पंच परमेष्ठी श्रेणी तप गुरुवार से, तप से आत्म शुद्धि-आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी

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बीकानेर, 24 जुलाई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में गुरुवार से 51 दिवसीय पंच परमेष्ठि श्रेणी तप शुरू होगा। प्रवचन पांडाल में गुरुवार सुबह सवा आठ बजे जैन विधि व परम्परानुसार श्रावक-श्राविकाओं को पंच परमेष्ठि अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय व साधु की वंदना स्तुति के बाद व्रत का पचखान (’संकल्प’) दिलवाएंगे।

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आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने बुधवार को पंच परमेष्ठि श्रेणी तप के महत्व का स्मरण दिलाते हुए कहा कि अरिहंतों की वीतरागता, सिद्धों का सिद्धत्व, आचार्यों का पंचाचार, उपाध्यायों के शुभ विचार, साधु का सद्व्यवहार और अपनी आत्मा आत्मा को पंच परमेष्ठि मय करने के पंच परमेष्ठी श्रेणी तप अनुपम धार्मिक व आध्यात्मिक अनुष्ठान है।

उन्होंने कहा कि जैन धर्म में णमोकार महामंत्र सर्वमंगलकारी, सर्वहितकारी व सर्व कल्याणकारी, मोक्षदायक है। पंच परमेष्ठी में व्यक्ति विशेष की स्तुति वंदना नहीं कर सर्व अरिहंतों, सिद्धों, आचार्यों, उपाध्यायों व साधुओं को नमन किया गया है। मुनिश्री शाश्वत रत्न व प्रभंजना श्रीजी कथाओं के माध्यम से तप की महिमा बताई।

श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि तपस्वियों के लिए चातुर्मास व्यवस्था कमेटी ने विशेष व्यवस्थाएं की गई। रानी बाजार से श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचन स्थल तक लाने व छोड़ने के लिए दो वाहन लगाए गए है। श्रावक-श्राविकाओं की मांग के अनुसार अन्य इलाकों से भी वाहन व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि रात नौ से दस बजे तक चलने वाली स्वाध्याय कक्षा में बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर धर्म-आध्यात्म से जुड़ने तथा सांसारिक पाप जन्य प्रवृतियों से बचने के उपाय बता रहे है।

आचार्यश्री ने बुधवार को भूख से थोड़ा कम खाने का नियम दिलवाया। मंगलवार को प्रभावना करने वाली श्रीमती संतोष देवी कंवर लाल नाहटा ने आयम्बिल व राखी सुखानी ने अट्ठम तप की तपस्या की। संघ पूजा का लाभ वीर भीखमचंद, धीरज कुमार बरड़िया परिवार ने लिया।

आचार्यश्री नित्यानंद सूरीश्वरजी के 67 वें जन्मोत्सव पर भक्तिगीत व नृत्य

बीकानेर, 24 जुलाई। जैन श्वेताम्बर तपागच्छ के गच्छाधिपति जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी का 67 वां जन्मोत्सव रांगड़ी चौक के तपागच्छीय पौषधशाला में बुधवार को मुनिश्री पुष्पेन्द्र विजय एवं मुनिश्री श्रुतानंद विजय के सान्निध्य में भक्ति गीतों व नृत्य तथा जैनाचार्य के आदर्शों के स्मरण के साथ मनाया गया।

बीकानेर के 500 श्रावकों ने आचार्यश्री के सम्मुख रहकर पालीताणा (गुजरात) में उनके जन्मोत्सव पद वंदन अभिनंदन किया। श्रावकों का दल मंगलवार को बीकानेर से रवाना होकर बुधवार को पालीताणा पहुंचा था। तपागच्छ पौषधशाला में हुए कार्यक्रम में मुनिवृंद के सानिध्य में श्रावक-श्राविकाओं ने गीतों व नृत्यों की प्रस्तुतियां दी।

जन्म दिन की शुभकामना के कार्ड व प्रवचन स्थल पर आचार्यश्री का कट आउट चित्र प्रदर्शित किया गया। उपासरे में सेवाएं देने वालों का सम्मान किया गया।

मुनिश्री पुष्पेन्द्र विजय एवं मुनिश्री श्रुतानंद विजय ने बुधवार को प्रवचन में कहा कि पांच महाव्रत के प्रबंल धारक जैनाचार्य विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी ने देश के विभिन्न प्रदेशों में पद विहार करते हुए श्रावक-श्राविकाओं में धर्म-आध्यात्म चेतना जगाई। उनके सान्निध्य में देश के अनेक इलाकों में मंदिरों, दादाबाड़ियों का जीर्णोंद्धार व विकास हुआ।

आचार्यश्री की प्रेरणा श्री गंगानगर सहित अनेक स्थानांं पर शिक्षण संस्थाएं व सेवा के प्रकल्प चल रहे है। धर्म निष्ठा व उसको बढ़ावा देने के करण आचार्यश्री को आचार्य इन्द्र दिन्न सूरी ने ठाणे मेंं विक्रम संवत 2044 को गणपद प्रदान किया। दिल्ली में विक्रम संवत 2047 में पन्यास प्रवर व पालीताणा तीर्थ में विक्रम संवत 2050 में आचार्यश्री पद से विभूषित कया गया। आचार्यश्री को शांतिदूत के रूप् में भी पहचान मिली है।

श्री आत्म वल्लभ समुदाय के पटधर के रूप में आसीन आचार्यश्री विजय नित्यानंद सूरीश्वरजी को चतुर्विद संघ ने आचार्यश्री इन्द्रदिन्न सूरी के निधन के बाद के बाद दिल्ली में दिल्ली में पट्धर व समाना में गच्छाधिपति पद से विभूषित किया। संयम जीवन के 50 वर्ष पूर्ण कर चुके आचार्यश्री नित्यानंद सूरीश्वरजी ने प्रवचन, लघु आत्म कथाएं, निबंध सहित अनेक पुस्तकों की रचना की। फरवरी 2009 में भारत सरकार ने एक डाक टिकट भी जारी किया है।

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