Rajasthan Chunav: राजस्थान में कांग्रेस क्यों हारी राहुल ने बताय इसका सटीक कारण

राहुल के सामने नहीं चला राजस्थान की हार का बहाना, गहलोत को बताया कहां हुई उनसे गलती

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

नई दिल्ली, 10 दिसम्बर। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए तीन हिंदी भाषी राज्य में हार एक धक्का है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के रथ पर सवार 10 साल बाद दिल्ली की सत्ता दोबारा पाने की कोशिश में लगी पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। एमपी तो गया ही साथ ही छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी हाथ से निकल गया, जहां कांग्रेस की खुद की सरकार थी। तीन राज्यों की हार पर पार्टी के भीतर मंथन चल रहा है। इसी कड़ी में राजस्थान विधानसभा चुनाव के हार की वजह खोजी गई। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोगों से संवाद में कमी को इस हार की वजह बताया है। वह पूर्व सीएम अशोक गहलोत के ध्रुवीकरण वाले तर्क से असहमत दिखे। गहलोत ने कहा कि बीजेपी ने प्रदेश में ध्रुवीकरण किया जिसके कारण कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही।

mmtc
pop ronak

ध्रुवीकरण नहीं है मुद्दा
राजस्थान चुनाव की हार की समीक्षा बैठक में, राहुल ने कथित तौर पर तर्क दिया कि अगर भाजपा चुनावों को ध्रुवीकृत करने में सफल होती, तो कांग्रेस लगभग 40% का अपना वोट शेयर न बनाए रखे होता। और यहां तक कि इसे एक छोटे अंश से बढ़ा दिया होता, जो भाजपा से केवल 2% पीछे था। उन्होंने कहा कि यह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से काफी बेहतर है, और पार्टी इस जीत की आंधी में उड़ नहीं गई।

khaosa image changed
CHHAJER GRAPHIS

पीएम मोदी पर गहलोत का निशाना
गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा नेताओं के अभियान के दौरान सांप्रदायिक राग अलापने पर जमकर निशाना साधा और अफसोस जताया कि प्रतिद्वंद्वी ने राज्य सरकार के रिकॉर्ड को चुनौती देकर चुनाव नहीं लड़ा। राहुल ने इस दावे पर सहमति जताई कि राज्य की कल्याणकारी योजनाएं अत्याधुनिक थीं, लेकिन उन्होंने कहा कि कांग्रेस उन्हें मतदाताओं तक व्यापक रूप से पहुंचाने में विफल रही। राहुल ने कहा कि कर्नाटक में हम अपनी योजनाओं को लेकर गए और लोगों तक पहुंचाया और उसका फायदा हमें मिला। यहां योजनाएं रैलियों तक ही सीमित रहीं। उन्होंने यह भी कहा है कि नौकरशाही सरकार पर हावी हो गई थी।

गहलोत-राहुल में विधायक बदलने को लेकर हुई बहस
कांग्रेस चुनाव समिति में बैठे विधायकों को बदलने को लेकर राहुल और गहलोत के बीच बार-बार बहस हुई, लेकिन अधिकांश विधायकों को बरकरार रखने में सीएम का पलड़ा भारी रहा। कांग्रेस के 23 मंत्रियों में से 17 हार गए और गहलोत सहित केवल 6 ही जीतने में सफल रहे। हालांकि, एक नेता ने कहा कि अगर उम्मीदवारों को बदलना है तो काम काफी पहले शुरू करना होगा। एक अन्य प्रतिभागी ने मांग की कि पार्टी उन नेताओं की पहचान करे जिन्होंने व्यक्तिगत उम्मीदवारों की सिफारिश की थी, और जवाबदेही तय करे। जब राज्य संगठन में बदलावों के बारे में पूछा गया, तो AICC प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि बदलाव केवल तभी किए जाते हैं जब पार्टी का प्रदर्शन गिरता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि पार्टी जवाबदेही तय करेगी।

आम जनता भी इस बार कांग्रेस की हार से अचम्भित
राजस्थान का आम अवाम भी इस बार कांग्रेस को वापिस लाने के पक्ष में दिखलाई दे रहा था परन्तु वोटरों को कांग्रेस के कार्यकर्ता मतदान स्थल पर लाने में कमजोर पड़ गए। स्टार प्रचारकों की कमी तथा अनेक विधानसभा क्षेत्रों में कोई भी बड़ी पब्लिक मीटिंग न होना भी कारण है। 2013 की भूलों व गल्तियों को सुधारा नहीं गया। योजनाएं अच्छी होने के बावजूद उनको भुनाने में अशोक गहलोत सरकार असफल रही. बीकानेर जैसे जिले में केबिनेट मंत्री गोविन्द मेघवाल जैसे अहंकारी नेता खुद भी डूबे और कल्ला व भंवर को भी ले डूबे। जिसके कारण हार का मुंह देखना पड़ा।

bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *