रेप पीड़िता की टीसी काटने पर स्कूल की मान्यता रद्द

शिक्षा निदेशालय ने निकाला आदेश, 11वीं व 12वीं के स्टूडेंट दूसरे स्कूलों में जाएंगे

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बीकानेर , 13 अप्रैल। रेप पीड़ित छात्रा को संरक्षण देने के बजाय उसकी टीसी काट देने के मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर ने अजमेर के एक स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। अजमेर के इस निजी स्कूल की सीनियर सेकेंडरी तक की मान्यता वापस ले ली गई है। छात्रा को ओपन स्कूल में एग्जाम दिलाकर उसका सत्र बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

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अजमेर के चांचियावास में स्थित इस निजी स्कूल पर आरोप है कि उसने रेप पीड़ित छात्रा को संरक्षण देने के बजाय उसकी टीसी काटकर दे दी। इसे राज्य सरकार और शिक्षा विभाग ने गंभीरता से लिया है। स्कूल प्रबंधन को शुक्रवार को अपनी बात रखने के लिए बुलाया गया था।

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निदेशक के सामने स्कूल ने अपना पक्ष रखा, जिसके बाद उसकी सीनियर सैकंडरी की मान्यता वापस ले ली गई है। इस स्कूल में ग्यारहवीं व बारहवीं में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की पढ़ाई नियमित रहे, इसके लिए संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है। इन स्टूडेंट्स को आसपास के स्कूल में समायोजित किया जाएगा।

स्कूल को दिया था नोटिस

जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से इस निजी स्कूल को नोटिस दिया गया। नोटिस में कहा गया कि जांच रिपोर्ट में छात्रा की ओर से की गई शिकायत प्रमाणित पाई गई है। इस कारण स्कूल की मान्यता समाप्त किए जाने की अभिशंसा की गई है। पत्र में स्कूल संचालन संबंधी सभी दस्तावेज और लिखित प्रतिउत्तर सबूतों के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

बाल कल्याण समिति पर सवाल

स्कूल प्रबंधन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बाल कल्याण समिति की जिम्मेदारी थी कि वह स्कूल प्रबंधन को छात्रा के साथ हुई घटना की जानकारी देती। वहीं बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष का कहना है कि स्कूल की जिम्मेदारी थी छात्रा की काउंसलिंग करके उसकी मदद करते। पॉक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज करने के बाद भी पुलिस ने समिति को न एफआईआर भेजी न प्रकरण के बारे में कोई जानकारी दी।

स्कूल प्रशासन का तर्क : न टीसी काटी न छात्रा को परीक्षा देने से रोका

चाचियावास स्थित स्कूल की प्राचार्य का कहना है कि छात्रा के साथ रेप की घटना की जानकारी स्कूल प्रशासन को नहीं थी। मामला पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज हुआ था। ऐसे मामलों में बाल कल्याण समिति पीड़ित की संरक्षक के तौर पर काम करती है। समिति को यह भी पता होगा कि पीड़िता 12वीं की छात्रा है।

ऐसे में स्कूल में उसकी सामाजिक सुरक्षा के मद्देनजर यह जानकारी समिति को स्कूल प्रबंधन को देनी चाहिए थी। छात्रा की टीसी काटी ही नहीं गई अगर ऐसा हुआ है तो टीसी दिखाएं। लगातार अनुपस्थित रहने के कारण उसका नाम पोर्टल से अलग किया गया था। अगर छात्रा या परिजन स्कूल नहीं आने का कारण बताते हैं तो पोर्टल पर नाम दोबारा एक्टिव हो जाता है।

प्राचार्य का कहना था कि छात्रा ने त्रैमासिक परीक्षा के भी दो ही पेपर दिए। अर्द्धवार्षिक परीक्षा नहीं दी। वह लगातार गैरहाजिर रही। छात्रा की मां से दो बार फोन पर बात की थी, उन्हें परीक्षा के बारे में बताया था। घटना के बाद छात्रा कई दिन तक स्कूल आई लेकिन तब भी घटना की जानकारी किसी को नहीं दी। इसका पता मीडिया में खबर आने के बाद चला कि उसके साथ ऐसी कोई घटना हुई।

बाल कल्याण समिति ने कहा-स्कूल प्रबंधन गलती पर पर्दा डाल रहा

प्राचार्य के आरोप पर बाल कल्याण समिति की जिलाध्यक्ष अंजली शर्मा का कहना है कि स्कूल प्रशासन अब अपनी गलती पर पर्दा डाल रहा है। उन्होंने मदद करने की बजाय छात्रा को स्कूल से निकाल दिया और प्रवेश पत्र नहीं बताया। स्कूल प्रशासन को छात्रा से बात करनी चाहिए थी कि वह स्कूल क्यों नहीं आ रही। अभिभावकों को इसकी सूचना दी जानी चाहिए थी। उसके घर जाकर कारणों का पता करना चाहिए था।

 

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