प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला आयोजित हुयी
गंगाशहर , 18 जनवरी। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशानुसार तेरापंथ महिला मंडल गंगा शहर द्वारा आचार्य श्री तुलसी की मासिक तिथि तीज पर आर्शीवाद भवन में आयोजित प्रेक्षा ध्यान कार्यशाला में साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने प्रेक्षा ध्यान के अर्थ , इतिहास एवं जीवन शैली के बारे में बताते हुए कहा कि जैन धर्म में ध्यान का अत्यधिक महत्व रहा है। तेरापंथ धर्म संघ में आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ जी ने प्रेक्षाध्यान के द्वारा इस ध्यान पद्धति को पुनर्जीवित किया है। प्रेक्षा ध्यान का अर्थ है गहराई से देखना, आत्मा के द्वारा आत्मा को देखना और अपने भाव तंत्र को सक्रिय करना । जिससे आपकी एकाग्रता में वृद्धि हो और ध्यान साधना द्वारा हम सिर्फ शरीर और मन को ही नहीं बल्कि अपनी आत्मा को भी जान सके, प्रेक्षा ध्यान के द्वारा शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक विकास होता है। अध्यक्ष संजू लालानी ने बताया कि वर्तमान आचार्य श्री महाश्रमणजी ने इस वर्ष को प्रेक्षा ध्यान कल्याण वर्ष घोषित किया है ।
कार्यशाला में साध्वी श्री कृतार्थ प्रभा जी ने दीर्घ श्वास प्रेक्षा के आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक लाभ बताते हुए प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग करवाए एवं सुमधुर गीतिका का संगान किया।
उपासिका श्रीमती प्रतिभा चोपड़ा ने प्रेक्षा ध्यान को सभी को अपनाने की प्रेरणा दी।
शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री हंसराज डागा ने प्रेक्षा ध्यान की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त किये।
मंत्री मीनाक्षी आंचलिया ने समागत सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया एवं बताया कि आगामी तीन -चार- पांच जनवरी 2025 को आचार्य श्री तुलसी शांति प्रतिष्ठान द्वारा त्री दिवसीय आवासीय प्रेक्षा ध्यान शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सभी वर्ग/जाति के व्यक्ति सम्मिलित हो सकते हैं।