बच्चों से भरी स्कूल बस पलटी , नीचे दबे मासूम मम्मी-पापा कहकर चीख रहे

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जयपुर, 3 मार्च। राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले में सोमवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया, जब नारेहड़ा गांव के पास एक निजी स्कूल की बस अचानक पलट गई। इस दुर्घटना में करीब एक दर्जन छात्र घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बस का संतुलन बिगड़ने से यह हादसा हुआ। घटना के तुरंत बाद स्थानीय ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर बच्चों को बस से बाहर निकाला और पुलिस को सूचित किया।

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बच्चे दबे, मची चीख-पुकार जाने राजस्थान बस हादसे का अपडेट...
अफरा-तफरी में बदला स्कूल का माहौल बस हादसे की खबर जैसे ही बच्चों के घरों तक पहुंची, परिजनों में हड़कंप मच गया। कई माता-पिता घबराहट में सीधे घटनास्थल पर पहुंचे, जबकि कुछ अस्पताल की ओर भागे। बच्चों ने बताया कि वे बहरोड़ के कमला सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ते हैं और रोज़ाना इसी बस से आते-जाते हैं। उनका कहना है कि बस की हालत पहले से ही खराब थी, लेकिन इसे कभी दुरुस्त नहीं किया गया।

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खटारा बस में सफर कर रहे बच्चों की जान पर बन आई!
पुरानी और खटारा बसें बनीं खतरा, परिवहन विभाग की लापरवाही उजागर यह हादसा सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। राज्य सरकार द्वारा जर्जर बसों के संचालन पर रोक के बावजूद, निजी स्कूल प्रशासन बेखौफ होकर ऐसी बसों का उपयोग कर रहा है। बच्चों के मुताबिक, यह बस अक्सर खराब रहती थी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। परिवहन विभाग की निष्क्रियता अब सवालों के घेरे में है। अधिकारियों को सिर्फ औपचारिक निरीक्षण करने की आदत पड़ गई है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

अफसर-ड्राइवर या बस मालिकर सभी इस हादसे के जिम्मेदार?
क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा था प्रशासन? इस घटना ने फिर साबित कर दिया कि परिवहन विभाग सिर्फ फाइलों में नियमों को लागू कर रहा है, बसों की फिटनेस पर कोई जांच नहीं होती और ना ही कार्रवाई होती है। स्कूल वाले क्यों खतरा बसों को चलते हैं ? अभिवावक भी शिकायत क्यों नहीं करते ? जबकि हकीकत में बच्चे असुरक्षित हैं। क्या सरकार और प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं? आखिर कब तक ऐसे लापरवाह रवैये की कीमत मासूम बच्चों को चुकानी पड़ेगी?

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