संथारा साधिका रिद्धू देवी दुगड़ की संलेखना पूर्वक आत्मावलोकन करते हुए देह त्यागी , देह पांच तत्व में विलीन



लूणकरणसर , 23 मार्च। तेरापंथ धर्म संघ के आचार्य श्री महाश्रमण की श्राविका रिद्धू देवी द्वारा छ दिवसीय आत्मावलोकन करते हुए संलेखना पूर्वक देह त्याग करने पर उनकी अंतिम यात्रा में जैन जैनेतर समाज के बालक बालिकाओं के साथ हजारों लोग उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करने शामिल हुए ।
आचार्य महाश्रमण की शिष्या बसंत प्रभा द्वारा संथारा संलेखना त्याग करवाया गया। साधुमार्गी शासन दीपक संत निश्नेयश मुनि महाराज सा.द्वारा मंगल पाठ का लाभ भी प्राप्त किया।
श्रीमती रिद्धि देवी दुगड़ धर्मपत्नी स्व. श्री चौथमल जी दुगड़ को दिनांक 17/03/2025 को सुबह 9:11 बजे पर परम पूज्य युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के निर्देशानुसार शासन श्री साध्वी श्री बंसत प्रभा जी द्वारा संथारा का प्रत्याख्यान करवाया गया था। संथारा साधिका श्रीमती रिद्धु देवी दुग्गड का संथारा शनिवार को प्रातः 11.31 बजे संपन्न हो गया था । 4 दिन की संलेखना उपरान्त 6 दिन का तिविहार संथारा एवं 1 घंटे का चौंविहार संथारा सानन्द संपन्न हो गया। अंतिम परिणाम बहुत उच्च रहे।
बैकुंठी यात्रा आज रविवार को सुबह 9.30 बजे निज निवास पुराने शिव मंदिर के पास से शुरु होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए लूणकरणसर के मोक्ष धाम पहुंची जहां अंतिम संस्कार किया गया ।




उनके पुत्र संपतलाल दुगड़ ने बताया कि उनकी माताजी की भावना सदैव धर्म परायण रही जागरूकता के साथ शतायु की अवस्था पूर्ण करने पर भी वे धर्म के प्रति सजग रही । बुध मल दूगड़,मूलचंद,मनोज व पीहर पक्ष से जीतेन्द्र बोथरा इत्यादि समाज के अनेक लोगों के साथ प्रयाण यात्रा में लूणकरणसर व आस पास के गणमान्य लोग सम्मिलित हुए।


तेरापंथ भवन में शासन श्री साध्वी बसंत प्रभा के सानिध्य में स्मृति सभा का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने कहा कि मृत्यु तो निश्चित है पर लक्षित मंजिल को पाने एवं मृत्यु को महोत्सव बनाना बड़ी बात है जागते रहते हुए आत्मवलोकन करना श्रावकों को अनशन करना तीसरा मनोरथ है जैन धर्म में संथारे का महत्व है ।