अंबेडकर जयंती पर संविधान को समर्पित रही राष्ट्रीय कवि चौपाल की 511वीं कड़ी

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“ले मौत… मैं तो अपनी जिंदगी तेरे नाम किए देता हूं” जैसी रचनाओं ने बांधा समां

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बीकानेर, 13 अप्रैल। अंबेडकर जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय कवि चौपाल की 511वीं कड़ी भारतीय संविधान को समर्पित रही। इस विशेष साहित्यिक आयोजन में संविधान की महत्ता, समरसता और सामाजिक मूल्यों को कविताओं व वक्तव्यों के माध्यम से सशक्त रूप में प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सरदार अली परिहार ने की, जबकि बार एसोसिएशन अध्यक्ष अधिवक्ता विवेक शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व अध्यक्ष संत नाथ, राजपाल राठौड़, श्रवण जनागल, इसरार हसन कादरी, मनीषा जसमतिया और शिवम् उपाध्याय ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की शुरुआत रामेश्वर साधक द्वारा ईश वंदना से हुई।

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महावीर जयंती की शुभकामनाएं

अध्यक्षीय उद्बोधन में परिहार ने कहा, “मानवता की इस दुनिया में हर कदम पर फूल खिलाने हैं।” मुख्य अतिथि विवेक शर्मा ने संविधान को “हमारी आत्मा” बताया और कहा कि इसके बिना मानव जीवन की कल्पना असंभव है। संत नाथ ने इसे “संरक्षण की खुली श्वास” कहा, जबकि श्रवण जनागल ने संविधान को “माँ के समान पौषक” बताया। इसरार हसन कादरी ने उद्देशिका की व्याख्या करते हुए इसे जीवन में आनंददायक बताया, वहीं मनीषा जसमतिया ने कहा कि “नव पीढ़ी को संस्कारों से सुशोभित करना चाहिए, न कि केवल स्वर्ण आभूषणों से।” शिवम् उपाध्याय ने चौपाल को साहित्यिक ऊर्जा का स्त्रोत बताया।

कविता पाठ के दौरान कई रचनाकारों ने प्रभावशाली प्रस्तुति दी:

रामेश्वर साधक ने “माता वैरी, पिता जैरी…” से भावनात्मक छाप छोड़ी

हनुमंत गौड़ ने कहा, “ये हमारा खून पानी है तो पानी लिख लीजिए”

कैलाश टाक ने नारी जीवन की पीड़ा पर प्रकाश डाला

भानुप्रताप सिंह चारण ने अपराधों की गणना से परे की बात कही

शिवप्रकाश दाधीच ने “ले मौत, मैं तो अपनी जिंदगी तेरे नाम किए देता हूं” जैसी रचना से खूब वाहवाही बटोरी

अन्य रचनाकारों में बाबू बमचकरी, राजकुमार ग्रोवर, सिराजुद्दीन भुट्टा, पवन चड्ढ़ा, पवन कौशिक, शिव प्रकाश शर्मा, धर्मेंद्र राठौड़ और कैलाश दान चारण ने भी काव्यपाठ किया। कैलाश दान के दार्शनिक भजन ने सभा में आध्यात्मिक वातावरण रच दिया। कार्यक्रम का संचालन बाबू बमचकरी ने किया तथा अंत में आभार रामेश्वर साधक ने व्यक्त किया। इस अवसर पर भवानी सिंह चारण, परमेश्वर सोनी, रविन्द्र, नाथू सहित अनेक साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

 

 

 

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