जीवन भर के लिए सब पापों का त्याग करना साधुत्व – मुनि कमल कुमार

shreecreates
  • दीक्षार्थी भाई कल्प का स्वागत किया

गंगाशहर , 28 मार्च। बोथरा भवन में दीक्षार्थी भाई कल्प का स्वागत उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार के सान्निध्य में आयोजित किया गया। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार ने कहा कि मुनि शरीर को भले छोड़े पर धर्म को न छोड़े। हम सभी में अपने गुरूदेव के प्रति अश्रद्धा के भाव नहीं आने चाहिए गुरू के प्रति अपनी आस्था को सुदृढ़ रखना चाहिए। आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ दोनो प्रयोगिक धर्माचार्य हुए थे। वे प्रयोग के द्वारा रोग ठीक करते थे। स्वामी जी ने जो सिद्धान्त दिये थे उन सिद्धान्तों के कारण ही आज हम सब एक है। आचार्य श्री तुलसी एक समयज्ञ गुरू हुए। जिन्होंने कितने कितने काम किए तेयुप, किशोर मण्डल, महिला मण्डल, कन्या मण्डल जैसी संस्थाओं का निर्माण किया। मुनि श्री ने दीक्षार्थी भाई कल्प के लिए कहा कि साधुत्व को स्वीकार करना हंसी खेल नहीं जीवन भर के लिए सब पापों का त्याग करना होता है। जो साधु सचेत होता जागरूक होता है तो वह इस लोक में व पर लोक दोनों में सुखी होता है। कल्प को शिक्षा देते हुए कहा कि साधुपण में रम जाना गुरू भेजे वहीं जम जाना। मुनिश्री श्रेयांस कुमार ने कल्प के लिए कहा कि तुम संयम के पथ पर उत्तरोत्तर विकास करते रहो। मुनिश्री ने गीतिका प्रस्तुत कि “लागी संयम सु लगन”।

CONGRATULATIONS CA CHANDANI
indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

दीक्षार्थी कल्प ने कहा कि आत्मा में रमण करना, आत्मा में लीन हो जाना यही असली साधु जीवन है। दीक्षार्थी कल्प ने कहा कि जैसे पानी पुड़ी चाहे कितनी भी खा लो लेकिन मन नहीं भरता इसी प्रकार मुनिश्री कमल कुमार जी चाहे कितनी प्रेरणा दे दे लेकिन मन नहीं भरता। मन यही करता है कि वे मुझे और – और प्रेरणा देते रहे। कल्प ने राजा और बाबा की घटना सुनाई। कल्प ने कहा कि आत्म शुद्धि के लिए संयम को स्वीकार करना चाहिए।

pop ronak

मुनि श्री विमल विहारी ने फरमाया कि दीक्षा वही ले सकता है जिसका़ संकल्प मजबूत होता है। कल्प भी एक ऐसा ही कार्य करेगा अपने संकल्प को मजबूत करेगा। मुनि श्री प्रबोध कुमार ने फरमाया कि मनुष्य जीवन मिलना दुर्लभ है और उसमें संयम जीवन अत्यन्त – अत्यन्त दुर्लभ है। संयम के बगैर मनुष्य मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकता। कल्प के बारे में कहा कि दीक्षार्थी का नाम ही कल्प है और अपने नाम के अनुसार ही संयम जीवन में उत्तरोत्तर विकास करता रहे।

मुनि श्री नमि कुमार ने फरमाया कि दीक्षार्थी कल्प अपने जीवन का कल्याण करने के लिए दीक्षार्थी बना है गुरूदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कितना तपाकर इसको तैयार किया है और दीक्षा की अनुमति प्रदान की है। मुनि मुकेश कुमार ने कल्प के भावी जीवन की मंगल कामना करते हुए कहा कि हम तीनों ही गुजरात के निवासी है संयम पथ पर निर्वाध गति करते रहें।

दीक्षार्थी भाई कल्प का तेरापंथ समाज गंगाशहर ने स्वागत किया

तेरापंथी सभा के मंत्री जतन संचेती ने कहा कि संयम जीवन यानि साधु जीवन में चलने वाला अपना सम्पूर्ण रिजर्वेशन कर लेता है। दीक्षार्थी कल्प साधु जीवन में आने के बाद अपना आध्यात्मिक विकास करता रहे। मुनिश्री कमल कुमार जी स्वामी दीक्षार्थी तैयार करने के लिए बहुत श्रम करवा रहे है। दीक्षार्थी कल्प का स्वागत तेरापंथ न्यास के न्यासी जैन लूणकरण छाजेड़ ने व तेरापंथी सभा के उपाध्यक्ष पवन छाजेड़ ने पताका और साहित्य भेंट करके किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *