IITians ने राहुल गांधी से पूछा-कांग्रेस और BJP में क्या अंतर? जवाब कर देगा हैरान
चेन्नई , 5 जनवरी। राहुल गांधी ने आईआईटी मद्रास के स्टूडेंट्स से शिक्षा से लेकर देश और दुनिया के गंभीर मुद्दों पर संवाद किया है। राहुल गांधी ने क्वालिटी एजुकेशन के लिए शिक्षा पर अधिक धन खर्च करने और प्राइवेटाइजेशन की बजाय सरकारी संस्थानों पर ध्यान देने पर जोर दिया। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सार्वजनिक संस्थानों की मजबूती से ही शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा और बदलाव आ सकेगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी की आर्थिक ट्रिकल डाउन सोच समाज और देश के लिए काफी नुकसानदायक है।
आईआईटी मद्रास के स्टूडेंट्स के सवालों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन प्राइवेटाइजेशन या फंडिंग के माध्यम से नहीं प्राप्त किया जा सकता है। सरकार को अधिक से अधिक खर्च शिक्षा पर करना चाहिए, सार्वजनिक संस्थानों को मजबूत करना चाहिए।
क्वालिटी एजुकेशन सरकार की जिम्मेदारी
नेता प्रतिपक्ष ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मेरा मानना है कि अपने लोगों को क्वालिटी एजुकेशन की गारंटी देना किसी भी सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इसे प्राइवेटाइजेशन के माध्यम से हासिल नहीं किया जा सकता है। स्टूडेंट्स से बातचीत में उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा और सरकारी संस्थानों को मजबूत करने पर बहुत अधिक पैसा खर्च करने की आवश्यकता है। राहुल गांधी ने कहा कि निष्पक्षता को प्राथमिकता देकर, रिसर्च, इनावेशन व क्रिएटिविटी को बढ़ावा देकर, हम भारत को एक सच्चे ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित कर सकते हैं।
कांग्रेस और बीजेपी किस तरह से काम करती है?
आईआईटीयन्स ने राहुल गांधी से पूछा कि कांग्रेस और भाजपा किस तरह से काम करती हैं? दोनों के काम करने और सोच में क्या अंतर है? जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस और यूपीए आम तौर पर मानते हैं कि संसाधनों का अधिक निष्पक्ष वितरण किया जाना चाहिए। डेवलपमेंट व ग्रोथ समान रूप से सबका और इन्क्लूसिव होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बीजेपी विकास के मामले में आक्रामकता दिखाती है और कुछ खास लोगों के डेवलपमेंट को ही देश का विकास मानती है। बीजेपी आर्थिक दृष्टि से ‘ट्रिकल-डाउन’ में विश्वास करती है। जबकि कांग्रेस को लगता है कि सामाजिक मोर्चे पर विकास को प्राथमिकता देना चाहिए। हमें लगता है कि समाज जितना अधिक सामंजस्यपूर्ण होगा, लोग जितने कम लड़ेंगे, देश के लिए उतना ही बेहतर होगा। देश तरक्की की राह पर दौड़ेगा। बस यही अंतर बीजेपी और कांग्रेस में है।
देश के सरकारी शिक्षण संस्थानों पर ध्यान देने की जरूरत
राहुल गांधी ने कहा कि मैंने कई बार कहा है कि हमारे देश में सबसे अच्छे संस्थान सरकारी संस्थान हैं, आपका संस्थान भी उनमें से एक है। मैं सरकारों द्वारा शिक्षा पर अधिक धन खर्च करने के पक्ष में हूं। देश की शिक्षा प्रणाली जिस तरह से स्थापित की गई है, उसमें उन्हें गंभीर समस्याएं हैं। मुझे नहीं लगता कि हमारी शिक्षा प्रणाली हमारे बच्चों की कल्पना को पनपने देती है। उन्होंने कहा कि शायद मेरी बातों पर आप सहमत न हो लेकिन प्रतिबंध ऊपर से नीचे तक की व्यवस्था में है जोकि बहुत नैरो है।
कुछ पेशा को ही केवल मान्यता, इनोवेशन-आइडिएशन को मिले प्रोत्साहन
राहुल गांधी ने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने हजारों बच्चों से बात की और उनसे पूछा कि वे क्या बनना चाहते हैं। अधिकतर वकील, डॉक्टर, इंजीनियर या सेना के जवान बनना चाहते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि इस देश में करने के लिए केवल पांच ही जॉब्स टाइम बेहतर है लेकिन हमारी व्यवस्था इसी पर जोर दे रही है। देश की शिक्षा व्यवस्था, सफलता को केवल तभी मापती है जब कोई इंजीनियर या डॉक्टर बन जाता है, या आईएएस/आईपीएस में शामिल हो जाता है या सेना में शामिल हो जाता है। जबकि हकीकत यह है कि यह हमारी आबादी का केवल एक या दो प्रतिशत है और हमारी 90 प्रतिशत आबादी ऐसा कभी नहीं करने वाली है। उन्होंने कहा कि सिस्टम को बच्चों को वह करने देना चाहिए जो वे करना चाहते हैं। उनको नई चीजों का अनुभव करने का परमिशन देना होगा। हमारा एजुकेशन सिस्टम कई नई चीजों की उपेक्षा करती है, तमाम बिजनेस और व्यवसाय की उपेक्षा करती है। हम केवल चार या पांच व्यवसायों को अधिक महत्व देते हैं। इस सोच को सिस्टम से बदलना होगा। रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान देना होगा। फ्रीडम देना होगा कि स्टूडेंट्स कैसे और कहां अपना करियर बनाएं, वह तय करें।