साधना सिद्धि का विशिष्ट समय होता नवरात्र – साध्वी डॉ॰ गवेषणाश्री
- नव दिवसीय आध्यात्मिक अनुष्ठान का हुआ समापन
माधावरम्, चेन्नई, 12 अक्टूबर।( स्वरूप चन्द दाँती) युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री डॉ गवेषणाश्रीजी ठाणा 4 के साथ में नौ दिन का नवरात्र का अनुष्ठान बहुत ही जागरुकता और उत्साह के साथ किया गया।
साध्वी श्री डॉ गवेषणाश्रीजी ने कहा कि- हर दिन, हर पल, हर समय अपने आप में मंगल होता है। पर इन 365 दिनों में कुछ दिन खास माने जाते हैं, इसमें भी नवरात्र का समय साधना की दृष्टि से तंत्र, मंत्र और यंत्र की अपेक्षा प्रभावशाली माना जाता है। जो तांत्रिक होते है, उनकी साधना सिद्धि का विशिष्ट समय माना जाता है। इसीलिए इन मैली विद्या से सुरक्षित रहने का एक मात्र उपाय है तो वह है- विशेष मंत्रों की साधना।
साध्वी श्री मयंकप्रभा ने कहा कि मंत्र विविध शक्तियों का खजाना है। सभी धर्मों में मंत्र जप की परम्परा रही है। प्रत्येक अक्षर अपने आप में मंत्र है, शक्ति है। इसीलिए स्वसुरक्षा हेतु इन दिनों में विशिष्ट साधना की जाती है।
साध्वी श्री दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गितिका प्रस्तुत की। संघ सुरक्षा और आत्मसुरक्षा की दृष्टि से साध्वीश्रीजी ने अनेक अनुभव सिद्ध उदाहरण और मंत्रो की विवेचना की।
इसी कार्यक्रम के अंतर्गत मंड्या से समागत सभा के मंत्री विनोद भंसाली, श्रद्धानिष्ठ श्रावक उगमराज आच्छा, वयोवृद्ध अनुभवी चंदनमल बोहरा, युवक परिषद् के अध्यक्ष कमलेश गोखरु, भूतपूर्व अध्यक्ष प्रवीण दक आदि का माधावरम् ट्रस्ट द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संयोजन सुरेश रांका ने किया।