विरासत नहीं तो हम नहीं !बीकानेर में विश्व विरासत दिवस पर हुआ जागरूकता संगोष्ठी का आयोजन


बीकानेर, 19 अप्रैल। “विरासत से हम हैं, विरासत नहीं तो हम नहीं” — इस प्रखर संदेश के साथ विश्व विरासत दिवस पर INTEC बीकानेर चेप्टर और रोटरी क्लब सुप्रीम के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय संगोष्ठी व संवाद कार्यक्रम रोटरी क्लब सभागार में आयोजित हुआ। इस आयोजन में देशभर से आए विद्वानों, समाजसेवियों और संस्कृति प्रेमियों ने शिरकत कर भारतीय धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन की महत्ता को रेखांकित किया।



कार्यक्रम के मुख्य वक्ता और कोलकाता के जनसंपर्क अधिकारी हिंगलाज रतनू ने कहा:“मैं बीकानेर की सांस्कृतिक विरासत को कोलकाता में बचा रहा हूँ। अगर विरासत नहीं बची, तो हम भी नहीं बचेंगे।” उन्होंने विदेशी दौरों का उल्लेख करते हुए बताया कि विदेशी लोग भारत इसलिए आते हैं क्योंकि वे इसकी समृद्ध विरासत से मंत्रमुग्ध हैं। रतनू ने बीकानेर की हवेलियों, कुओं, बावड़ियों और मंदिरों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने का आह्वान किया।



गीता और नाट्यशास्त्र को मिला विश्व धरोहर का दर्जा
संगोष्ठी के संयोजक पृथ्वीराज रतनू ने इस अवसर पर यह ऐतिहासिक घोषणा भी की कि यूनेस्को ने आज ही के दिन भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को विश्व साहित्यिक धरोहर में शामिल कर लिया है। यह भारतीय संस्कृति के लिए एक बड़ा सम्मान है।
लोक साहित्य से लेकर जल प्रबंधन तक हुई गहन चर्चा
डॉ. किशनलाल विश्नोई ने जम्भ वाणी के माध्यम से लोक संस्कृति और अध्यात्म के रिश्ते को उजागर किया। डॉ. मंजू ने मत्स्य मीरा के भक्ति गीतों की वर्तमान प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। डॉ. रीतेश व्यास ने जल संकट और प्राचीन जल प्रबंधन प्रणालियों की वर्तमान में उपयोगिता पर जोर दिया।
शरद केवलिया ने कहा कि विरासत को संजोने से पहले लोगों को इसकी परिभाषा सिखानी होगी।
फ्रांस जैसी कला पहल बीकानेर में लागू करने का सुझाव
चित्रकार योगेन्द्र पुरोहित ने कहा कि फ्रांस की तरह बीकानेर में भी कलाकारों के माध्यम से धरोहरों को चित्रकला के रूप में संरक्षित किया जा सकता है। यह पहल विरासत के प्रति आम नागरिकों में चेतना जगाने का माध्यम बन सकती है।
“कानूनी अड़चन हो, तो भी विरासत नहीं रुकनी चाहिए”
ओ.पी. शर्मा ने कहा कि यदि विरासत संरक्षण में कोई कानूनी बाधा आती है, तो भी हम पीछे नहीं हटेंगे। जगदीश दान रतनु ने दासूड़ी के स्वामी कृष्णानन्द सरस्वती द्वारा पर्यावरण के संरक्षण में किए गए योगदान पर प्रकाश डाला। डॉ. नमामि शंकर आचार्य ने बीकानेर की हवेलियों के क्षीण होने पर चिंता जाहिर की। डॉ. मोहम्मद फारुक चोहान ने भी बीकानेर के ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण और उसके ऐतिहासिक प्रमाणों और सौन्दर्य बोध को बचाने के हर संभव प्रयास करने की मंशा रखने की बात कही। एम एल जांगिड़ ने बीकानेर की विरासत के क्षरण पर गहरी चिंता जताई। रोटरी प्रमुख राजेश चूरा ने प्रशासन के साथ मिलकर धरातल पर सक्रिय काम करने की प्रतिबद्धता जताई।मनमोहन कल्याणी ने हवेलियों के संरक्षण के लिए मध्यस्थता की आवश्यकता बताई।
बीकानेर की विरासत बचाने के लिए हुआ संकल्प
अनिल माहेश्वरी ने सभी प्रतिभागियों का आभार जताते हुए कहा कि विरासत संरक्षण की दिशा में यह एक मजबूत शुरुआत है।
इस कार्यक्रम में सुभाष विश्नोई, दिनदयाल स्वामी, अमरसिंह खंगारोत, महेश स्वामी, गिरधारीदान बिठू, ओमप्रकाश शर्मा, ऋषि व्यास और विमल भोजक सहित कई प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति रही। संचालन वरिष्ठ साहित्यकार पृथ्वीराज रतनू ने किया।