सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों पर सात दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न
बीकानेर , 29 दिसम्बर। राष्ट्रीय सुनियोजित कृषि और बागवानी समिति नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित एवं सुनियोजित कृषि विकास केन्द्र, स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सात दिवसीय कृषक प्रशिक्षण रविवार को सम्पन्न हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान बीकानेर के निदेशक डा. जगरीश रहाने ने अपने उद्बोधन में कहा कि जल का अधिकतम उपयोग खेती में सिंचाई के लिए होता है। अब पानी को बहाकर सिंचाई करने के बजाय किसान फंव्वारा व बूंद बूंद सिंचाई अपना तो रहा है लेकिन उसके कुशल संचालन व रख-रखाव के लिए प्रशिक्षण की महत्ती आवश्यकता है। बढ़ती हुई आबादी, औद्योगिकरण एवं गांवों के शहरीकरण के कारण खेती हेतु जल की उपलब्धता घट रही है। लिहाजा प्रति बूंद अधिक आमदनी प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म सिंचाई का विशेष महत्व है।
अनुसंधान निदेशक डॉ विजय प्रकाश ने कहा कि आज वह किसान श्रेष्ठ है जो प्रति हजार लीटर पानी से अधिकतम आय प्राप्त करता है। अत फसल का चयन, उसका बाजार भाव तथा उसकी जल आवश्यकता पर ध्यान देना जरूरी है। सुनियोजित खेती विकास केन्द्र बीकानेर के प्रभारी डॉ. पी. के. यादव ने कहा कि किसान प्रशिक्षण में प्राप्त ज्ञान को अपने खेत में लागू करें ताकि इसका लाभ मिले।
इंजीनियर जितेन्द्र गौड़ ने बताया कि प्रशिक्षक में ड्रिप स्प्रिंकलर, ऑटोमेशन के निर्माताओं एवं कम्पनी अधिकारियों को प्रशिक्षण में आमंत्रित कर प्रायोगिक जानकारी का किसान लाभ उठाएं। प्रशिक्षण में प्रक्षेत्र भ्रमण करवाकर ड्रिप अंतर्गत सहजन की खेती, अंजीर की खेती, खजूर की खेती, लो टनल खेती के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
क्षेत्रीय निदेशक कृषि अनुसंधान केन्द्र डॉ एल.एल.देशवाल ने खेती में जल बचत के लिए डिग्गी, बूंद- बूंद सिंचाई व फंव्वारा सिंचाई की तरफ बढ़ती जागरूकता के प्रति प्रसन्नता व्यक्त करते हुए किसानों के अनुरोध किया कि जिनके भी ड्रिप सिस्टम बंद पड़े हैं उन्हें प्रशिक्षण उपरान्त पुनः शुरु करवाएं। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रशिक्षण में 30 किसानों ने भागीदारी निभाई। आने वाले समय में ऐसे दो तीन प्रशिक्षण और भी आयोजित किए जाएंगे।