आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सानिध्य में पर्युषण पर्व पर जप,तप, चैत्य परिपाटी, प्रतिक्रमण, सामायिक व पौषध
बीकानेर, 31 अगस्त। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में शनिवार से आठ दिवसीय पर्युषण पर्व सामयिक, पौषध, उपवास, जिनालयों में चैत्य वंदन, पूजा व भक्ति के साथ अनेक कार्यक्रम शुरू हुए। ढढ्ढा चौक के कोठारी भवन में नंदीश्वर दीप की प्रतिकृति की स्थापना की गई है। नंदीश्वर दीप स्थापना व पूजा का लाभ उदासर के ओम प्रकाश कोठारी परिवार ने लिया। कोठारी का अभिनंदन वरिष्ठ श्रावक नवरतन पारख ने किया। दो दिवसीय अष्टानिका पर्व प्रवचन, नियमित भक्ति के कार्यक्रम शुरू हुए।
श्री सुगन जी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में श्री संघ के सहयोग से आयोजित पर्युषण पर्व के दौरान बीकानेर में पहली बार ढढ्ढा चौक के कोठारी भवन नंदीश्वर दीप की स्थापना में की गई है। आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने धर्मचर्चा में बताया कि जम्बूदीप से आठवां द्वीप नंदीश्वर द्वीप मंडलाकार से विस्तार एक सौ तेरेसठ करोड़ चौरासी लाख योजन है। द्वीप के पूर्व दिशा में ठीक बीचों बीच अंजनगिरि पर्वत है। यह 84000 योजन विस्तृत इतना ही ऊंचा समवृत गोल है तथा इन्द्रनील मणि से निर्मित है। दक्षिण पश्चिम तथा उत्तर में भी तेरह-तेरह पर्वत है। उन पर भी एक-एक जिनेश्वर है। कुल मिलाकर 52 जिन मंदिर है, चतुर्णिकाय देवों की पूजा का क्रम, चौसठ वन को दर्शाया गया है।
उन्होंने बताया कि इस नंदीश्वर द्वीप में प्रत्येक वर्ष चारों प्रकार के देवतागण आते है तथा भक्ति से अखंड पूजा करते है। चारों निकाय के देव नंदीश्वर द्वीप के दिव्य जिन मंदिरों में आकर नाना प्रकार की स्तुतियों से दिशाओं को मुखरित करते हुए प्रदक्षिणा करते है। प्रतिकृति स्वरूप में स्थापित इस नंदीश्वर द्वीप का दर्शन वंदन करने से पुण्यों का उदय तथा पापों का क्षय होता है ।
जिन शासन के खिलाफ उंगली नहीं उठाए
धर्म चर्चा में आचार्यश्री ने कहा कि जिन शासन के खिलाफ उंगली नहीं उठाएं। उंगली उठाने वालों को अगले भवन में जिन शासन नहीं मिलेगा। जिन मंदिर सबसे बड़े शिक्षालय व चिकित्सालय है । इनमें भगवान महावीर के सिद्धान्तों सत्य,अहिंसा,अचौर्य, अपरिग्रह व ब्रह्मचर्य, सदाचार,नैतिकता का पाठ पढाया जाता है। कतिपय समाज सेवी जिन शासन की व्यवस्थाओं का विरोध कर अनेक तरह के कर्मों व पापों का बंध करते है। अपने मां बाप, देव, गुरु व धर्म का सम्मान नहीं कर दिखावें के रूप में जन सेवा कर अपने अहंकार को उच्च करते है। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर ने आचार्यश्री के विषय को विस्तृत रूप् से समझाते हुए कहा कि भोग विलास, भौतिकता, आडम्बर व मिथ्या दृष्टि के भाव को दूर कर देव, गुरु व धर्म के मार्ग पर चलने से ही कल्याण संभव है।
तपस्याओं की अनुमोदना
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि पर्युषण पर्व के दौरान एक से 41 दिन की तपस्याएं श्रावक-श्राविकाएं उच्च मनोबल व संकल्प के साथ कर रहे है। शनिवार को बिना अन्न जल के तपस्या करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी, रौनक बरड़िया, चिराग सुराणा, सुनील लोढ़ा सहित उपवास, बेला, तेला,अट्ठाई, मासखमण, आयम्बिल, अट्ठम तप, श्रेणिक तप, आगम तप करने वाले श्रावक-श्राविकाओं की अनुमोदना की गई।
श्री सुगन जी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री जिनेश्वर युवक परिषद ने श्रीसंघ के सहयोग से पर्युषण पर्व के दौरान अधिकाधिक संख्या में श्रावक-श्राविकाएं के प्रवचन, सुनने, सामयिक, पौषध व अन्य धार्मिक-आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए विभिन्न व्यवस्था की गई। श्री सुगन जी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि ढढ्ढों के चौक में एल.ई.डी. लगाई गई है। पर्युषण पर्व के श्रावक-श्राविकाओं की साधना आराधना व भक्ति में कोई खलल नहीं हो इसके लिए दो महिला सहित 7 सुरक्षा गार्ड, तथा पुलिस प्रशासन की टीम सेवाएं दे रही है।
श्री जिनेश्वर युवक परिषद के मंत्री मनीष नाहटा ने बताया कि पर्युषण में देव, गुरु व धर्म की साधना, आराधना व भक्ति करने के लिए छतीसगढ़, सूरत, चैन्नई आदि स्थानों से 150 से अधिक श्रावक-श्राविकाएं बीकानेर पहुंचे है। उनके आवास व भोजन आदि की व्यवस्था महावीर भवन आदि स्थानों पर की गई है। श्रावकों का पौषध,प्रतिक्रमण व सामयिक प्रवचन पंडाल में व श्राविकाओं का रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में रहेगा।
जिनालयों में दर्शन वंदन व अंगी तथा भक्ति
आचार्यश्री के सानिध्य में नाहटा चौक के आदिश्वर मंदिर में नियमित अंगी, ढढ्ढा चौक में नियमित भक्ति संगीत के आयोजन होंगे। सुबह आचार्यश्री चतुर्विद संघ के साथ जिनालयों मे दर्शन वंदन करने जाएंगे। कोठारी भवन व सुगन जी महाराज के उपासरे में सुबह छह बजे पौषध शाम सात बजे प्रतिक्रमण, पंडाल में सुबह पौने नौ बजे से व दोपहर 3 बजे से चार बजे तक प्रवचन, रात आठ बजे भक्ति का आयोजन होगा।