों की टीम जाती थी। हर दबिश पर औसतन करीब पौने 3 लाख रुपए खर्च होते थे।