तपस्या आत्मा की पवित्रता बढाती है – मुनि श्री कमल कुमार
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गंगाशहर, 13 फरवरी। तेरापंथ भवन गंगाशहर में मासखमण व तपस्या करने वाले मुनियों का तपोभिनदंन किया गया। मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा कि तपस्या आत्मा की शुद्धि के लिए की जाती है। तपस्या से आत्मा की पवित्रता बढ़ती है। तप जप की महिमा सबसे अलग है। धर्म हृदय में है। मंदिर की पूजा में नहीं है। प्रवचन हमें धर्म करने की प्रेरणा देते हैं। तपस्या की महिमा में कहा गया है कि मुनि श्री नमी कुमार जी ने एक चातुर्मास में तीन मासखमण (एक माह का पूर्ण उपवास) किया जो तेरापंथ धर्म संघ का इतिहास बन गया है। मुनि श्री ने कहा कि हम व्यक्तित्व निर्माण के लिए गंगाशहर आए हैं। जनमानस को बताया है कि जीवन में नैतिकता लाई जाती है, व्यापारिक व्यवहार में प्रामाणिकता रखी जाती है।
मुनि श्री मुकेश कुमार जी ने कहा कि उपवास के लिए संकल्प शक्ति का होना बहुत जरूरी है। बिना संकल्प के बड़ी तपस्या संभव नहीं है। तप से संचित पापों का नाश होता है। पाप कर्मों से आत्मा को लाभ मिलता है।
मुनि श्री आगम कुमार जी ने कहा कि मुनि श्री नमी कुमार जी ने 19 मासखमण के आठ वर्षों में कई अन्य तपस्वियों के भी दर्शन किए हैं। मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी ने तप करते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं भी तप करके अपना स्वास्थ्य सुधारा है।
मुनि श्री विमल बिहारी जी ने मुनि श्री नमी कुमार जी के मासखमण की तपस्या और मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी के 12 की तपस्या की अनुमोदना करते हुए कहा कि जहां एक नवकारसी भी करना कठिन है, इतनी बड़ी तपस्या, वह भी ठंड के मौसम में करना बहुत बड़ी बात है। उन्होंने मुनि घोर तपसी की गीतिका का संगान किया।
मुनि श्री प्रबोध कुमार जी ने गीतिका “जीवन निर्मल होगा, सारे बंधन तोड़ देंगे” की गीतिका का संगान किया। उन्होंने कहा कि मुमुक्षु का अर्थ है- मोक्ष की इच्छा रखने वाला। मेरे सभी कर्म कब नष्ट होंगे? मुझे मोक्ष कब मिलेगा? कर्मों को काटने के लिए केवल तप ही नहीं इसके अन्य तरीके भी हैं- ध्यान, स्वाध्याय, जप और तप। तप में कोई दूसरों की नकल नहीं कर सकता। दो तपस्वियों ने मुनि श्री को उनके आध्यात्मिक जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं।
मुनि श्री देवार्य कुमार जी ने कहा- कहते हैं कि धर्म के मामले में भी लोग खाने-पीने में वीर और पराक्रमी होते हैं। मुनि श्री मुनि मुनि तप में हम सभी से बहुत आगे हैं, उन्होंने स्वावलंबन के साथ तप किया। अपनी प्रशंसा सुनने की लालसा की पुरानी प्रक्रिया है, जो कर्मों के बंधन का कारण बनती है।
मुनि श्री नमी कुमार जी ने कहा कि मैं साधु जीवन से पहले गृहस्थ रहते हुए कई बार पवित्र भूमि गंगाशहर आया था, लेकिन दीक्षा के बाद पहली बार आया हूं। मेरी इच्छा है कि मैं तप के क्षेत्र में आगे बढ़ता रहूं।उन्होंने कहा तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी ने मुझे जवान बना दिया। उम्र से मैं बूढ़ा दिख रहा हूं, लेकिन तप ने मुझे भीतर से ऊर्जा से भर दिया है। आज 29 की तपस्या है और आगे बढ़ने के भाव लगे।
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मुनि श्रेयांश कुमार जी ने तप आराधना के संदर्भ में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जो संत महात्मा गंगाशहर आ रहे हैं, तो मैं उनका तप से स्वागत करूंगा, इसलिए मेरी तपस्या हो गयी। मेरे गृहस्थ जीवन में मेरे माता-पिता ने भी खूब तप किया । मेरे भाई मुनि श्री अजीत कुमार जी भी घोर तप करते हैं। तप में अपार शक्ति जागृत होती है- इसी भावना से गीतिका भी सुनायी ।
मुनि श्री सुमति कुमार जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान महावीर ने कहा है कि तप से जीव को क्या मिलता है? तप करने वाला जीव अपने पुराने कर्मों का नाश कर देता है। सिद्धांत के बिना तप संभव नहीं है, क्योंकि तप में अपार शक्ति होती है। मुनि श्री नमि कुमार जी वर्तमान में धर्म संघ में महान तपस्वी संत हैं। उन्होंने शुभकामना करते हुए कहा इस चातुर्मास में तप की गंगा बहेगी। समारोह में सैकड़ों श्रावक समाज उपस्थित था। तपस्वियों के तप की अनुमोदना में सैकड़ों श्रावकों ने आज उपवास रखा।
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