ज्ञानशाला दिवस पर छोटे-छोटे ज्ञानार्थियों ने दी शानदार प्रस्तुतियां
गंगाशहर , 25 अगस्त। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गंगाशहर के तत्वावधान में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी एवं साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी के पावन सान्निध्य में शांति निकेतन में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्ञानशाला एक बहुत बड़ा उपक्रम है, जिसमें संस्कार निर्माण का कार्य होता है, जिससे भविष्य में वटवृक्ष का निर्माण निश्चित है। ज्ञानशाला आचार्य श्री तुलसी की अनुपम देन है। बच्चों में कुछ करने की क्षमता होती है, उन्हें अवसर देने की आवश्यकता है। प्रशिक्षिकाएं अपना समय निकालकर श्रम करती है, उन्हें ज्ञान दान देती है। जिससे बालकों में संस्कार निर्माण का कार्य निरंतर चलता रहता है।
साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ज्ञानशाला का उपक्रम बच्चों के व्यक्तित्व विकास का माध्यम बनता है। ज्ञानशाला आचार्य श्री तुलसी की देन है। वे दूरगामी दृष्टि के धनी थे। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों के व्यक्तित्व का विकास होता है। प्रशिक्षिकाएं बच्चों के लिए मेहनत करती है। माता-पिता का कर्तव्य है की भावी पीढी को संस्कारी किया जाए। वे ज्ञानशाला में भेजकर अपने दायित्व का निर्वहन कर सकते हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानार्थियों द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। प्रशिक्षिकाओं ने सामूहिक गीत प्रस्तुत किया। छोटे-छोटे ज्ञानार्थियों द्वारा “जन्म से नहीं कर्म से जैन बने” विषयक भव्य नाटिका प्रस्तुत की गई। ज्ञानार्थियो द्वारा “ज्ञानशाला वंडरफुल” सांग पर डांस किया गया।
ज्ञानशाला प्रभारी चैतन्य रांका ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। तेरापंथी सभा के मंत्री जतन लाल संचेती, महिला मंडल अध्यक्षा संजू लालानी, तेरापंथ युवक परिषद के सह मंत्री मांगीलाल बोथरा, मुख्य प्रशिक्षिका सुनीता पुगलिया व प्रशिक्षिका श्रीया गुलगुलिया ने अपने विचार व्यक्त किये। तेरापंथ सभा के निवर्तमान अध्यक्ष अमरचंद सोनी, उपाध्यक्ष पवन छाजेड़, सहमंत्री मांगीलाल लुणिया, देवेंद्र डागा द्वारा गत वर्ष स्नातक उत्तीर्ण करने वाली प्रशिक्षिका प्रेम बोथरा, कनक गोलछा, श्रीया गुलगुलिया को सम्मानित किया गया।
आभार ज्ञापन प्रशिक्षिका सरिता आंचलिया ने किया। इस अवसर पर 234 ज्ञानार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन रुचि छाजेड़ ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद के कार्यकर्ताओं सहित सभी प्रशिक्षिकाओं का श्रम नियोजित हुआ।