सौ वर्ष की आयु में भी नई रोशनी- पीबीएम हॉस्पिटल में चौधरी भींयाराम गोदारा का सफल नेत्र ऑपरेशन

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बीकानेर , 20 नवम्बर । पीबीएम हॉस्पिटल के नेत्र चिकित्सालय में चिकित्सा विज्ञान और सेवा का एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत हुआ, जब वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. जे. मुरली मनोहर ने 100 वर्षीय चौधरी भींयाराम गोदारा की आंखों का सफल ऑपरेशन किया। इस ऑपरेशन के दौरान लेंस प्रत्यारोपण किया गया, और अब मरीज स्पष्ट रूप से देख पा रहे हैं।

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नोखागांव (नोखा) के निवासी चौधरी भींयाराम गोदारा का यह जीवन का पहला ऑपरेशन था। अपनी सादगीपूर्ण जीवनशैली और नशामुक्त आदतों की बदौलत उन्होंने सौ वर्ष की उम्र में भी अपना स्वास्थ्य बनाए रखा। चौधरी भींयाराम सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी लंबे समय तक सक्रिय रहे। वे अपने गांव के सरपंच के रूप में लंबे समय तक सेवाएं देकर गांववासियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने।

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डॉ. मुरली मनोहर की प्रशंसा
डॉ. मुरली मनोहर, जो नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं, ने बताया कि इस उम्र में ऑपरेशन करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन चौधरी भींयाराम का सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मविश्वास इस प्रक्रिया को सहज और सफल बनाने में सहायक रहा। ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा, और अब भींयाराम अपने नए दृष्टिकोण से जीवन का आनंद ले रहे हैं।

परिवार ने व्यक्त किया आभार
ऑपरेशन के दौरान उनके पोते और सामाजिक कार्यकर्ता मुरली गोदारा भी मौजूद रहे। मुरली गोदारा ने पीबीएम हॉस्पिटल की पूरी चिकित्सा टीम और विशेष रूप से डॉ. जे. मुरली मनोहर का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “डॉ. मुरली मनोहर और उनकी टीम ने जो सेवा दी है, वह सराहनीय है। उनकी मेहनत और लगन ने हमारे दादाजी को नई रोशनी दी। हम इसके लिए पूरी टीम के आभारी हैं।”

भींयाराम का संदेश
चौधरी भींयाराम ने ऑपरेशन के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैंने जीवन में कभी कोई नशा नहीं किया। यह मेरी स्वस्थ आदतों का परिणाम है कि इस उम्र में भी मैं स्वस्थ हूं। ईश्वर और डॉक्टरों की मेहनत से मुझे नई रोशनी मिली है, जिसके लिए मैं सभी का धन्यवाद करता हूं।”

प्रेरणा का स्रोत बने भींयाराम गोदारा
यह घटना न केवल पीबीएम हॉस्पिटल बल्कि पूरे बीकानेर के लिए गर्व की बात है। यह साबित करता है कि यहां के डॉक्टर और चिकित्सा सुविधाएं अत्याधुनिक और विश्वस्तरीय हैं। चौधरी भींयाराम का जीवन संदेश देता है कि सकारात्मक जीवनशैली, नशामुक्त आदतें, और दूसरों की सेवा का जज्बा आपको न केवल दीर्घायु बनाता है बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनाता है। “सौ वर्ष की आयु में भी जीवन नई शुरुआत कर सकता है—बस स्वास्थ्य और सकारात्मकता को अपनाएं।”

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