बीकानेर में संबोधि चातुर्मासिक प्रवेश समारोह भव्य शोभायात्रा के साथ सम्पन्न


जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ साधु-साध्वीवृंद का बीकानेर में चातुर्मास प्रवेश, श्रद्धा और भक्ति का वातावरण




बीकानेर, 04 जुलाई। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के गच्छाधिपति आचार्य प्रवर श्री जिन मणि प्रभ सूरीश्वरजी महाराज की आज्ञानुवर्ती गणिवर्य श्री मेहुल प्रभ सागर म.सा., मुनि मंथन प्रभ सागर म.सा. और बाल मुनि मीत प्रभ सागर म.सा. का बीकानेर में चातुर्मास हेतु आगमन शुक्रवार को हुआ। साथ ही बीकानेर मूल की साध्वीश्री दीपमाला जी व साध्वीश्री शंखनिधि जी ने भी चातुर्मासिक साधना के लिए प्रवेश किया। चातुर्मास के उपलक्ष्य में भव्य शोभायात्रा (वरघोड़ा) निकाली गई, जो श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट एवं अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद बीकानेर शाखा (के.यू.प) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई। शोभायात्रा में श्रद्धालु देव, गुरु और धर्म के जयकारे लगाते हुए शामिल हुए।


भक्ति और आस्था का नज़ारा
शोभायात्रा में दो बैंड पार्टियों द्वारा नवकार मंत्र और भक्तिगीतों की धुन बजाई गई। सबसे आगे घुड़सवार पंचरंगी जैन ध्वज लेकर चल रहे थे, उनके पीछे श्राविकाएं मंगल कलश लिए हुए थीं। भगवान महावीर के जीवन दर्शन को दर्शाते तेल चित्रों की झांकियों ने लोगों को आकर्षित किया। यात्रा के दौरान साधु-साध्वीवृंद ने भुजिया बाजार स्थित 576 वर्ष पुराने चिंतामणि जैन मंदिर, नाहटा चौक के आदिनाथ जिनालय, सुगनजी उपासरा, क्षमा कल्याण जी मंदिर सहित कई जिनालयों में चतुर्विध संघ के साथ दर्शन-वंदन किए।
चातुर्मास में आध्यात्मिक कार्यक्रमों की शुरुआत
6 जुलाई से प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक ढढ्ढा कोटड़ी में प्रवचन आयोजित किए जाएंगे। धर्मसभा में गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने संबोधित करते हुए कहा, “संबोधि का अर्थ है आत्मा को परमात्मा बनाने की यात्रा। श्रावक-श्राविकाएं जिनवाणी, गुरुवाणी और आत्मवाणी से ज्ञान की प्यास बुझाते हुए मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर हों।” मुनि मंथन प्रभ सागर म.सा. ने बीकानेर को श्रद्धा और जिनालयों की भूमि बताते हुए चातुर्मास को साधना और भक्ति का श्रेष्ठ अवसर कहा। साध्वीश्री दीपमाला जी ने कहा, “15 वर्षों के पश्चात अपनी मातृभूमि बीकानेर में चातुर्मास करने का सौभाग्य मिला है। यह आत्म-कल्याण और धर्म-आराधना का सुनहरा अवसर है।”
स्वागत एवं धर्मसभा में प्रस्तुतियां
के.यू.प अध्यक्ष अनिल सुराणा, संरक्षक राजीव खजांची, श्री चिंतामणि जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष हरीश नाहटा, सुगनजी उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, और अन्य पदाधिकारियों ने तिलक, दुपट्टा एवं पुष्पों से संतों-साध्वियों और श्रद्धालुओं का स्वागत किया। तीन घंटे चली धर्मसभा में विचक्षण महिला मंडल, सामयिक मंडल, महिला परिषद, एवं दीपमाला जी के सांसारिक परिजनों ने भक्ति गीत प्रस्तुत किए। सुनील पारख, अरिहंत नाहटा, रौनक कोचर ने भी गीतों से वातावरण को भक्ति में रंगा। ज्ञान वाटिका के बच्चों ने दो लघु नाटिकाएं प्रस्तुत कीं, वहीं जिनीषा नाहटा ने नृत्य व भक्ति गीत प्रस्तुत किया।
साधार्मिक भक्ति और गुरु पूजन
कोठारी परिवार सहित कई परिवारों ने चातुर्मास के भोजनशाला लाभ व साधार्मिक भक्ति का सौभाग्य लिया। तिरुपुर (तमिलनाडु) के तिलोकचंद, धनराज गुलेच्छा ने गुरु पूजन किया। गंगाशहर स्थित निर्माणाधीन श्रीपार्श्वनाथ जैन मंदिर ट्रस्ट के बांठिया परिवार के सदस्यों ने मुनिवृंद और साध्वीवृंद को कम्बली ओढ़ाकर सम्मानित किया।