धमकियां देने और शराब की मांग करने वाले एएसपी की देरी से गिरफ्तारी सवालों के घेरे



जयपुर, 21 मई। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के एएसपी सुरेन्द्र शर्मा की गिरफ्तारी ने राजस्थान में भ्रष्टाचार को लेकर कई चौंकाने वाले तथ्यों को उजागर कर दिया है। एसीबी के पास मौजूद रिकॉर्डिंग्स से पता चला है कि शर्मा ने अपनी 90 प्रतिशत अवैध डील्स दलालों के फोन से कीं। जनवरी 2025 में इन डील्स की रिकॉर्डिंग एसीबी को प्राप्त हो गई थी, बावजूद इसके कार्रवाई में पांच महीने की देरी सवालों के घेरे में है।




फोन पर धमकियां और शराब की मांग
8 से 16 जनवरी 2025 तक की रिकॉर्डिंग्स में सुरेन्द्र शर्मा को दलालों रामराज मीणा और प्रदीप उर्फ बंटी पारीक के मोबाइल से अधिकारियों को धमकाते हुए सुना गया। एक मामले में शर्मा ने अपनी व्यक्तिगत इच्छा पूरी करने के लिए एक शराब ठेकेदार से ब्लेंडर ब्रांड की चार बोतलें तक मांग लीं।


जनवरी से मई तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
एफआईआर के अनुसार, एसीबी के पास 6 से 16 जनवरी तक की रिकॉर्डिंग थी, जिसमें शर्मा की संलिप्तता साफ थी। इसके बावजूद, एफआईआर में अगली रिकॉर्डिंग 1 मई की बताई गई है। इस बीच चार महीनों में क्या हुआ, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। 19 मई को एसीबी ने शर्मा, रामराज मीणा और बंटी पारीक को गिरफ्तार किया। सवाल यह उठ रहा है कि जब जनवरी में ही पर्याप्त सबूत थे, तब गिरफ्तारी में देरी क्यों हुई?
सर्विलांस से हुआ भ्रष्टाचार का पर्दाफाश
एसीबी मुख्यालय में तैनात एएसआई सूरज बाली को जानकारी मिली कि रामराज मीणा सवाई माधोपुर में अवैध बजरी खनन को संरक्षण देने के लिए अधिकारियों से सांठगांठ कर रिश्वत दे रहा है। इसके बाद रामराज का मोबाइल सर्विलांस पर लिया गया, जिससे सुरेन्द्र शर्मा की भूमिका उजागर हुई।
वार्तालापों में खुली एएसपी की पोल
8 और 9 जनवरी की रिकॉर्डिंग में सुरेन्द्र शर्मा अधिकारियों को धमकाते, शराब की मांग करते और अपने निजी कार्यों के लिए दबाव बनाते पाए गए। एक अन्य बातचीत में शर्मा ने वकील जयसिंह राजावत से कहा, “भय के बिना प्रीत नहीं होती,” और “सर्जिकल स्ट्राइक” की धमकी तक दी।
पहले से दर्ज शिकायतें बनीं आधार
शर्मा के खिलाफ जून 2024 में भी शिकायत दी गई थी, जिसमें बताया गया था कि वे अपने दलालों के माध्यम से अधिकारियों से भारी मासिक वसूली करते थे। इसके पहले 10 जून 2023 को भरतपुर में एक व्यक्ति ने थाने में रिपोर्ट दी थी कि शर्मा ने एक लाख रुपये की मांग की थी, न देने पर फंसाने की धमकी दी गई थी।
अब जांच के घेरे में एसीबी की भूमिका
शर्मा की गतिविधियों के बारे में पहले से जानकारी होने के बावजूद पांच महीने तक कोई कार्रवाई न होना एसीबी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है। अब इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग जोर पकड़ रही है।