पीएम मोदी समेत 28 के खिलाफ कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर याचिका दाखिल

  • वाराणसी MP-MLA कोर्ट 23 मई को करेगा सुनवाई

वाराणसी , 13 मई।कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से बचाव के लिए बनाई गई वैक्सीन (vaccine) से हो रहे साइड इफेक्ट को लेकर एक याचिका दाखिल की गई है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/अपर सिविल जज (सी डी प्रथम) की अदालत में दाखिल इस याचिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi), सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी (Serum Institute Company), उसके चेयरमैन, सी ईओ, एस्ट्रो जेन कंपनी (Estrogen Company) , और उसके चेयरमैन समेत 28 लोगों को विपक्षी बनाया गया है। अदालत ने इस मामले के लिए गठित अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी -एमएलए) की कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 23 मई नियत कर दी गयी है। 

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वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ MP-MLA कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर भी आरोप लगाए हैं। मामला मानव संरक्षण अधिनियम 1993 के तहत कोर्ट के सामने पेश किया गया है। याचिका अधिवक्ता विकास सिंह ने दाखिल की है।

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पीएम मोदी के अतिरिक्त 28 और लोगों के खिलाफ याचिका को वाराणसी के जिला एवं सत्र न्यायालय की ACJM कोर्ट ने स्वीकार किया है। दाखिल याचिका में कोरोना महामारी के दौरान लगाई गई वैक्सीन से हो रहे साइड इफेक्ट का दावा किया गया है। याचिका में पीएम समेत कंपनी से जुड़े लोगों को जिम्मेदार बताया गया है।

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कोर्ट ने सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी और उसके चेयरमैन समेत 28 लोगों को पक्षकार बनाया है।

वाराणसी में अधिवक्ता विकास सिंह ने 9 मई 2024 को वकील गोपाल कृष्ण के जरिए कोर्ट में आवेदन दिया। इसमें आरोप लगाया गया है कि पीएम नरेंद्र मोदी, सीरम इंस्टीट्यूट कंपनी, उसके चेयरमैन, सीईओ, एस्ट्रोजेन कंपनी और उसके चेयरमैन समेत 28 विपक्षियों ने कोरोना महामारी में मनमानी की। सभी ने मिलीभगत करते हुए बिना किसी परीक्षण के कोविड शील्ड दवा बनाई। लोगों को भय दिखाया। कोरोना वैक्सीन जबरन लगवाई गई। इससे कंपनियों ने फायदा कमाया।

याचिका में दावा किया गया कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने भाजपा को चंदा दिया। यह दावा भी किया गया कि पक्षकारों ने दवा के साइड इफेक्ट जानते हुए भी जानबूझकर लोगों को मौत के मुंह ढकेल दिया। याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पीएम मोदी समेत 28 पक्षकारों को तलब करके दंडित किया जाए। मांग की गई कि दवा के साइड इफेक्ट से पीड़ित लोगों को क्षतिपूर्ति करवाई जाए।

विकास सिंह की याचिका को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (MP-MLA) की कोर्ट ने सुनवाई के लिए 23 मई की तारीख तय की है। अब विकास सिंह सुनवाई पर साक्ष्य देंगे। इसमें मेडिकल रिपोर्ट, अखबार की कतरन समेत ऐसे सबूत होंगे, जो साबित करते हो कि कोवीशील्ड लगवाने वाले लोगों को बाद में साइड इफेक्ट से परेशानी हुई। अगर कोर्ट संतुष्ट होता है तब पक्षकारों को नोटिस जारी हो सकता है।

 

                                                                                      वाराणसी कोर्ट में स्वीकार हुई याचिका का लेटर

अब आगे क्या…
सीनियर एडवोकेट बोले- वादी की दलील कमजोर हुईं तो खारिज हो सकती है याचिका

बनारस बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता विनोद कुमार शुक्ला ने बताया,’कोर्ट में जज ने मामले को सुना है। दाखिल याचिका को स्वीकार कर लिया है। यानी सुनने योग्य मान लिया। अब अगली तारीख पर वादी पक्ष को साक्ष्य पेश करने होंगे। गवाहों के बयान होंगे।

इसके बाद दो पॉइंट हो सकते हैं। पहला अगर जज संतुष्ट होते हैं, तो तय धाराओं में दूसरे पक्ष को नोटिस जारी कर सकते हैं। इसके बाद कोर्ट में दोनों पक्षों के बयान हो सकते हैं। दूसरा जज के सामने वादी की दलील कमजोर साबित हुईं, तो याचिका खारिज हो सकती है। ऐसा नहीं होने पर कोर्ट में केस चलेगा।

भारत में 175 करोड़ डोज कोवीशील्ड की लगाई गईं
दरअसल, कोविड महामारी के दौरान भारत में 175 करोड़ कोवीशील्ड की डोज लोगों को दी गईं। हाल में ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। हालांकि ऐसा बहुत रेयर मामलों में ही होगा। एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाई है।

ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन से कई लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा। कंपनी के खिलाफ हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा।

ब्रिटिश हाईकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने माना है कि उसकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है।

 

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