पर्यटन लेखक संघ-महफिले अदब द्वारा आयोजित काव्य गोष्ठी में जमा रंग

त्रिभाषाओं के रचनाकारों की उत्कृष्ट रही रचनाएं -प्रोफेसर डॉ. बिनानी.

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बीकानेर , 12 जनवरी। पर्यटन लेखक संघ- महफिले अदब द्वारा 12 जनवरी, रविवार को गंगाशहर रोड़ स्थित होटल मरुधर हेरिटेज में साप्ताहिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई । काव्य गोष्ठी का संचालन करते हुए पूर्व प्रिंसिपल, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने बताया कि काव्य गोष्ठी के तहत हिंदी-उर्दू- राजस्थानी- त्रिभाषाओं के रचनाकारों ने उत्कृष्ट रचनाएं सुना कर खूब दाद लूटी । काव्य गोष्ठी के अध्यक्ष पीबीएम हॉस्पिटल के पूर्व नर्सिंग अधीक्षक एवं वरिष्ठ कवि डा. जगदीश दान बारहठ थे । काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि शायर व कथाकार कासिम बीकानेरी तथा संयोजक पूर्व प्रिंसिपल, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी थे । गोष्ठी के मुख्य अतिथि शायर व कथाकार कासिम बीकानेरी ने संसार सागर के विभिन्न आयामों को शायरी के रूप में शब्दों में पिरोते हुए-
“था चिरागों का जुर्म बस इतना
क्यूं हवाओं के दरमियां ठहरे ।”
सुना कर खूब तालियां बटोरी ।

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काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पूर्व नर्सिंग अधीक्षक एवं वरिष्ठ कवि डा.जगदीश दान बारहठ ने कहा कि ऐसी गोष्ठियां करना सराहनीय कार्य है । उन्होंने इस अवसर पर – जीवन यात्रा नदी की – शीर्षक की अपनी कविता जोशीले अंदाज में प्रस्तुत कर श्रोताओं में जोश भर दिया । काव्य गोष्ठी का संचालन करते हुए पूर्व प्रिंसिपल, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने स्वामी विवेकानंद जयंती व युवा दिवस के अवसर पर युवाओं को समर्पित -देश का नाम जग में रौशन किया- शीर्षक से अपनी रचना –
“युवाओं को स्वावलंबी बनाया,
निष्ठा, लगन, अनुशासन सीखाया”
सुना कर कार्यक्रम को एक नया आयाम दिया ।
काव्य गोष्ठी में शायर इमदाद उल्लाह बासित ने व्यक्ति के मिजाज पर केंद्रित अपनी शायरी “गर चे हर एक शख्स से मिलता नहीं मिजाज” शायराना अंदाज में प्रस्तुत कर सभी की वाही वाही हासिल की । वरिष्ठ कवि शकूर बीकाणवी ने मधुर मायड़ भाषा राजस्थानी में “ए पाटा सुना लागै है, म्हारै अब खाई है बेचैनी” रचना सुना कर बीकानेरियत के रंग भरे । इस अवसर पर वरिष्ठ कवि कमल किशोर पारीक, अमर जुनूनी आदि ने भी अपनी अपनी शानदार रचनाएं प्रस्तुत कर काव्य गोष्ठी में समां बांध दिया। अंत में वरिष्ठ शायर व आकाशवाणी के उद्घोषक असद अली असद की माताश्री के असामयिक निधन पर दो मिनिट का मौन रख कर श्रृद्धांजलि अर्पित की गई । काव्य गोष्ठी का संचालन प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने किया ।

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