नहीं रहे ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस, शोक में दुनिया के 1.4 अरब लोग

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  • पोप फ्रांसिस के निधन की खबर से दुनिया भर के 1.4 अरब कैथोलिक अनुयायी शोक में डूब गए हैं।

नई दिल्ली , 21 अप्रैल। रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी नेता और ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वेटिकन ने एक वीडियो बयान में इसकी पुष्टि की। अपने 12 साल के कार्यकाल के दौरान पोप फ्रांसिस कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहे थे। वेटिकन द्वारा अपने टेलीग्राम चैनल पर प्रकाशित बयान में कार्डिनल केविन फैरेल ने कहा, “आज सुबह 7:35 बजे (0535 GMT) रोम के बिशप, फ्रांसिस, अपने पिता के घर लौट गए।”

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यहूदी-विरोधी भावनाओं पर जताई थी चिंता

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पोप फ्रांसिस ने रविवार को अपने अंतिम ईस्टर संबोधन में विचार की स्वतंत्रता और सहिष्णुता की वकालत की थी। उन्होंने बेसिलिका की बालकनी से 35,000 से अधिक लोगों की भीड़ को ईस्टर की शुभकामनाएं दीं, लेकिन अपनी पारंपरिक “उर्बी एट ओरबी” (“शहर और विश्व के लिए”) आशीर्वाद को पढ़ने का कार्य एक सहयोगी को सौंप दिया। अपने संदेश में उन्होंने कहा, “धर्म की स्वतंत्रता, विचार की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दूसरों के विचारों का सम्मान किए बिना शांति संभव नहीं है।” उन्होंने यहूदी-विरोधी भावनाओं को “चिंताजनक” बताते हुए गाजा की स्थिति को “नाटकीय और निंदनीय” करार दिया।

1.4 अरब कैथोलिक अनुयायी शोक में

पोप फ्रांसिस के निधन की खबर से दुनिया भर के 1.4 अरब कैथोलिक अनुयायी शोक में डूब गए हैं। उनके नेतृत्व में चर्च ने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण और गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया था। उनके निधन के साथ ही वेटिकन में नए पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है, लेकिन फिलहाल पूरी दुनिया अपने प्रिय धर्मगुरु के जाने के गम में डूबी है।

निधन का कारण और स्वास्थ्य स्थिति
पोप फ्रांसिस पिछले कई महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। फरवरी 2025 में उन्हें श्वसन संकट के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो बाद में डबल निमोनिया में बदल गया। 38 दिनों के अस्पताल प्रवास के बाद, उन्हें मार्च में छुट्टी मिली थी, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। उनकी युवावस्था में फेफड़ों की सर्जरी हुई थी, जिससे उनके लिए श्वसन संक्रमण अधिक खतरनाक हो गया था।

वैश्विक श्रद्धांजलियाँ

  • पोप फ्रांसिस के निधन पर विश्वभर से श्रद्धांजलियाँ अर्पित की जा रही हैं:​
  • फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने उन्हें विनम्रता और सामाजिक न्याय के प्रति समर्पित नेता बताया।​
  • इज़राइल के राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने उनके शांति और अंतरधार्मिक संवाद के प्रयासों की सराहना की।​
  • डच प्रधानमंत्री डिक स्कोफ ने उन्हें वैश्विक आदर्श बताया।​
  • न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने उनके सामाजिक न्याय और अंतरधार्मिक संवाद के प्रति योगदान को याद किया। ​

अंतिम संस्कार और उत्तराधिकारी चयन
वेटिकन ने पोप फ्रांसिस के निधन की पुष्टि के साथ ही पारंपरिक प्रक्रियाएँ शुरू कर दी हैं। कैमरलेन्गो कार्डिनल केविन फैरेल ने उनकी मृत्यु की घोषणा की।​ पोप की ‘मछुआरे की अंगूठी’ और मुहर को नष्ट किया गया, जो उनके शासन के अंत का प्रतीक है।​ नए पोप के चयन की प्रक्रिया जल्द ही सिस्टिन चैपल में शुरू होगी, जिसमें 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल भाग लेंगे।

पोप फ्रांसिस की विरासत
पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जोर्ज मारियो बर्गोलियो था, 2013 में पहले लैटिन अमेरिकी और जेसुइट पोप बने। उनका 12 वर्षों का कार्यकाल कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। गरीबों और हाशिए पर रहने वालों के लिए विशेष चिंता।​ वेटिकन में पारदर्शिता और सुधार के प्रयास।​ जलवायु परिवर्तन और पूंजीवाद की आलोचना।​ अंतरधार्मिक संवाद और समावेशिता को बढ़ावा।​ उनकी सादगी, करुणा और साहसिक नेतृत्व के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।​

 

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