पाकिस्तान झुका ! BSF जवान को भेजा वापस भारत

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  • 40 वर्षीय पूर्णम शॉ को 23 अप्रैल 2025 को पंजाब के फिरोजपुर जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था।

नई दिल्ली , 14 मई। सीमा पर तनाव और अनिश्चितता के बीच एक सुखद खबर ने देशवासियों के चेहरों पर राहत की मुस्कान बिखेर दी। भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो गलती से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर पाकिस्तान की हिरासत में चले गए थे, को बुधवार, 14 मई 2025 को भारत को सौंप दिया गया। यह घटना न केवल दोनों देशों के बीच कूटनीतिक प्रयासों की जीत है, बल्कि सीमा पर तैनात जवानों के लिए एक उम्मीद की किरण भी है।

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बीएसएफ की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, “आज बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ, जो 23 अप्रैल 2025 से पाकिस्तान रेंजर्स की हिरासत में थे, को सुबह लगभग 10:30 बजे अमृतसर के अटारी संयुक्त जांच चौकी के माध्यम से भारत को सौंप दिया गया। यह हस्तांतरण शांतिपूर्ण ढंग से और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार संपन्न हुआ।” इस बयान ने न केवल जवान की सुरक्षित वापसी की पुष्टि की, बल्कि दोनों देशों के बीच संवेदनशील सीमा मुद्दों पर सहयोग की एक झलक भी दिखाई।

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गलती से सीमा पार कर गए थे शॉ

40 वर्षीय पूर्णम शॉ को 23 अप्रैल 2025 को पंजाब के फिरोजपुर जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के बाद पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था। यह घटना उस समय हुई जब एक दिन पहले, 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी थी। इस आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और सीमा पर तनाव को और बढ़ा दिया था। ऐसे माहौल में शॉ का अनजाने में सीमा पार कर जाना दोनों देशों के लिए एक नाजुक स्थिति बन गया।

शॉ की वापसी का सफर आसान नहीं था। उनकी हिरासत की खबर ने भारत में चिंता की लहर दौड़ा दी थी। बीएसएफ और भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुरंत कूटनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू की। पाकिस्तान रेंजर्स के साथ कई दौर की चर्चा और उच्च-स्तरीय बैठकों के बाद आखिरकार शॉ की रिहाई का रास्ता साफ हुआ। अटारी सीमा पर सौंपे जाने के दौरान दोनों पक्षों ने प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस प्रक्रिया को गरिमापूर्ण और शांतिपूर्ण ढंग से पूरा किया।

 

परिवार के लिए खुशी का क्षण

यह घटना भारत-पाकिस्तान सीमा पर होने वाली उन असामान्य परिस्थितियों को उजागर करती है, जहां मानवीय भूल या अनजाने में हुई गलतियां बड़े कूटनीतिक मुद्दों में बदल सकती हैं। पूर्णम शॉ की वापसी न केवल उनके परिवार के लिए खुशी का क्षण है, बल्कि उन सभी जवानों के लिए भी प्रेरणा है जो दिन-रात देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। यह घटना इस बात का भी प्रमाण है कि सही समय पर उठाए गए कूटनीतिक कदम और आपसी सहयोग तनावपूर्ण परिस्थितियों में भी सकारात्मक परिणाम ला सकते हैं।

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